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    कोडीनयुक्त कफ सीरप की अवैध सप्लाई पर नकेल, कागजों में करोड़ों बिक्री व जमीनी हकीकत शून्य; 15 फर्म ब्लैकलिस्ट

    By Vinit Edited By: Neeraj Tiwari
    Updated: Fri, 28 Nov 2025 10:07 PM (IST)

    कोडीनयुक्त कफ सीरप की अवैध सप्लाई पर प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। कागजों में करोड़ों की बिक्री दर्शाई गई, जबकि जमीनी स्तर पर बिक्री शून्य पाई गई। इस मामले में 15 फर्मों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। जांच में फर्जी बिक्री का खुलासा हुआ है, जिसके बाद प्रशासन ने यह कदम उठाया है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। कफ सीरप तस्करी के बढ़ते मामलों को देखते हुए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त ने पूरे प्रदेश में जांच कर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि कोडीनयुक्त कफ सीरप, मादक और मनःप्रभावी औषधियों के अवैध व्यापार में शामिल किसी भी फर्म, एजेंसी या डिपो पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके लिए जिला स्तर पर विशेष टीमें गठित की गई हैं। जिन्हें न सिर्फ हालिया तस्करी मामलों की जांच तेज करने, बल्कि सभी पुराने एवं संदिग्ध लाइसेंसों की दोबारा समीक्षा करने को कहा गया है।

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    भारी मात्रा में खरीद–फरोख्त दिखा रखी

    प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त डाॅ. रौशन जैकब ने प्रदेश के सभी औषधि निरीक्षकों को पत्र जारी कर कहा है कि कई जिलों में ऐसी फर्में सामने आई हैं जिन्होंने तीन–चार वर्ष से किसी प्रकार का वास्तविक व्यापार नहीं किया। मगर कागजों में भारी मात्रा में कोडीनयुक्त कफ सीरप की खरीद–फरोख्त दिखा रखी है। निरीक्षण में पाया गया कि कई लाइसेंस ऐसे पतों पर जारी थे जहां न दुकानें थीं, न कोई भंडारण।

    विभाग ने इसे बड़े स्तर के फर्जीवाड़े का संकेत माना है। इसी क्रम में गाजियाबाद के ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा ने गुरुवार को ऐसी 15 फर्मों के लाइसेंस निरस्त कर दिए। जो सिर्फ बिल–पर्चों के माध्यम से फेंसिडिल और अन्य कोडीनयुक्त कफ सीरप की खरीद–बिक्री दिखा रही थीं। जांच में सामने आया कि ये एजेंसियां वास्तविक व्यापार स्थल पर मौजूद ही नहीं थीं और बिलों में दिखाया गया स्टाक कभी दुकान पर आया ही नहीं।

    15 फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की गई

    कई फर्मों ने सहारनपुर स्थित फार्मा कंपनी एबाट के डिपो से दवा उठाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों से खरीद दिखायी। आयुक्त ने पूरे मामले को गंभीर मानते हुए सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टरों को चेताया है कि लाइसेंस सत्यापन में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    उन्होंने संदिग्ध फर्मों के अनुभव प्रमाणपत्र, किराया अनुबंध, व्यापार स्थल, स्टाक रजिस्टर और जीएसटी डेटा की भौतिक पुष्टि की जाए। औषधि निरीक्षक आशुतोष मिश्रा का कहना है कि आयुक्त के आदेश पर जिले में संदिग्ध फर्मों की जांच चल रही है। बृहस्पतिवार को ही 15 फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

    आयुक्त के सख्त निर्देश

    • सभी संदिग्ध दवा फर्मों के लाइसेंस की तत्काल समीक्षा और फर्जी पाए जाने पर तत्काल निलंबन/निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाए।
    • कोडीनयुक्त कफ सीरप, मादक और मनःप्रभावी औषधियों के भंडारण व वितरण पर सख्त निगरानी की जाए।
    • व्यापार स्थल का भौतिक सत्यापन अनिवार्य, कागजी स्टाक को वास्तविक स्टाक से मिलान करने का आदेश।
    • फार्मासिस्ट एवं लाइसेंसी के अनुभव प्रमाणपत्र, रेंट एग्रीमेंट और डीलरशिप दस्तावेज की क्रास वेरिफिकेशन, किसी भी फर्जी दस्तावेज पर लाइसेंस तुरंत रद्द हो।
    • स्टाॅक रजिस्टर, ई बिलिंग, जीएसटी और डिपो टू डीलर चेन का डिजिटल आडिट, गलत पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई करें।

    साढ़े तीन करोड़ की कफ सीरप की थी जब्त

    तीन नवंबर को पुलिस ने मेरठ रोड स्थित मछली गोदाम पर छापा मारकर चार ट्रकों में भरी भारी मात्रा में कफ सीरप बरामद की थी। बरामद माल की कीमत करीब साढे तीन करोड़ रुपये आंकी गई थी। पुलिस ने मौके से आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया था, जबकि कुल 17 नामजद किए गए थे।

    जांच की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन किया था, जिससे तेजी से नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सके। हालांकि करीब एक महीना होने के बाद भी पुलिस कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं कर पाई है।

    तीन नवंबर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जो पहली गिरफ्तारी की वह अपने ही इंस्पेक्टर की हुई। क्राइम ब्रांच में तैनात तत्कालीन इंस्पेक्टर रमेश सिंह सिद्धू को 3.87 लाख रुपये की कथित रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

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