Delhi Blast: किरायेदार सत्यापन और वाहन ट्रांसफर में बरतें सावधानी, थोड़ी सी लापरवाही हो सकती है बड़ी घटना
गाजियाबाद में दिल्ली ब्लास्ट की आशंका को देखते हुए पुलिस ने किरायेदार सत्यापन और वाहन ट्रांसफर में सावधानी बरतने की सलाह दी है। छोटी सी लापरवाही भी बड ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। दिल्ली में बीते महीने हुए आतंकी हमले से साफ हुआ है कि अल फलाह मेडिकल यूनिवर्सिटी जैसे प्रकरण के कारण थोड़ी सी लापरवाही पूरे इलाके को खतरे में डाल सकती है। मकान मालिक हों या वाहन मालिक लालच, जल्दबाजी और नियमों की अनदेखी कई बार ऐसे लोगों को बढ़ावा दे देती है, जिनकी हरकतें बाद में गंभीर अपराधों का कारण बनती हैं। एनसीआर में संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए पुलिस जागरूकता अभियान चला रही है।
शहर और देहात दोनों क्षेत्रों में यह प्रवृत्ति तेजी से देखी जा रही है कि मकान मालिक बिना पर्याप्त जांच-पड़ताल किए किरायेदार को कमरा दे देते हैं। कई बार तो किरायेदार कौन है, कहां से आया है और उसका बैकग्राउंड क्या हैं। इन सवालों पर ध्यान ही नहीं दिया जाता। पुलिस के अनुसार यह लापरवाही किसी भी अपराधी या संदिग्ध तत्व को पनाह देने जैसा है।
किराएदारों का सत्यापन पुलिस ने बेहद आसान किया हुआ है। यूपीकाप मोबाइल एप पर केवल 50 रुपये शुल्क जमा कर किरायेदार का सत्यापन कराया जा सकता है। यह प्रक्रिया न सिर्फ तेज है बल्कि कानूनी रूप से भी आवश्यक मानी जा रही है। यही नहीं, घरेलू कामगार का सत्यापन भी इसी एप के जरिये किया जाता है।
पुलिस का कहना है कि पिछले वर्षों में घरेलू सहायकों से जुड़े कई अपराध सामने आए, जिनमें सत्यापन नहीं कराया गया था। एप पर कुछ बुनियादी दस्तावेज और जानकारी अपलोड करनी होती है, जिसके बाद पुलिस थाने स्तर पर जांच करती है। रिपोर्ट आनलाइन ही उपलब्ध करा दी जाती है। कई थाना क्षेत्रों में इसे लेकर विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि लोग आसानी से यह सेवा ले सकें और किसी भी खतरे से बच सकें।
किरायेदार के बाद दूसरा बड़ा मुद्दा है पुराने वाहन की बिक्री और ट्रांसफर। अक्सर लोग वाहन बेच देते हैं, लेकिन आरसी ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी नहीं करते। ऐसे में वाहन नए खरीदार के पास होने के बावजूद कागज़ों में पुराने मालिक के नाम ही रहता है।
पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि कई अपराधों में इस्तेमाल हुए वाहनों की जिम्मेदारी पुराने मालिकों पर आ जाती है, जबकि वे खुद इस बात से अनजान होते हैं कि उनका वाहन किसके पास है। पुराने वाहन बेचते समय दलाल के संपर्क की बजाय आरटीओ में जाकर संपर्क करना चाहिए।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जागरूकता ही सुरक्षा है। एक ओर जहां पुलिस अपनी क्षमता बढ़ा रही है, वहीं नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। एक आवेदन, 50 रुपये और कुछ मिनटों का समय इतना छोटा प्रयास किसी बड़ी घटना को रोक सकता है। समाज की सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी है। किरायेदार सत्यापन हो या वाहन ट्रांसफर।
नियमों का पालन न केवल कानूनी मजबूरी है बल्कि शहर को सुरक्षित रखने की बुनियादी शर्त भी। गाजियाबाद पुलिस की यह अपील है सावधान रहें, सतर्क रहें और सहयोग करें जिससे शहर को सुरक्षित बनाया जा सके।
आलोक प्रियदर्शी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था

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