Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    प्रदूषण पर आदेश का पालन नहीं होने पर मुख्य सचिव से लेकर डीएम को नोटिस

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 06:24 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गाजियाबाद में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का पालन न होने पर पर्यावरण मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया है। मंत्रालय ने मुख्य सचिव, जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता वीके मित्तल ने हरित क्षेत्रों के रखरखाव और यातायात प्रबंधन में लापरवाही का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया था।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। प्रदूषण नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करने के मामले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव, जिले के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। मंत्रालय ने आदेश का पालन सुनिश्चित करने और कार्रवाई की रिपोर्ट मंत्रालय को भेजने का निर्देश दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक और विज्ञानी डा. अमित लव द्वारा जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता वीके मित्तल के अधिवक्ता गौरव गोयल ने 24 सितंबर 2025 को कोर्ट की अवमानना नोटिस मंत्रालय को भेजी थी। यह नोटिस सुप्रीम कोर्ट के 15 नवंबर 2022 को दिए गए आदेश के पालन से संबंधित है।

    कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि संबंधित विभाग गाजियाबाद में हरित क्षेत्रों का उचित रखरखाव सुनिश्चित करें और यातायात प्रबंधन योजना को लागू करें। प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना था कि यातायात प्रबंधन योजना का पालन और निगरानी निरंतर होती रहे। अधिवक्ता के कानूनी नोटिस में बताया गया है कि इन निर्देशों में से किसी का भी पालन नहीं हुआ है।

    नोटिस को प्रतिलिपि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, संयुक्त सचिव (वायु प्रदूषण नियंत्रण), पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मंडल आयुक्त मेरठ मंडल, जिलाधिकारी गाजियाबाद, उपाध्यक्ष गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम, क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पुलिस आयुक्त को भेजी गई है।

    बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

    2022 में वीके मित्तल ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने गाजियाबाद प्रशासन पर आरोप लगाया था कि जाम लगने और हरित क्षेत्र का रखरखाव नहीं होने से प्रदूषण हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद प्रशासन को यातायात प्रबंधन लागू करने और हरित क्षेत्र का रखरखाव करने का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के माध्यम से मंत्रालय को नोटिस भेजा था।