गाजियाबाद में सांस लेने में परेशानी आने के बाद अस्पताल में भर्ती कराये गये दो लोगों की मौत
गाजियाबाद में सांस लेने की तकलीफ के कारण दो लोगों की मौत हो गई। एक तंदूर हादसे में एक युवक झुलस गया। वायु प्रदूषण बढ़ने से अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टरों ने सांस लेने में दिक्कत होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलने की सलाह दी है। जिले में नवजात देखभाल सप्ताह शुरू हो गया है, जिसमें शिशुओं की देखभाल के बारे में जानकारी दी जा रही है। कुत्ते काटने पर 313 लोगों ने एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाई।
-1763229829697.webp)
सांस लेने में परेशानी पर जिला एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराये गये दो लोगों की मौत हो गई।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। सांस लेने में परेशानी पर जिला एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराये गये दो लोगों की मौत हो गई। इनमें एक 50 वर्षीय रामानंद को मोहननगर से स्वजन लेकर पहुंचे थे। इसके अलावा एक अज्ञात बुजुर्ग को कोतवाली पुलिस द्वारा भर्ती कराया गया था। इसके अलावा क्रासिंग रिपब्लिक क्षेत्र में तंदूर में रोटी सेकते वक्त 21 वर्षीय रिजवान का पूरा चेहरा झुलस गया।
रिजवान कलछीना का रहने वाला है और उसके दोस्त रवि ने उसे जिला एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया है। चिकित्सकों की निगरानी में इलाज चल रहा है। वायु प्रदूषण बढ़ने पर अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। शनिवार को जिला एमएमजी अस्पताल में 187 मरीजों की जांच के बाद 129 का चेस्ट एक्स-रे कराया गया। इनमें से पांच को हायर सेंटर रेफर किया गया और 28 को भर्ती किया गया।
ओपीडी में 52 बच्चों समेत बुखार के 360 मरीज पहुंचे। जिला एमएमजी अस्पताल, संजयनगर स्थित संयुक्त अस्पताल और डूंडाहेड़ा अस्पताल की ओपीडी में कुल 3,346 मरीज पहुंचे। इनमें 1,600 महिला, 1,189 पुरूष और 430 बीमार बच्चे शामिल रहे। डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी के सबसे अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें युवा भी शामिल हैं।
पल्मोनालाजिस्ट डॉ. आशीष अग्रवाल की परामर्श है कि सांस लेने में दिक्कत, घबराहट और चलने पर सांस फूलने लगे तो तुरंत चिकित्सक को दिखायें। गरम पानी से सुबह-शाम गरारे करने के साथ भाप लेना जरूरी है। ठंड़े पेय पदार्थ से बचें। गरम पानी के साथ चाय-काफी और सूप पी सकते हैं। मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलें। सुबह-शाम टहलना बंद कर दें। योग भी घर में ही करें।
नवजात देखभाल सप्ताह शुरू
जिले में शनिवार से नवजात देखभाल सप्ताह शुरू हो गया है। यह 21 नवंबर तक मनाया जायेगा।इसमें नवजात शिशुओं की देखभाल कैसे करनी है और क्या-क्या ध्यान रखना चाहिए, यह सब बताया जायेगा। पूरे सप्ताह डाक्टरों द्वारा अलग-अलग तरीकों से माता-पिताओं को बच्चे पालने के गुर सिखाए जा रहे हैं।
प्रसव के 48 घंटे के बाद तक अस्पताल में रुकें, नवजात को न नहलाएं, शरीर को पोंछकर नर्म साफ कपड़े पहनाएं, जन्म के एक घंटे के अंदर गाढ़ा, पीला दूध पिलाना आरम्भ कर दें और 6 माह तक जारी रखें। बच्चे को विटामिन-के का इंजेक्शन लगवाएं, बच्चे की नाभि को सूखा एवं साफ रखें, जिससे शरीर में कोई संक्रमण न फैले। कम वजन और समय से पहले जन्मे बच्चे का एक साल तक विशेष ध्यान रखें। बच्चे का ताप नियंत्रित करने के लिए कंगारू मदर केयर (छाती से लगाकर रखना) अपनाएं।
बच्चे के स्वास्थ्य के अनुसार दिन अथवा रात में बार-बार स्तनपान कराएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाने के लिए 6 महीने तक केवल दूध पिलाएं, घुट्टी-पानी आदि न पिलाएं। इसके साथ ही अलग-अलग दिनों में मां और बच्चे की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों पर फोकस किया जाएगा।
डॉ. माला शर्मा ने बताया कि नवजात की साफ-सफाई, तापमान नियंत्रण, टीकाकरण, त्वचा संपर्क (स्किन-टू-स्किन केयर) पर विशेष ध्यान रखा जाए। माता-पिता शुरुआती दिनों में गलतियां कर देते हैं, जिससे बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इसलिए इस सप्ताह के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही, उसकी नींद, रोने और सांस लेने के संकेतों को कैसे समझें, यह भी बताया जाएगा।
36 बच्चों समेत 313 ने लगवाई एंटी रेबीज वैक्सीन
सरकारी अस्पतालों में शनिवार को कुत्ते,बिल्ली और बंदरों के काटने पर कुल 313 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचे। रिपोर्ट के अनुसार पहली डोज लगवाने वाले 36 बच्चों समेत 91 लोग शामिल रहे। जिला एमएमजी अस्पताल में 200 में से 12 बच्चों समेत 70 लोगों ने पहली डोज लगवाई। संयुक्त अस्पताल में 113 में से 14 बच्चों समेत 21 लोगों को पहली डोज लगाई गई। दोनों अस्पतालों में 22 बुजुर्गों ने भी कुत्ते के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।