18 वर्ष बाद स्वेच्छा से जुर्म किया स्वीकार, कोर्ट से मिली दो हजार जुर्माना की सजा
गाजियाबाद में 18 साल पुराने सड़क दुर्घटना मामले में आरोपी राजबहादुर ने अदालत में स्वेच्छा से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे दोषी ठहराते हुए दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला 2007 में दर्ज हुआ था, जिसमें राजबहादुर पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप था, जिससे शिकायतकर्ता को गंभीर चोटें आईं थी। अदालत ने जुर्माने की राशि अदा न करने पर 12 दिन की कारावास की सजा सुनाई।
-1762186642128.webp)
18 वर्ष पुराने सड़क दुर्घटना मामले में आरोपित राजबहादुर ने कोर्ट में स्वेच्छा से जुर्म स्वीकार कर लिया।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 18 वर्ष पुराने सड़क दुर्घटना मामले में आरोपित राजबहादुर ने कोर्ट में स्वेच्छा से जुर्म स्वीकार कर लिया। मजिस्ट्रेट ने राजबहादुर को दोषी ठहराते हुए दो हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2007 में कोतवाली थाने में दर्ज हुआ था।
शिकायतकर्ता की तहरीर पर छह जून 2007 को एफआइआर दर्ज की गई थी। आरोपित राजबहादुर ने अपनी गाड़ी को तेज और लापरवाही से चलाते हुए उन्हें टक्कर मार दी। शिकायतकर्ता को गंभीर चोटें आईं थीं। पुलिस ने जांच पूरी कर लापरवाही से वाहन चलाने और गंभीर चोट पहुंचाना के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। न्यायालय ने 23 नवंबर 2007 को मामले का संज्ञान लिया था। आरोपित सम्मन जारी किया गया था।
न्यायालय में लगातार तारीख चलती रहीं। तीन नवंबर 2025 को राजबहादुर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुआ और स्वेच्छा से अपना जुर्म स्वीकार करते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल किया। राजबहादुर ने अदालत से अनुरोध किया कि वह गरीब व्यक्ति है और मुकदमे को आगे नहीं बढ़ाना चाहता। उसे न्यूनतम आर्थिक दंड देकर मामला निपटाया जाए। वहीं सहायक अभियोजन अधिकारी ने कठोर दंड देने की मांग की।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराया और आरोपित पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने आदेश दिया कि यदि राजबहादुर जुर्माने की राशि अदा नहीं करता तो उसे 12 दिनों की साधारण कारावास भुगतनी होगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।