अब नहीं रहेगी शर्म, चंद सेकंड में फ्लश हो जाएगा इस्तेमाल किया सैनिट्री पैड
गाजियाबाद की रानू खाड़े ने एक ऐसा सैनिटरी पैड बनाया है जो पानी में 10 सेकंड में घुल जाता है। उत्तर भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (निटरा) के साथ दो साल के शोध के बाद यह सफलता मिली। यह पैड महिलाओं को कचरे की समस्या से मुक्ति दिलाएगा और पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। रानू को इस प्रोजेक्ट के लिए सरकारी मदद भी मिली है।

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शाहनवाज अली, गाजियाबाद। भारत में हर साल 12 अरब से अधिक सैनेट्री पैड कचरे के ढेर में पहुंचते हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा मंडराता है। शोध के मुताबिक इस्तेमाल किए गए एक पैड को पूरी तरह नष्ट होने में करीब 800 साल लग जाते हैं, लेकिन उत्तर भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (निटरा) के विज्ञानियों के साथ पिछले दो साल की कड़ी रिसर्च के बाद रानू खाड़े ने इस चुनौती का समाधान ढूंढ़ निकाला है।
उन्होंने ऐसा सैनेट्री पैड तैयार करने में कामयाबी हासिल की है, जो पानी में सिर्फ चंद सेंकड में पूरी तरह घुलकर फ्लश हो जाता है। इस आविष्कार से महिलाओं को पैड छिपाने, ढोने या कचरे में फेंकने की परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी।
मूल रूप से महाराष्ट्र के सांगली की रहने वाली रानू खाड़े मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। मासिक धर्म की शुरुआत और सैनेट्री पैड से जुड़ी असुविधाओं ने ही उन्हें इस दिशा में सोचने पर मजबूर किया। उन्होंने कालेज आफ इंजीनियरिंग पुणे से स्नातक और आइआइएम बैंगलुरु से प्रबंधन की डिग्री हासिल की।
कॉरपोरेट जगत की बड़ी कंपनियों में काम किया और अपने वेतन का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा अपने सपने के लिए बचाकर रखा। उन्होंने सैनेट्री पैड पर चल रही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च और विदेशी कंपनियों का दौरा कर करीब दो वर्ष गहन अध्ययन किया।
अगस्त 2024 में रानू ने निटरा की वरिष्ठ विज्ञानी डा. निधि शिशोदिया के साथ मिलकर शोध शुरू किया। नौ माह के इस प्रोजेक्ट को सात माह में पूरा करने के बाद फ्लशेबल सैनेट्री पैड तैयार किया। उनका दावा है कि यह दुनिया का पहला ऐसा पैड है, जो शत प्रतिशत फ्लैशेबल है।
शोध की सफलता के बाद केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के सहयोग से इस प्रोजेक्ट को 50 लाख रुपये की ग्रांट प्रदान की गई। रानू खाड़े बताती हैं कि इस प्रोजेक्ट के पीछे उनके नौ वर्षीय बेटे शौर्य गुप्ता ने भी हाइजीन पर अपनी मासूम जिज्ञासाओं से उन्हें नई दिशा दी।
पर्यावरण और समाज के लिए वरदान
इस अनोखे आविष्कार से न केवल महिलाओं को सुविधा और आत्मविश्वास मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। अब सैनेट्री पैड कचरे का बोझ कम होगा और आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकेंगी।
अगले दो से तीन माह में फ्लैशेबल सैनेट्री पैड उत्पाद बाजार में उपलब्ध होगा। इसकी कीमत भी ब्रांडेड सैनेट्री पैड के बराबर होगी, ताकि हर महिला इसे आसानी से अपना सके। यह उत्पाद महिलाओं के सम्मान और बराबरी का सवाल है।
रानु खाड़े, अविष्कारक
दुनिया में जहां भी इसको लेकर शोध हुए वहां यह शत प्रतिशत कामयाब नहीं हो सका। हमने नौ माह के इस शोध को सात माह में पूरा किया और सैनेट्री पैड के इस उत्पाद को पानी में शत प्रतिशत फ्लैशेबल तैयार करने में कामयाबी हासिल की।
- डॉ. निधि शिशोदिया, वरिष्ठ विज्ञानी निटरा
निटरा में इस प्रोजेक्ट पर वरिष्ठ विज्ञानी द्वारा मिलकर किए गए शोध को बखूबी कामयाबी मिली है। यह अविष्कारी सैनेट्री पैड महिलाओं के लिए हर लिहाज से उपयोगी साबित होगा।
डॉ. एमएस परमार, महानिदेशक निटरा
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