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    अमेरिकी टैरिफ से गाजियाबाद के निर्यातकों को हो रहा भारी नुकसान, सरकार से मदद की गुहार

    गाजियाबाद के निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है जिससे 25-30% इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल निर्यात ऑर्डर रद्द हो गए हैं। निर्यातकों का कहना है कि 27 अगस्त से टैरिफ बढ़कर 50% होने पर निर्यात में 50% तक गिर सकता है। वे सरकार से तत्काल समाधान की मांग कर रहे हैं क्योंकि कपड़ा उद्योग पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और एमएसएमई सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित होगा।

    By Shahnawaz Ali Edited By: Sonu Suman Updated: Sun, 10 Aug 2025 06:30 AM (IST)
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    अमेरिकी टैरिफ के बाद निर्यातकों के करोड़ों के आर्डर रद व होल्ड पर।

    शाहनवाज अली, गाजियाबाद। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का जिले के निर्यातकों पर दिखाई देने लगा है। जिले में 25 से 30 प्रतिशत तक इंजीनियरिंग गुड्स और टैक्सटाइल उत्पादों के निर्यात आर्डर रद हो गए हैं, जबकि बड़ी संख्या में आर्डर होल्ड पर हैं। निर्यातकों ने सरकार से बढ़ रहे आर्थिक संकट में जल्द समाधान की मांग करते हुए कहा कि 27 अगस्त से टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत होने पर निर्यात में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

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    आइआइए के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुल निर्यात का 19 प्रतिशत अमेरिका को होता है। इसमें खासतौर पर इंजीनियरिंग गुड्स, टैक्सटाइल, आर्गेनिक-इन आर्गेनिक कैमिकल, कालीन, ज्वैलरी, मशीनरी और लेदर आदि शामिल हैं। छोटे और मध्यम उद्यम सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे जो इंजीनियरिंग गुड्स के 40 प्रतिशत निर्यात में योगदान देते हैं। लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

    एमको एक्सपोर्ट टैक्सटाइल के एमडी एवं निर्यातक मानव सिंघल ने बताया कि हमारे देश का कपड़ा और परिधान उद्योग अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। यह टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए आर्थिक बोझ बन गया है। अगर सरकार तत्काल वित्तीय सहायता पैकेज नहीं देती, तो कपड़ा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ सकती है। टैरिफ बढ़ने से निर्यातकों को दूसरे बड़े बाजार तलाशने होंगे।

    मगर सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अमेरिका में उत्पादों की अच्छी कीमत मिलती है, जो अन्य देशों में नहीं मिलेगी। अगर टैरिफ वार लंबी चलती है तो एमएसएमई सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित होगा। आने वाले महीनों में यह साफ होगा कि बढ़े टैरिफ का झटका कितना गहरा है और नए बाजार कितनी तेजी से इस नुकसान की भरपाई कर पाते हैं।

    निर्यात के लिए तलाश रहे नए बाजार

    यूरोप में जर्मनी और यूके के अलावा एशियाई देशों में सिंगापुर और मलेशिया में इंजीनियरिंग गुड्स की मांग बढ़ रही है। भारत इन बाजारों में हिस्सेदारी बढ़ा सकता है। निर्यातकों के मुताबिक फिलहाल यूरोप, मध्य-पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे क्षेत्रों पर है, जहां भारतीय उत्पादों की मांग और प्रतिस्पर्धा दोनों ही संतुलित हैं। बताते हैं कि यूरोप और अफ्रीका में ग्राहकों से बातचीत कर रहे हैं और उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में नए आर्डर मिलना शुरू हो जाएंगे।

    उत्पाद वर्तमान टैरिफ दर 25% टैरिफ लागू होने के बाद
    इंजीनियरिंग गुड्स 6% 31%
    टैक्सटाइल 10% 35%

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