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    गाजियाबाद के लोनी में यमुना का कहर, शिविरों में दवा और दूध की कमी; किसानों को भारी नुकसान

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 09:34 PM (IST)

    लोनी में हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना का जलस्तर बढ़ गया है जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। यमुना किनारे बसे लोगों के घरों में पानी घुस गया है और फसलें बर्बाद हो गई हैं। जिला प्रशासन राहत सामग्री दे रहा है पर शिविरों में दवा और दूध की कमी है। किसानों को भारी नुकसान हुआ है।

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    लोनी में हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना का जलस्तर बढ़ गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, लोनी। हथिनी कुंड बैराज से 3.29313 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बुधवार को यमुना का जलस्तर 211.75 पर पहुंच गया। जलस्तर बढ़ने से यमुना खादर क्षेत्र में रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस गया है। लोग दीवारों पर तिरपाल लगाकर अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं।

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    बाढ़ के कारण इस क्षेत्र में फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों को अब रोजमर्रा की जरूरतों की भी दिक्कत हो रही है। हालांकि जिला प्रशासन लोगों को राहत सामग्री मुहैया करा रहा है। आसपास के ग्रामीण बाढ़ को लेकर चिंतित हैं।

    लोनी में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए जिला प्रशासन ने सभी सुविधाएं मुहैया कराई हैं। पचैरा के पास स्थायी चौकी पर जिला प्रशासन की ओर से राहत शिविर बनाया गया है, जहां से बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था की गई है। लेकिन शिविरों में कहीं भी दवाइयां और छोटे बच्चों के लिए दूध वितरण की व्यवस्था नहीं है। अभिभावक दूध के लिए परेशान हैं।

    प्रशासनिक स्तर पर पॉलीथिन शीट का वितरण नहीं किया गया है। बाढ़ पीड़ित राहत शिविर में अपनी व्यवस्था से तिरपाल तानकर सो रहे हैं। लोग मोबाइल चार्ज करने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। कहीं मोबाइल शौचालय की सुविधा है तो कहीं शौचालय की सुविधा नहीं है।

    बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि वे अपने-अपने घरों से तिरपाल और पन्नी तानकर परिवार के साथ रह रहे हैं। बदरपुर गाँव के सामने तटबंध पर रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्हें पिछले कई दिनों से चावल, दाल, सब्जी-पूड़ी मिल रही है। वहीं, पीने के पानी के लिए एक टैंकर की व्यवस्था की गई है।

    परवल की खेती को भारी नुकसान

    पचैरा के पास तटबंध पर बने शिविर में श्याम, राजेदीन, राधेश्याम समेत करीब 50 लोगों का परिवार रह रहा है। तीन जानवर भी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने 40 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से आठ बीघा जमीन ली है। परवल सब्जी का खेत बाढ़ में डूब गया है। सारी कमाई खत्म हो गई है, अब उन्हें चिंता है कि कैसे गुजारा होगा।

    इलायचीपुर गाँव के सामने मैंने दस हज़ार रुपये प्रति बीघा की दर से पाँच बीघा ज़मीन किराए पर लेकर नर्सरी लगाई थी। सब कुछ डूब गया है। कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया।

    -नौशाद

    मैंने दस हज़ार रुपये प्रति बीघा की दर से तीन बीघा ज़मीन किराए पर लेकर सब्ज़ियाँ बोई थीं। सब कुछ डूब गया है। ब्याज पर पैसे लेकर लागत भी लगाई थी। सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है।

    -शांति देवी

    बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए कोई दवा काउंटर नहीं बनाया गया है। बीमार लोग दवा लेने के लिए निजी डॉक्टरों के पास जा रहे हैं। पैसे के अभाव में वे बीमारी से जूझ रहे हैं।

    -राधेश्याम

    यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से खेत डूब गए हैं। पशुओं के चारे की समस्या है। पशुओं का चारा भी नहीं बांटा जा रहा है।

    -सुबोध

    कैंप में दो समय का भोजन मिल रहा है। लेकिन रात में बिजली न होने के कारण मोबाइल चार्ज करने में दिक्कत हो रही है।

    -एहतेशाम

    शिविर में बच्चों के लिए दूध और बिस्कुट की व्यवस्था नहीं की गई है। बच्चों को दूध और बिस्कुट के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। प्रशासन को बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए।

    -मुस्तकीम

    बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। सभी जगहों पर एनडीआरएफ की टीमें, नाविक और गोताखोर तैनात किए गए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुँचाया गया है। बाढ़ प्रभावित लोगों को भोजन और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।

    -दीपक सिंघनवाल, एसडीएम लोनी

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