गाजीपुर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा में तैनात 110 पूर्व सैनिकों को नहीं मिला वेतन, CM पोर्टल पर दर्ज कराई शिकायत
गाजीपुर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा में लगे 110 पूर्व सैनिकों को वेतन नहीं मिला है, जिससे वे परेशान हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन सैनिकों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। कॉलेज प्रशासन से संपर्क करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। अब उन्हें सरकार से मदद की उम्मीद है।
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गाजीपुर में मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा में तैनात 110 पूर्व सैनिकों को नहीं मिला वेतन।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर। राजकीय मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध अस्पतालों में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे सैनिक कल्याण निगम वाराणसी के 110 पूर्व सैनिको को चार माह का वेतन नहीं मिला। सीएम पोर्टल पर शिकायत के बाद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने मुख्यालय से पूर्व सैनिकों के वेतन भुगतान प्रति माह न करने के निर्देश का हवाला दिया, लेकिन जब जांच अधिकारी ने उनसे इस आदेश का पत्र मांगा तो वह नहीं दिखा पाए। वेतन न मिलने से पूर्व सैनिकों में काफी नाराजगी है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध अस्पतालों में सुरक्षा के लिए सैनिक कल्याण निगम वाराणसी के 110 पूर्व सैनिक तैनात हैं। सुरक्षाकर्मियों की वजह से अस्पताल की सुरक्षा काफी चुस्त दुरुस्त है। सैनिक कल्याण निगम वाराणसी के माध्यम से 110 पूर्व सैनिक सुरक्षा में तैनात हैं।
राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रबंधन निगम को समय पर वेतन का भुगतान नहीं कर रहा है, जिसके कारण उन्हें रोक-रोककर वेतन मिलता है। पूर्व सैनिक ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की, जिसकी श्रम विभाग के अधिकारी ने जांच की।
जांच के दौरान शिकायतकर्ता ने बताया कि उनका वेतन समय पर नहीं मिलता है। चार माह बाद दो माह का भुगतान किया जाता है, जबकि दो माह का रोक लिया जाता है। इस बाबत जांच अधिकारी ने मेडिकल कालेज के प्राचार्य आनंद मिश्रा से जानकारी दी।
जांच अधिकारी ने अपने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने संविदा कर्मियों के मानदेय के मद में त्रैमासिक बजट आवंटित होता है। इसलिए प्रतिमाह मानदेय नहीं दे पाते हैं।
यह भी बताया कि उन्हें मुख्यालय से निर्देश है कि मानदेय का भुगतान प्रतिमाह नहीं दें। इस पर श्रम अधिकारी ने प्राचार्य से प्रतिमाह भुगतान न करने के मुख्यालय के आदेश की प्रतिलिपि मांगी तो वह नहीं दिखा सके।
श्रम अधिकारी ने स्पष्ट लिखा है कि कॉलेज के प्राचार्य ने जांच में सहयोग नहीं किया। श्रम अधिकारी ने शिकायतकर्ता को परामर्श दिया कि वह सक्षम प्राधिकारी के यहां वेतन भुगतान अधिनियम के तहत वाद दायर कर सकते हैं।
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