हेरिटेज होटल के रूप में विकसित होगी अवध के नवाब की बारादरी, आसिफुद्दौला ने कराया था निर्माण
अवध के नवाब आसिफुद्दौला द्वारा निर्मित बारादरी को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक इमारत का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया है। सरकार का लक्ष्य है कि इस धरोहर को संरक्षित किया जाए और पर्यटन को बढ़ावा मिले, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

हेरिटेज होटल के रूप में विकसित होगी अवध के नवाब की बारादरी।
संवाद सूत्र, वजीरगंज (गोंडा)। वजीरगंज स्थित ऐतिहासिक बारादरी को हेरिटेल होटल के रूप में विकसित किया जाएगा। पर्यटन विभाग ने पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल पर होटल बनाने के लिए निविदा आमंत्रित की है।
जनपद मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूरी पर स्थानीय कस्बे के पास स्थित बारादरी का निर्माण 1775 से 1795 के मध्य तत्कालीन अवध के नवाब आसिफुद्दौला ने कराया था। इसका नाम जमशेदबाग रखा गया। यह लगभग सौ एकड़ में फैली थी।
इसकी सुरक्षा के लिए 20 फुट ऊंची व लगभग चार फुट चौड़ी चहारदीवारी बनाई गई थी। चहारदीवारी की सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे मोढे़ बनाए गए थे, जिसके जरिए सैनिक बाहरी क्षेत्रों पर नजर रखते थे। जरूरत पड़ने पर स्वयं को सुरक्षित रखते हुए बाहरी आक्रमण से आसानी से निपट लेते। उक्त क्षेत्र अभेद दुर्ग था।
चहारदीवारी के अंदर अनेक भवन बने थे जिसमें न्यायालय आदि स्थापित थे। आसपास का क्षेत्र घने पेड़ों से आच्छादित था। इसमें फलदार वृक्ष थे। नवाब आसिफुद्दौला छुट्टियां बिताने इसी सुरक्षित स्थान पर आते थे। यहीं से कुछ दिन तक राज्य का संचालन करते थे।
जनश्रुतियों के अनुसार एक बार जब नवाब अपनी बेगम के साथ छुट्टियां बिताने आए हुए थे, अचानक उनकी बेगम की तबियत बिगड़ गई। उचित इलाज के अभाव में उनकी मृत्यु हो गई। बेगम को बारादरी के ही निकट दफनाया गया। बेगम के मकबरे का अवशेष आज भी विद्यमान है। बेगम की मौत के बाद नवाब आसिफुद्दौला का यहां से मोहभंग हो गया। उसने यहां आना छोड़ दिया।
आसिफुद्दौला के बाद जब अमजद अली शाह ने अवध की सत्ता संभाली। उसने 1837 से 1842 के मध्य में इसे अपने मंत्री अमीन-उद-दौला मुंशी बकर अली खां को दे दिया। बताया जाता है कि यहां भवनों का निर्माण हो ही रहा था कि अंग्रेजों के आक्रमण के चलते निर्माण अधूरा रह गया।
यहां का मुख्य आकर्षण वास्तुकला का बेजोड़ नमूना व कोड़र झील में उतरती भवन की सीढि़या हैं। कोड़र झील में केवड़े की महक नवाब आसिफुद्दौला की देन है। अब इसके आसपास के बाग नष्ट हो चुके हैं। अधिकांश चहारदीवारी ढह चुकी है।
बारादरी में लगी इमारती लकड़ियां लोग निकाल ले गए। आसपास की जमीन पर अतिक्रमण है, फिर भी मुख्य भवन का आकर्षण कम नहीं है। भवन की सुंदरता निखारने वाली कोड़र झील जलकुंभी से पटी पड़ी है।
स्थानीय स्तर पर पर्यटन विकास को लेकर कई बार कवायद की गई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल
सका। ग्राम प्रधान वजीरगंज सुशील कुमार जायसवाल ने बताया कि मनरेगा के तहत वाकिंग ट्रैक बनाया गया था।
1955 में हुई थी वजीरगंज ब्लॉक की स्थापना
पूर्व राज्यमंत्री राम बहादुर सिंह ने बताया कि वजीरगंज ब्लॉक की स्थापना 1955 में किराए के भवन में हुई थी। 14 अप्रैल 1984 को तत्कालीन सांसद कुंवर आनंद सिंह ने सुंदरीकरण कराया था। 1995 में वह पहली बार ब्लाक प्रमुख बने, इसके बाद तिलकराम, राधिका देवी, संगीता सोनी, मांडवी सिंह व अनीता यादव प्रमुख चुनी गईं।

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