एक साल में करीब ₹250 करोड़ पहुंचा बीज उत्पादन का कारोबार, समूह से जुड़े 3500 किसान
गोंडा जिले में किसान उत्पादक ग्रुप (एफपीओ) किसानों की आर्थिक स्थिति सुधार रहा है। बेलसर ब्लॉक के 3500 किसान एफपीओ से जुड़कर लाभान्वित हुए हैं जिससे उन्हें खाद बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हुई और उपज की बिक्री भी बेहतर हुई। एफपीओ ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 17 लाख रुपये का लाभ कमाया जिसे सदस्यों में वितरित किया गया।

वरुण यादव, गोंडा । बेलसर ब्लाक में रहने वाले राम अवध के पास दो बीघे जमीन थी, बमुश्किल परिवार की आजीविका चल रही थी, लेकिन पांच साल पहले किसान उत्पादक ग्रुप(एफपीओ) से जुड़ने के बाद न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी बल्कि उन्होंने अपने बेटे को बाहर पढ़ने भी भेज दिया। अकेले रामअवध ही नहीं बेलसर के भगवानदयाल पांडेय को तीन वर्ष पहले तक खाद व बीज के लिए भटकना पड़ता था।
एफपीओ से जुड़ने के बाद न सिर्फ उन्हें समय से खाद व बीज मिलने लगी बल्कि, खेत में तैयार उपज की बिक्री भी बाजार मूल्य पर नकद होने लगी। अब वह एक एकड़ खेती से प्रतिवर्ष करीब दो लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं और एफपीओ जिसने कंपनी का रूप ले लिया है,उसके शेयरधारक भी हैं। राम अवध और भगवान दयाल बानगी भर हैं, सच तो यह है कि जिले के करीब 3500 किसानों की आर्थिक स्थिति एफपीओ से जुड़ने के बाद बदल गई है।
सहभागिता के अनुसार किसानों को दिया जा रहा लाभ
एफपीओ से जुड़े किसानों को उनकी सहभागिता के अनुसार लाभ दिया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में एफपीओ को 17 लाख रुपये का लाभ हुआ है, इसे शेयर के अनुसार एफपीओ के निदेशक व सदस्यों को वितरित किया गया। बेलसर, कटराबाजार, झंझरी, परसपुर जैसे एक दर्जन ब्लाक के साढ़े तीन हजार किसान अब अपनी कंपनी के मालिक हैं। एक वर्ष में किसानों ने करीब 250 करोड़ रुपये के बीज उत्पादन का कारोबार किया है।
इस अनूठी पहल की शुरुआत बेलसर ब्लाक की ग्राम पंचायत लौव्वाटेपरा निवासी कुलदीप मिश्र ने की। पारंपरिक खेती के बजाय बीज का उत्पादन उनके मुनाफे का आधार है। कुलदीप ने वर्ष 2020 में करीब पांच लाख रुपये से बीज उत्पादन शुरू किया। परेशानियों ने रोड़े अटकाए, ताने भी मिले, लेकिन कुलदीप ने किसी की परवाह नहीं की।
गेहूं बीज से शुरू हुआ कार्य धान और मक्का तक पहुंच गया है। किसानों की उपज को कुलदीप मिश्र खुद खरीदकर तत्काल भुगतान करते हैं। यहां से शुरू होती है ग्रेडिंग के रूप में बीज तैयार करने की अहम प्रक्रिया, इसके बाद बीज शोधन होता है। पैकिंग और लेबलिंग कराई जाती है। प्लांट की क्षमता दस क्विंटल बीज प्रतिदिन तैयार करने की है। बीज की बिक्री वह पीसीएफ, कृषि विभाग व बीज विकास निगम को करते हैं।
3895 रुपये प्रति क्विंटल किसानों ने बेचा गेहूं का बीज
इस वर्ष सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया था। एफपीओ से जुड़े किसानों ने बीज के रूप में उत्पादन कर गेहूं का मूल्य 3895 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त किया। किसानों को गेहूं की बिक्री व भुगतान के लिए परेशान नहीं होना पड़ा।
कुलदीप मिश्र के पिता रामशरण भी प्रगतिशील किसान हैं। उनके काफी प्रयास के बाद भी खेती मुनाफे का सौदा नहीं बन सकी। ऐसे में 12वीं की पढ़ाई के बाद कुलदीप ने 2010 में खेती में नवाचार शुरू किया। इसमें उन्हें आईटीसी(इंडियन टोबैको कंपनी) की मदद भी मिली। किसानों की चौपाल बनाकर खाद-बीज की दुकान खोली। यहीं से किसानों से सीधे जुड़ाव हुआ। कार्य आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने वर्ष 2019 में कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन किया।
इस बार 400 करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान
कुलदीप ने बताया कि गेहूं के साथ ही धान, मक्का की बीज उत्पादन किया जा रहा है। इस बार रागी, कोदो व कोकुन का भी बीज तैयार कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में बीज का कारोबार करीब 400 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। किसानों को एफपीओ से जोड़कर समृद्ध बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
कृषि उप निदेशक प्रेम कुमार ठाकुर ने कहा कि अत्याधुनिक कृषि यंत्र, खाद, बीज व कृषि से जुड़े उपकरणों के अनुदान पर उपलब्ध कराने में एफपीओ को प्राथमिकता दी जाती है। बेलसर के लौव्वाटेपरा में अर्थरिष्ट फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के माध्यम से बीज उत्पादन का अच्छा कारोबार किया जा रहा है।
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