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    गोंडा में पुलिस की फाइलों से आगे नहीं बढ़ पा रही जांच, थाने का चक्कर लगा रहे पीड़ित

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 09:39 PM (IST)

    गोंडा जिले में पुलिस जांच की सुस्ती के चलते पीड़ितों को थाने के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कई मामले पुलिस फाइलों में ही अटके हुए हैं, जिससे न्याय मिलने में देरी हो रही है। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस को जांच में तेजी लानी चाहिए ताकि उन्हें जल्द न्याय मिल सके।

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    मामले का निपटारा न होने से थाने और पुलिस कार्यालय का चक्कर काट रहे पीड़ित।

    संवादसूत्र, इटियाथोक (गोंडा)। हत्याओं की जांच व राजफाश को लेकर पुलिस गंभीर नहीं दिख रही है। बीते एक वर्ष में हुई हत्याओं का राजफाश नहीं हो सका है। जांच पुलिस की फाइल से आगे नहीं बढ़ सकी। पीड़ित थाने से लेकर पुलिस कार्यालय का चक्कर काटने को विवश हैं।

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    रामगढिय़ा विशुन तिवरी गांव में 25 जुलाई 24 को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रमिला तिवारी की गला दबाकर हत्या की गई थी। उसका शव घर से 400 मीटर दूर गन्ने के खेत में बरामद किया गया था। मृतका के पति देव प्रकाश तिवारी के गांव के तीन लोगों के खिलाफ कोटेदारी की रंजिश में हत्या किए जाने का मुकदमा कराया था।

    पुलिस ने आरोपितों से पूछताछ के बाद में छोड़ दिया। घटना को 15 माह बीत चुका है लेकिन, अभी राजफाश नहीं हो सका है। दूसरी ओर पूरे तिलक गांव में 26 जून 2025 को गांव निवासी राज गांव के ही धीरू के साथ घर से 200 मीटर दूर आम तोड़ने गया। आम बंटवारे को लेकर कहासुनी हो गई।

    धीरू, उसकी मां रुबीना व बहन रेनू ने पिटाई कर दी जिससे राज मौत हो गई। उसका शव बगल गड्ढे में फेंक दिया। गोताखोरों की मदद से उसका शव बाहर निकाला गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट लगने के कारण से मौत पुष्टि के बाद मृतक के पिता राम कैलाश ने मां, बेटी व बाल अपचारी के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मुकदमा कराया।

    घटना को दो माह से अधिक बीत गए लेकिन, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। थानाध्यक्ष केजी राय ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के मामले में साक्ष्य संकलन किया जा रहा है। राज के मौत में विवेचना की जा रही है।