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    गोंडा में यूपी का पहला क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र खोलने की तैयारी, 80 करोड़ होंगे खर्च

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 10:01 AM (IST)

    पूर्वांचल को रेशम उत्पादन का केंद्र बनाने के लिए कवायद तेज हो गई है। परसपुर के करनपुर रेशमफार्म में प्रदेश के पहले क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र की स्थापना होगी जिसके लिए 13 एकड़ भूमि प्रस्तावित है। केंद्र की स्थापना से शहतूत की प्रजाति और रेशम कीट पर शोध होगा साथ ही कीटपालकों को प्रशिक्षण मिलेगा। इससे उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को लाभ मिलेगा।

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    रेशम कीट पर शोध व कीटपालकों को प्रशिक्षण भी मिलेगा। जागरण

     वरुण यादव, जागरण गोंडा। पूर्वांचल को रेशम उत्पादन का हब बनाने के लिए कवायद तेज हो गई है। परसपुर के करनपुर रेशमफार्म में प्रदेश के पहले क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र की स्थापना कराई जाएगी, इसके लिए 13 एकड़ भूमि प्रस्तावित की गई है। केंद्र की स्थापना से शहतूत की प्रजाति पर शोध, रेशम कीट पर शोध व कीटपालकों को प्रशिक्षण भी मिलेगा।

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    अभी कीट पालकों को प्रशिक्षण आदि के लिए देहरादून के प्रेमनगर, जम्मू-कश्मीर के पंपौर और बंगाल के बरहमपुर जाना पड़ता है। इस इकाई की स्थापना से यूपी के साथ ही बिहार के कीटपालकों को भी लाभ मिलेगा। केंद्रीय रेशम बोर्ड ने 80 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।

    केंद्रीय रेशम बोर्ड के वैज्ञानिक डा राम लखन राम का कहना है कि उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में शहतूत रेशम उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं। इनमें गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया समेत अन्य जिले शामिल हैं। प्रदेश से सटे बिहार में भी किसान शहतूत से रेशम कोया का उत्पादन करते हैं।

    क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र की स्थापना से 25 हजार परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। करनपुर रेशम फार्म में वर्तमान में किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रेशम कीट व पौधे का उत्पादन अभी देहरादून, जम्मू-कश्मीर व बंगाल में होता है।

    प्रगतिशील किसान रविशंकर उर्फ पवन सिंह का कहना है कि रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषक उत्पाद संगठन बनाया गया है। यदि क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र स्थापित हो गया तो काफी लाभ मिलेगा।

    उप निदेशक (रेशम) आरएन मल्ल बताते हैं कि करनपुर में क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए 13 एकड़ भूमि प्रस्तावित की गई है। केंद्रीय रेशम बोर्ड ने प्रस्ताव तैयार करके भेजा है। अनुसंधान केंद्र की स्थापना से उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार के भी किसानों को लाभ मिलेगा।