यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर गरमाई गांवों की राजनीति, लोग ग्राम प्रधान से मांग रहे वर्क रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की आहट के साथ ही गांवों में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। लोग अपने ग्राम प्रधानों से उनके कार्यकाल में किए गए कार्यों का ब्यौरा मांग रहे हैं। चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और संभावित उम्मीदवार अपनी तैयारी में जुट गए हैं।

पंचायत चुनाव को लेकर गरमाने लगी गांव की राजनीति।
संवाद सूत्र, गोंडा। हलधरमऊ ब्लाक की ग्राम पंचायत अमोढ़वा में बिना रोड का निर्माण कराए ही 2.88 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। जांच में कार्य न होने की पुष्टि न होने पर धनराशि तो वापस सरकारी खाते में जमा कर दी गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। कर्नलगंज ब्लाक की ग्राम पंचायत पैरौरी में विकास कार्यों में गड़बड़ी को लेकर शिकायतें तेज हो गई हैं। यह तो सिर्फ बानगी भर है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घड़ियां धीरे-धीरे करीब आने के साथ ही राजनीति गरमाने लगी है। गांव की नई सरकार चुनने के लिए सियासी कड़ियां पिरोई जा रही हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न सिर्फ पांच वर्ष में हुए विकास कार्य के बारे में पूछा जा रहा है बल्कि, भ्रष्टाचार के बहाने में प्रधान को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। वक्त के साथ ही पंचायत चुनाव के आयाम भी अब बदल रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म अब न सिर्फ संवाद का मंच बन गया है बल्कि, गांव से जुड़ी गतिविधियों को लेकर खुलकर सवाल भी उठा रहे हैं।
जिले की 1192 ग्राम पंचायतों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव वर्ष 2026 में 25 मई से पहले कराए जाने हैं। फरवरी-मार्च में आचार संहिता लागू करने की योजना बनाई जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर भी यही प्रयास है कि पंचायत चुनाव समय से सम्पन्न करवा लिए जाएं।
इन चुनावों में ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य के साथ ही राजनीतिक दलों के करीब माने जाने वाले जिला पंचायत सदस्यों को चुना जाना है। यह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इसलिए भी बहुत अहम है, क्योंकि वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव है। राजनीतिक दलों के एजेंडे में पंचायत चुनाव सबसे ऊपर है।
कद्दावर नेताओं के संपर्क में पंचायत के प्रतिनिधियों के कार्यकाल के अध्ययन की भी रिपोर्ट बनाई जा रही है। पंचायत के बजट का लेखाजोखा डिजिटल सिस्टम से ई- ग्राम स्वराज पर दर्ज होता रहता है। एक क्लिक पर किसी भी ग्राम पंचायत के आय-व्यय का विवरण कहीं भी कभी कोई देख सकता है।
ढाई वर्ष पहले ऑनलाइन हो गया था ग्राम पंचायतों के खर्च का विवरण
डिजिटलीकरण की यह पहल पंचायती राज विभाग ने गत वित्तीय वर्ष 2023-24 से करके सभी को मानो डिजिटल हथियार दे दिया हो। अब पंचायत चुनाव में यह डिजिटल हथियार खूब रंग लाने वाला है। गांव के हर नागरिक को डिजिटल प्लेटफॉर्म ने मुखिया बना दिया है। अब अपने प्रतिनिधि से जागरूक नागरिक बेधड़क होकर अपने गांव को सरकार से मिले धन को कहां और कैसे और क्यों खर्च किया यह पूछ रहे हैं।
ग्राम पंचायतों की चल रही जांच
जिला पंचायत राज अधिकारी लालजी दुबे ने बताया कि ई-ग्राम स्वराज पर ग्राम पंचायत से संबंधित सभी जानकारियां दर्ज हैं, कोई भी ग्राम पंचायत की स्थिति देख सकता है। शिकायतों पर इधर तमाम पंचायतों में कार्रवाई गई है, कई ग्राम पंचायतों में जांच चल रही है।

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