यूपी में केंद्रीय वित्त आयोग से त्रिस्तरीय पंचायतों को आवंटित हुए 1.43 अरब रुपये, इन कार्यों के लिए होगा खर्च
उत्तर प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों को केंद्रीय वित्त आयोग ने 1.43 अरब रुपये आवंटित किए हैं। यह धनराशि पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता और ग्रामीण विकास जैसे बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए जारी की गई है। इस आवंटन से पंचायतों को अपने क्षेत्रों में विकास योजनाओं को लागू करने में अधिक स्वायत्तता मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

केंद्रीय वित्त आयोग से त्रिस्तरीय पंचायतों को आवंटित हुए 1.43 अरब।
संवाद सूत्र, गोंडा। वित्तीय वर्ष 2025-26 में सात माह बीतने के बाद आखिरकार केंद्रीय वित्त आयोग की द्वितीय किस्त त्रिस्तरीय पंचायतों को आवंटित हो गई है। टाइड फंड के रूप में यह धनराशि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतें विभिन्न प्रकार के ग्रामीण विकास कार्यों के लिए खर्च कर सकेंगी। 15वें वित्त आयोग से देवीपाटन मंडल के गोंडा, बहराइच, बलरामपुर व श्रावस्ती जिले के लिए एक अरब 43 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
गांवों में नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पंचायतीराज विभाग ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों को राज्य वित्त व केंद्रीय वित्त आयोग से धनराशि उपलब्ध कराती है।
दोनों योजनाओं से धनराशि प्रत्येक वर्ष चार किस्तों में आवंटित पंचायतों को आवंटित की जाती है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में सात माह बीतने के बावजूद पंचायतों को 15वें वित्त आयोग से टाइड फंड के रूप में द्वितीय किस्त आवंटित नहीं हो सकी थी, जिससे गांवों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे थे।
चुनाव मौसम में बजट आवंटित न होने से ग्राम प्रधानों को में रोष बढ़ता जा रहा था। संयुक्त सचिव जय प्रकाश पांडेय ने सभी जिलों के लिए बजट किया है। ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष के जिलाध्यक्ष उमापति त्रिपाठी का कहना है कि बजट आवंटन में देरी से विकास कार्य बाधित थे। अब अधूरे कार्य पूरे हो सकेंगे।
किस जिले को मिली कितनी धनराशि
| जिला | धनराशि |
|---|---|
| गोंडा | 48.35 |
| बहराइच | 48.11 |
| बलरामपुर | 30.59 |
| श्रावस्ती | 16.57 |
नोट: धनराशि करोड़ रुपये में है।
कहां खर्च कर सकते हैं टाइड फंड
केंद्रीय वित्त आयोग के टाइड फंड का उपयोग विभिन्न प्रकार के ग्रामीण विकास कार्यों के लिए किया जा सकता है, जिनमें केंद्रीय वित्त आयोग के टाइड फंड (बद्ध अनुदान) का उपयोग मुख्य रूप से स्वच्छता और पेयजल आपूर्ति से संबंधित परियोजनाओं के लिए किया जाता है।
इसका उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों को जल संचयन, और खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति को बनाए रखने और सुधारने जैसे विशिष्ट कार्यों के लिए किया जाता है।

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