गोरखपुर सबरंग: छठ का प्रसाद, आस्था में घुला पवित्रता का रस
छठ पर्व भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह चार दिनों तक चलता है और इसमें पवित्रता और श्रद्धा का विशेष महत्व है। नहाय-खाय से शुरू होकर खरना तक, भक्त विशेष भोजन बनाते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। ठेकुआ इस पर्व का मुख्य प्रसाद है। गन्ने और अन्य फल भी पूजा में महत्वपूर्ण होते हैं।

मानसरोवर पोखरा। जागरण आईकान
देश की सांस्कृतिक थाली में यदि कोई पर्व सबसे सात्विक, अनुशासित और आत्मिक माना जाए तो वह है छठ। यह सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि पवित्रता, संयम और कृतज्ञता का उत्सव है। सूर्यदेव और छठी मैया को समर्पित यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर अन्नकण, हर प्रसाद और हर आहूति पवित्र भावनाओं से ओतप्रोत होती है।
छठ का भोजन अपनी सात्विकता व पवित्रता में ही दिव्यता समेटे होता है। व्रती पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की रस्म निभाते हैं। इस दिन अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। वह भी बिना लहसुन-प्याज और नमक के। भोजन मिट्टी या पीतल के पात्रों में पकाया जाता है, लकड़ी या उपलों की आंच पर ताकि स्वाद के साथ श्रद्धा भी बनी रहे।
नहाय खाय के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन गुड़ का रसियाव-रोटी बनाने की विशेष परंपरा है। व्रती महिलाएं संध्या में मिट्टी के नए चूल्हे पर चावल व गुड़ का रसियाव-रोटी बनाती हैं। केला व अन्य फलों के साथ पहले छठी मइया का भोग लगाती हैं। उसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करती हैं और फिर परिवार के सदस्यों के साथ ही आस-पड़ोस के लोगों में वितरित करती हैं।
'खरना' बेहद कठिन माना जाता है। कहा जाता है कि जो महिलाएं इस महापर्व के कठिन व्रत को पूरे नियम के साथ करती हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है और उनके परिवार के सदस्यों पर कभी किसी प्रकार की कोई मुसीबत नहीं आती है। खरना के अगले दिन ही भोर से ही घरों में छठ का महाप्रसाद पुड़ी, ठेकुआ व खजूर तथा अन्य पकवान बनाई जाती है।
यह भी पढ़ें- Chhath Puja: नहाय खाय से लोक आस्था का महापर्व 'छठ' शुरू, खरना आज
ठेकुआ छठ का सबसे प्रिय प्रसाद है। यह आस्था और स्वाद का संगम है। गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना यह पकवान न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि हर घर की परंपरा का हिस्सा भी। कोई इसे फूल की आकृति में सजाता है, तो कोई सूखे मेवे से। गुड़ की मिठास और घी की खुशबू मिलकर जैसे भक्ति का अमृत घोल देती है। हर निवाला सात्विकता का प्रतीक है।
पूजा में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख फल
छह पूजा में प्रयुक्त होने वाले फलों में गन्ना सबसे खास फल होता है। पूजन के साथ-साथ व्रती महिलाएं कोसी भरते समय खड़े गन्ने का प्रयोग करती हैं। इसके अलावा नारियल, केला, नींबू, सुपारी, अमरूद, सिघाड़ा (पानी फल), संतरा, मौसमी, पनियाला, सेब, सीता फल, अमरख, सुथनी, गंजी, आंवला व मूंगफली शामिल हैं। इसके अलावा सब्जियों में कद्दू, अदरक, हल्दी व मूली आदि प्रमुख हैं।
-प्रस्तुति: प्रभात कुमार पाठक

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।