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    गोरखपुर में बोले सीएम योगी, 'आंतरिक अराजकता से खोखला हो चुका है पाकिस्तान'

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 07:32 AM (IST)

    CM Yogi Adityanath मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर पाकिस्तान को अराजक राष्ट्र बताया। उन्होंने कहा कि आंतरिक अराजकता से वह खोखला हो चुका है। योगी ने राष्ट्र की सुरक्षा और विकास के लिए नागरिकों की रक्षा और दुष्टों के संहार को आवश्यक बताया।

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    संगोष्ठी को संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के दौरान संगोष्ठी के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पाकिस्तान काे अराजक राष्ट्र बताया। आचार्य चाणक्य के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि कोई राष्ट्र वाह्य रूप से सुरक्षित हो और आंतरिक रूप से असुरक्षित तो उसे अराजक राष्ट्र माना जाता है। ऐसा अराजक राष्ट्र शीघ्र समाप्त हो जाता है। पाकिस्तान इसी तरह के अराजक राष्ट्र का उदाहरण है। आंतरिक अराजकता से वह पूरी तरह खोखला हो चुका है। भारत प्राचीनकाल से ही इसे लेकर सजग और सतर्क रहा है।

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    ‘भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा के माहौल में ही कोई राष्ट्र समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। अपने नागरिकों का संरक्षण और दुष्टों का संहार करके राष्ट्र सुरक्षित रह सकता है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि वैदिक काल से ही भारत में यह शिक्षा दी जाती रही है कि धरती हमारी माता है। कोई भी सुयोग्य पुत्र मां के साथ अराजकता बर्दाश्त नहीं कर सकता। ऐसे में भारत मां की आन, बान और शान के प्रति किसी ने दुस्साहस किया तो उसके खिलाफ हर भारतीय खड़ा नजर आएगा।

    योगी ने रामायण काल में उपद्रवियों के नाश के लिए प्रभु श्रीराम के ‘निसिचर हीन करहुं महि…’ संकल्प को रामराज की आधारशिला बताया। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ के उद्घोष को संदर्भित करते हुए कहा कि नागरिकों का संरक्षण और दुष्टों का संहार राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपरिहार्य है।

    2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंचप्रण की याद दिलाते हुए उन्होंनेे कहा कि इसमें सेना के जवानों के प्रति सम्मान का भाव रखने का भी एक संकल्प है।

    उन्होंने कहा कि नागरिक चैन की नींद इसलिए सो पाते हैं कि हमारे सैनिक देश के सीमा पर माइनस 50 डिग्री तापमान में भी देश की सुरक्षा के लिए खड़े रहते हैं। भारतीयों के लिए यह गर्व की बात है कि भारतीय सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में युद्ध के तौर-तरीके बदले हैं। बदली परिस्थितियों में भी हमारी सेना ने दुश्मन को उसकी सीमाओं का अहसास कराया है। राष्ट्र रक्षा व सुरक्षा की चर्चा के क्रम में ही योगी ने महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के राष्ट्रप्रेम को याद किया।

    कहा कि पांथिक संकीर्णता में बंधे रहने की बजाय महंतद्वय ने भारत और भारतीयता के लिए किए गए हर आह्वान में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। पूरा जीवन राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को शिक्षक दिवस की बधाई दी और देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा. राधा कृष्णन को याद किया। कहा कि डा. राधाकृष्णन एक दार्शनिक शिक्षक थे। उन्होंने समाज के मुद्दों को दार्शनिक दृष्टि से देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।

    महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित पुण्यतिथि समारोह के अंतर्गत ’भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित छात्र। जागरण


    राष्ट्र की सुरक्षा में उत्पन्न हुए हैं अमूर्त खतरे : प्रो. हर्ष सिन्हा

    संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभाग के आचार्य प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की सीमाएं अनंत हैं। उसे देखने के कई कोण हैं।

    उन्होंने कहा कि सात देशों की सीमाएं भारतीय सीमा को स्पर्श करती हैं। 17 राज्यों की सीमाएं अंतरराष्ट्रीय हैं। प्रो. सिन्हा ने कहा कि आतंकवाद की 70 प्रतिशत घटनाओं में कमी आई है, फिर भी चुनौती बनी हुई है। राष्ट्र की सुरक्षा में नए किस्म के और अमूर्त खतरे उत्पन्न हुए हैं। इस क्रम में उन्होंने साइबर अटैक की चर्चा की।

    बताया कि देश में प्रति मिनट 761 साइबर अटैक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कुछ साहसिक फैसलों, संकल्पों और पराक्रम की मांग करती है। संगोष्ठी को अशर्फी भवन अयोध्या से आए स्वामी श्रीधराचार्य ने भी संबोधित किया।

    संगोष्ठी का शुभारंभ महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के चित्रों पर पुष्पांजलि से हुआ। दिग्विजय स्त्रोत पाठ डा. अभिषेक पांडेय, महंत अवेद्यनाथ स्त्रोत पाठ डा. प्रांगेश कुमार मिश्र, वैदिक मंगलाचरण डा. रंगनाथ त्रिपाठी और गोरक्ष अष्टक पाठ आदित्य तिवारी व गौरव पांडेय ने किया। कार्यक्रम का संचालन डा. श्रीभगवान सिंह ने किया।

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    इस अवसर पर परिधान पीठ गोपाल मंदिर अयोध्या के स्वामी राम दिनेशाचार्य, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी के स्वामी संतोषाचार्य उर्फ सतुआ बाबा, सवाई आगरा के ब्रह्मचारी दास लाल, हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत राजूदास, धर्मदास, अयोध्या से आए महंत कमल नयनदास, अनंत स्वामी पद्मनाभाचार्य, महंत रामलखनदास, राममिलनदास, जबलपुर के स्वामी नरसिंहदास आदि मौजूद रहे।

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