गोरखपुर रामगढ़ताल के पास अवैध निर्माण पर कार्रवाई की तैयारी, 50 मीटर दायरे से हटेगा अतिक्रमण
गोरखपुर के रामगढ़ताल क्षेत्र में अतिक्रमण पर जिला प्रशासन सख्त हो गया है। जिलाधिकारी ने ताल के 50 मीटर के दायरे में बने अवैध निर्माणों को चिन्हित कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। जीडीए ने अतिक्रमण हटाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है। रामगढ़ताल को आर्द्रभूमि घोषित किया गया है और इसके चारों ओर निर्माण की सीमा तय की गई है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। रामगढ़ताल क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण पर अब एक बार फिर सख्त कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। जिला पर्यावरण समिति की बैठक में डीएम दीपक मीणा ने स्पष्ट निर्देश दिया कि ताल के 50 मीटर के भीतर बने सभी अवैध निर्माणों का शीघ्र चिन्हांकन और सीमांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। डीएम ने कहा कि यह मामला पर्यावरणीय संतुलन और जनहित से जुड़ा है, इसलिए इसमें किसी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीएम ने समन्वयक विभाग को निर्देश दिया कि इस संबंध में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को पत्र भेजकर कार्रवाई में तेजी लाई जाए। इसी क्रम में जीडीए ने अतिक्रमणों की पहचान और निस्तारण के लिए आंतरिक समिति गठित कर दी है। यह समिति नियमों और मानकों के अनुरूप अनुमान तैयार करेगी, ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई सुचारू रूप से हो सके।
पहले नौ मार्च 2018 को रामगढ़ताल को वेटलैंड (आर्द्रभूमि) घोषित किया गया था। हालांकि, अधिसूचना में कुछ गाटों के अंकन में त्रुटि के कारण इसे वापस ले लिया गया था। इसके बाद 7 दिसंबर 2020 को राज्यपाल ने पुनः इसे आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचित किया।
रामगढ़ताल आर्द्रभूमि के प्रभावित परिक्षेत्र (जोन आफ इंफ्लूयेंस) में अलग-अलग स्थानों पर निर्माण की सीमा तय की गई है। एक स्थान पर यह दायरा 119 मीटर, चार स्थानों पर 100 मीटर, एक स्थान पर 80 मीटर और 22 स्थानों पर सिर्फ 50 मीटर रखा गया है। इन दायरों के भीतर किसी भी नए निर्माण को अनुमति नहीं है।
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