UP में साइबर फ्राड पर सख्ती, प्रदेश में 91 हजार खातों को कराया गया फ्रीज
गोरखपुर में ऑनलाइन गेमिंग और साइबर अपराध के चलते कई खाते फ्रीज हो गए हैं। पुलिस ने प्रदेश भर में 91 हजार से अधिक खाते फ्रीज किए हैं, जिनमें गोरखपुर के 3,838 खाते शामिल हैं। साइबर सेल लोगों को जागरूक रहने और संदिग्ध लिंक से बचने की सलाह दे रही है। म्यूल अकाउंट के जरिए भी धोखाधड़ी हो रही है, जिसकी जांच जारी है।

गोरखपुर जिले के शामिल है तीन हजार 838 बैंक खाते, सभी में आए है के रुपये। जागरण
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। शहर के रहने वाले राकेश के पास एक ही अकाउंट है, जिसमें उनकी सैलरी आती है। इसी खाते से रुपये निकालकर वह घर का खर्च भी चलाते है। लेकिन, आनलाइन गेम की लत से उनका खाता फ्रीज हो गया। इसकी जानकारी भी उन्हें तब हुई, जब वह रुपये निकालने के लिए बैंक गए। बैंक कर्मी द्वारा बताया गया कि उनके खाते में साइबर अपराध के रुपये आए है। आनलाइन शिकायत मिलने पर पुलिस ने फ्रीज करा दिया है।
इसी तरह से एक और मोहल्ले के रहने वाले हिमांशु को भी रुपये की जरूरत थी। लेकिन, बैंक जाने पर उनका खाता फ्रीज मिला। पूछताछ में पता चला कि साइबर अपराध टोल फ्री नंबर 1930 पर आई शिकायत के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की है। साइबर सेल जाकर जब उन्होंने जांच कराई तो पता चला कि उनके खाते में तेलंगाना से रुपये आए है, जो साइबर फ्राड के है।
ये दो मामले तो सिर्फ उदाहरण है। कई और है, जिनके खाते फ्रीज हो चुके है, लेकिन, उन्हें जानकारी तब हुई, जब वह रुपये निकालने के लिए बैंक पहुंचे। पुलिस के अनुसार साइबर अपराध और टोल फ्री नंबर पर मिली शिकायतों पर प्रदेशभर में 91 हजार 140 खातों को फ्रीज कराया है। इन सभी खातों में साइबर ठगी के रुपये पहुंचे है।
इसमें गोरखपुर जिले से जुड़े तीन हजार 838 बैंक खाते भी फ्रीज किए गए हैं। इनमें अधिकतर शिकायते प्रदेश के बाहर की हैं, लेकिन फर्जीवाड़े का धन इन खातों में पहुंचने के कारण कार्रवाई की गई। यह आकड़े जनवरी 2025 से अबतक के है। जबकि वर्ष 2024 में प्रदेशभर में यह आकड़ा सिर्फ 70 हजार 203 था।
वहीं साइबर सेल के शशि जायसवाल का कहना है कि उनके पास हर दिन चार से पांच लोग खाता फ्रीज होने की शिकायत लेकर आते है। बताते है कि उन्हें गाड़ी खरीदनी थी, कार्यक्रम था लेकिन, खाते से रुपये नही निकल रहे है। जब जांच की जाती है तो उनके खाते में दूसरे राज्यों से भेजे गए साइबर फ्राड के रुपये मिलते है।
पूरी जांच के बाद लिखित प्रार्थना पत्र लेकर जितने रुपये उनके खाते फ्राड के आए रहते है, उसे फ्रीज कर अन्य रुपये को दिलवा दिया जाता है। जिससे की वह अपना कार्यक्रम संपन्न कर सकें। शशि बताते है कि बढ़ती तकनीक के साथ ठगी के तरीके भी बदल रहे हैं, ऐसे में जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है। लोगों को संदिग्ध काल, लिंक और ऐप से सतर्क रहने की जरूरत है।
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1620 म्यूल अकाउंट की चल रही जांच
रूपयों का लालच देकर साइबर अपराधियों ने दूसरे के नाम से म्यूल अकांउट संचालित करा रहे थे। जिले में इस तरह के 1620 अकाउंट मिले है। जिसकी जांच एसपी अपराध से लेकर साइबर पुलिस कर रही है। साइबर कमांडों एसआइ उपेन्द्र सिंह ने बताया कि म्यूल खाता एक बैंक खाता होता है, जिसका इस्तेमाल अपराधी अवैध धन को सफेद करने के लिए करते हैं। ये खाते अक्सर अनजान व्यक्तियों द्वारा आसानी से रुपये कमाने के लालच में या जबरन इसमें शामिल होने के लिए खोले जाते हैं।
इसके बाद अपराधी उस व्यक्ति के सभी कागजात अपने पास रख लेता है और खुद संचालित करता है। पकड़े जाने पर अपराधी के साथ वह व्यक्ति भी आरोपित बनता है। इसलिए, थोड़े से रुपये के लालच में किसी भी व्यक्ति को अपने कागजात न दें और न ही खाता खुलवाएं। अन्यथा साइबर मामले में पुलिस सख्त हो गई, शिकायत मिलते ही कार्रवाई हो रही है।
पांच गलतियां बना सकती हैं कंगाल, रहे सावधान
- अनजान लिंक पर क्लिक करना – चाहे दोस्त का ही नंबर क्यों न दिख रहा हो।
- प्ले स्टोर के बाहर से एपीके फाइल डाउनलोड करना (90 प्रतिशत मैलवेयर इसी रास्ते आता है)।
- फोन में स्क्रीन शेयरिंग ऐप रखना और किसी को भी रिमोट एक्सेस दे देना।
- एक ही पासवर्ड, पिन सभी एप में प्रयोग करना।
- ओटीपी किसी को भी बताना, चाहे खुद को बैंक वाला ही कहे।
विशेषज्ञों की सलाह: अभी करें ये काम
साइबर कमांडो उपेंद्र सिंह ने बताया कि फोन में आटोमैटिक ऐप अपडेट आन रखें। गूगल प्ले प्रोटेक्ट को आन करें, ये 99 प्रतिशत खतरनाक एप को पकड़ लेता है। बैंकिंग एप के लिए अलग वर्चुअल कार्ड बनवाएं, लिमिट पांच से 10 हजार रखें। यूपीआई पिन कभी भी स्क्रीन शेयर करते वक्त किसी को देखने न दें।
फोन में अच्छा एंटीवायरस इंस्टाल करें। अगर कोई तत्काल रुपये भेजने को कह रहा है, तो रुकें। 10 सेकंड का ब्रेक आपके लाखों रुपये बचा सकता है। उपेंद्र सिंह ने बताया कि 90 प्रतिशत मामले इसलिए होते हैं क्योंकि लोग जल्दबाजी में गलत लिंक क्लिक कर लेते हैं।
साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे है। लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। गलती से खाता या अन्य डिटेल बताने पर अपराधी साइबर फ्राड के रुपये खाते में भेज दे रहे है। शिकायत मिलने पर खाता फ्रीज हो रहा है। बीते वर्ष की अपेक्षा इस बार खाता फ्रीज होने की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा किसी अनजान के बहकावें में आकर अपने कागजात दूसरे को न दें और न खाता ही खुलवाएं। इस तरह के म्यूल खातों की भी जांच हो रही है।
-सुधीर जायसवाल, एसपी अपराध

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