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    आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में शुरू हुई डिमेंशिया से जंग, देश के छह शहरों में शुरू हुआ शोध

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 11:55 AM (IST)

    गोरखपुर एम्स समेत छह संस्थानों ने मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर एक शोध शुरू किया है जिसमें 1800 नागरिक भाग ले रहे हैं। इस शोध का उद्देश्य मनोभ्रंश की शुरुआत को रोकना या देरी करना है। नागरिकों को तीन श्रेणियों में बांटकर अध्ययन किया जाएगा जिसके निष्कर्षों के आधार पर देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा।

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    लूडो खेलतीं महिलाएं। सौजन्य - एम्स गोरखपुर

    दुर्गेश त्रिपाठी, जागरण गोरखपुर। डिमेंशिया (मनोभ्रंश) को प्रभावी तरीके से खत्म करने या इसकी शुरुआत में देर करने के लिए शोध हो रहा है। एम्स गोरखपुर समेत देश के छह बड़े चिकित्सा संस्थानों में 18 सौ नागरिकों पर शोध शुरू हो गया है। शोध कार्य एम्स गोरखपुर के मार्गदर्शन में हो रहा है।

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    एक वर्ष तक नागरिकों को तीन श्रेणियों में बांटकर शोध होगा। इसके बाद इसके निष्कर्षों की पड़ताल की जाएगी। निष्कर्ष के आधार पर पूरे देश में डिमेंशियों पर काबू पाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सहयोग से शोध कार्य हो रहा है। इनमें महिलाओं की संख्या 70 प्रतिशत है।

    एम्स गोरखपुर ने हाल ही में 1013 बुजर्गों पर अध्ययन कर बताया था कि डिमेंशिया का जोखिम 75 वर्ष की उम्र से ऊपर वालों में अधिक है। निरक्षरता और केवल प्राथमिक शिक्षा वाले इससे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अलावा दिहाड़ी मज़दूर, गृहिणी और बेरोजगार वर्ग, विधवा/विधुर एवं तलाकशुदा व्यक्तियों में यह अधिक है।

    40 से 60 वर्ष आयु पर केंद्रित शोध

    एम्स गोरखपुर के शोध अध्ययन के निर्देशों के आधार पर आइसीएमआर ने एक राष्ट्रीय हस्तक्षेप अध्ययन स्वीकृत किया। इसका नाम मेद्या वृद्धि रखा गया है। इसकी अगुवाई एम्स गोरखपुर कर रहा है। यह शोध 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग पर केंद्रित है। उद्देश्य यह है कि समय रहते कदम उठाकर स्मृति ह्रास की शुरुआत को टाला या देर किया जा सके।

    यह केंद्र ले रहे हिस्सा

    • एम्स गोरखपुर (लीड सेंटर)
    • एम्स नागपुर
    • एम्स राजकोट
    • एम्स गुवाहाटी
    • जिपमर, पुडुचेरी
    • पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़

    शोध का दायरा

    • पूरे भारत के 100 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर को शामिल किया गया है।
    • गोरखपुर में 30 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में से 10 पर काम शुरू हो चुका है।

    यह किया जा रहा

    योग, संगीत चिकित्सा, स्मृति खेल, मधुमेह, रक्तचाप व थायरायड का प्रबंधन, मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स, आहार परामर्श और सामुदायिक मेल-जोल।

    चरगांवा में व्यायाम करतीं महिलाएं। सौजन्य-एम्स गोरखपुर


    यह है स्मृति ह्रास

    स्मृति ह्रास का अर्थ केवल भूलना नहीं है। यह निर्णय लेने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पैदा करता है। नई जानकारी समझने और अपनाने की कमी, नाम, घटनाएं और अनुभव भूलने लगता है।

    इन तीन श्रेणियों में बांटकर हो रहा शोधपहली श्रेणी में शामिल नागरिकों को सिर्फ जानकारी दी जाएगी। दूसरी श्रेणी के नागरिकों को जागरूकता के लिए पुस्तक दी जाएगी और तीसरी श्रेणी में शामिल नागरिकों को पांच दिन के विशेष सत्र में शामिल कराया जाएगा।

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    हमारे अध्ययन में पाया गया कि गोरखपुर के 10 में से आठ बुजुर्ग डिमेंशिया से प्रभावित हैं। शिक्षा और व्यवसाय सबसे बड़े सुरक्षात्मक कारक हैं। मेद्या वृद्धि के जरिये हम 40 से 60 वर्ष की आयु वालों पर केंद्रित कर रहे हैं ताकि समय रहते हस्तक्षेप कर डिमेंशिया को दूर किया जा सके या इसके प्रभाव में देर हो सके।

    -डा. यू वेंकटेश, असिस्टेंट प्रोफेसर व मुख्य शोधकर्ता, एम्स गोरखपुर

    अब हम समस्या की पहचान से समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। मेद्या वृद्धि को आयुष्मान आरोग्य मंदिर नेटवर्क में लागू कर हम डिमेंशिया रोकथाम को गांव और कस्बों तक पहुंचाना चाहते हैं। यह बढ़ती उम्र के साथ बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। इससे बचने की तैयारी में हम योगदान देंगे। -मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक, एम्स गोरखपुर

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