Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    औषधि निर्माण से लेकर पंचकर्म तक! महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय बन रहा है स्वास्थ्य का बड़ा केंद्र

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 09:32 PM (IST)

    गोरखपुर का महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय अपने पहले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार से चर्चा में है। 28 अगस्त 2025 को चौथा स्थापना दिवस मनाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपनों को साकार करता यह विश्वविद्यालय जहाँ पहले दिन ओपीडी में 26 रोगी देखे गए अब प्रतिदिन 1000 से अधिक रोगियों का इलाज कर रहा है जिससे आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है।

    Hero Image
    जहां पहले दिन ओपीडी में देखे गए 26 रोगी, वहां एक हजार का आंकड़ा पार।

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय अपने पहले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार से चर्चा में आ गया है। सात और आठ सितंबर को परिसर में आयोजित सेमिनार में देश-विदेश के अतिथि और शोधार्थी शामिल हुए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    28 अगस्त 2025 को इसका चौथा स्थापना दिवस मनाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपनों को साकार करता यह विश्वविद्यालय प्रतिदिन नई- नई सुविधाओं के सोपान चढ़ रहा है। यहां जहां पहले दिन के ओपीडी में 26 रोगी देखे गए थे। वहीं इनकी संख्या प्रतिदिन एक हजार पार कर गई है।

    रोगियों की बढ़ती भीड़ से चिकित्सकों को बल मिल रहा है। भटहट के पिपरी में बने इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन एक जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया। इसकी नींव 28 अगस्त 2021 को रखी गई थी।

    तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में शिलान्यास किया था। लगभग 268 करोड़ रुपये की लागत से बने इस विश्वविद्यालय ने गोरखपुर को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी है।

    एक फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वविद्यालय परिसर में ओपीडी का शुभारंभ किया। तब पहले दिन 26 रोगियों का उपचार हुआ था, जबकि आज यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 1000 से अधिक हो गई है।

    प्रतिदिन बढ़ रही रोगियों की भीड़ बता रही है कि लोगों का भरोसा आयुर्वेद के प्रति बढ़ रहा है। वर्तमान में इसके तहत 98 आयुष कालेज (76 आयुर्वेद, 10 यूनानी, 12 होम्योपैथी) संबद्ध हैं। इन कालेजों में लगभग 7,000 छात्र-छात्राएं स्नातक और परास्नातक स्तर पर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

    वर्तमान समय में विश्वविद्यालय के ओपीडी में छह आयुर्वेद चिकित्सक, तीन होम्योपैथिक चिकित्सक और एक यूनानी चिकित्सक तैनात हैं। आयुर्वेद के दो शल्य चिकित्सक (एक महिला एवं एक पुरुष) भी रोगियों का उपचार कर रहे हैं।

    विश्वविद्यालय के ओपीडी में पंचकर्म चिकित्सा की भी शुरुआत हो चुकी है। इसके लिए केरल से प्रशिक्षित थेरेपिस्ट तैनात किए गए हैं। विश्वविद्यालय ने औषधि निर्माण के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए लाइसेंस मिल चुका है और कारीगरों ने औषधि निर्माण शुरू कर दिया है।

    फार्मेसी मेंअश्वगंधा, त्रिफला और आमलिकी चूर्ण बनाया जा रहा है। अत्यधिक उत्पादन के लिए दूसरा स्थल भी चयनित किया जाएगा। जल्द ही स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, एलोपैथिक चिकित्सक की नियुक्ति सहित अन्य प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

    विश्वविद्यालय की ओपीडी में अवकाश के दिनों में भी ओपीडी का संचालन होता है। अन्य कार्य दिवस में सुबह आठ बजे से लेकर अपराह्न दो बजे तक और दो बजे से रात आठ बजे ओपीडी चलाया जा रहा है। पांच हजार से अधिक औषधियों पौधों से परिसर में हरियाली फैली रही है।

    आने वाले समय में 100 बेड की आइपीडी और आधुनिक सुविधाओं से लैस कुटिया में पंचकर्म चिकित्सा उपलब्ध कराई जाएगी। सोमवार को ही आयुष विश्वविद्यालय की क्लिनिकल एथिकल कमेटी को भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने मान्यता दी है। रोगियों के दवा वितरण की सुविधा को बेहतर बनाने के अलावा आडिटोरियम के निर्माण की दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है।