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    Gorakhpur Double Murder Case: हत्यारा कौन? पुलिस की रडार पर 'परिचित चेहरा',पर सबूत अब भी धुंधले

    Updated: Sun, 30 Nov 2025 07:16 AM (IST)

    गोरखपुर में हुए दोहरे हत्याकांड में पुलिस अभी भी अंधेरे में है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और घटनास्थल की जांच से कुछ सुराग मिले हैं, लेकिन हत्यारे की पहचान ...और पढ़ें

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    सीसी कैमरा फुटेज व संदिग्ध के बयान से हर रोज खुल रही रहस्य की नई परत

    जागरण संवाददाता,गोरखपुर। दोहरे हत्याकांड को छह दिन बीत चुके हैं लेकिन पुलिस के सामने तस्वीर अब भी धुंधली है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट, दरवाजे की स्थिति और वार के पैटर्न ने पुलिस को हत्यारे का संभावित प्रोफाइल तो दे दिया पर नाम उजागर नहीं हुआ। दूसरी ओर जांच की पांच बड़ी उलझनें हर दिशा को टकराकर वापस वहीं ला रही हैं जहां से पुलिस चली थी।कातिल के सामने के दरवाजे से आने और उसी रास्ते निकलने ने पुलिस को यह तो साफ कर दिया कि वह घर का परिचित था, लेकिन छह दिनों की जांच के बाद भी यह ''''परिचित'''' कौन है,यह सवाल पुलिस को परेशान कर रहा है।

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    क्राइम ब्रांच और स्वाट ने शुक्रवार से जांच की गति तेज कर दी है। घटनास्थल और रामा फर्नीचर की दुकान पर काम करने वालों से पूछताछ कर यह समझने की कोशिश चल रही है कि हत्यारा कौन हो सकता है।पोस्टमार्टम की रिपोर्ट कहती है कि मां शांति जायसवाल पर तीन गहरे वार किए गए और चौथा वार माथे पर लगाया गया, जिससे दो हड्डियां टूट गईं।

    विमला के सिर के पीछे हुआ एकल वार बताता है कि उस पर पीछे से अचानक हमला किया गया। इस पैटर्न से पुलिस ने एक प्राथमिक निष्कर्ष निकाला है कि हत्यारा शारीरिक रूप से मजबूत, ठंडे दिमाग वाला, और पहले से योजना बनाकर आया व्यक्ति था।सामने का दरवाजा बिना तोड़े खुला होना हत्यारे की पहचान को और सीमित करता है। कोई अनजान व्यक्ति इस तरह से घर में प्रवेश कर ही नहीं सकता था।

    पुलिस के अनुसार, घर के आसपास रहने वाला, परिचित या लंबे समय से परिवार को जानने वाला ही बिना संदेह के अंदर जा सकता है।इन संभावनाओं के बावजूद केस वहीं अटका है। इसकी वजह हैं वे पांच उलझनें, जिन्होंने पुलिस की पूरी प्रक्रिया को धीमा कर दिया।सबसे बड़ी समस्या है सीसी कैमरे के फुटेज में कोई साफ चेहरा नहीं। गली में कैमरा नहीं और जो कैमरे दूर लगे हैं, उनकी फुटेज में सिर्फ चलते-फिरते साये दिख रहे हैं।

    कोई चेहरा, कोई खास पहचान,स्पष्ट नहीं है। इसका मतलब है कि कातिल ने समय और रास्ता सोच-समझकर चुना था।दूसरी उलझन सुशीला के बदलते बयानों की है। एग्रीमेंट की तारीख, रकम और वर्ष जैसे सवालों पर वह प्रत्येक बार अलग जानकारी दे रही थीं।तीसरा पेच है,संदिग्ध की लंबी सूची। ई-रिक्शा चालक हो या चाऊमिन विक्रेता,दोनों को उठाकर कई घंटे पूछताछ की गई, लेकिन प्रमाण न मिलने पर छोड़ना पड़ा। अब दो नए लोग पूछताछ में आए हैं, पर उनके खिलाफ भी अभी तक कोई सीधा सबूत नहीं है। हर पूछताछ के बाद एक नई दिशा खुलती है और उतनी ही जल्दी बंद हो जाती है।

    चौथी उलझन यह है कि घर में संघर्ष कम दिखता है, लेकिन वार बेहद सटीक और जोरदार हैं। यह विरोधाभास पुलिस को परेशान कर रहा है कि क्या हत्यारा अंदर पहले से था? क्या मां-बेटी ने उसे पहले देखा था? क्या विमला अचानक पीछे से मारी गई? इन प्रश्नों के उत्तर बिना तकनीकी साक्ष्य के नहीं मिल पा रहे।सबसे चौंकाने वाली पांचवीं उलझन है,15 साल पुराना नाबालिग भगाने वाला मामला, जिसमें शांति और विमला दोनों जेल गई थीं और लड़की आज तक घर नहीं लौटी।

    पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है, लेकिन इतने वर्षों बाद इसे सीधे आज की वारदात से जोड़ना आसान नहीं है। इन सबके बीच पुलिस का दावा है कि जल्द ही हत्यारा पकड़ा जाएगा।काल डिटेल व घटनास्थल के आसपास सक्रिय नंबरों की सूची तैयार हो चुकी है। अब पुलिस का पूरा ध्यान इन्हीं तकनीकी सबूतों पर है।

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    100 से अधिक सीसी कैमरे देखे,60 से हुई पूछताछ
    घटनास्थल से लेकर संभावित रूट तक पुलिस ने 100 से अधिक सीसी कैमरों की फुटेज खंगाला है।वहीं 60 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। बावजूद इसके हत्या के बाद आरोपी किस दिशा में गए और कौन शामिल है इसका स्पष्ट संकेत अभी नहीं मिला है।जांच में सौतेली बहन और उसके पति का अचानक गायब हो जाना और आखिरी बार उसे घर के आस पास देखे जाने के बाद कोई फुटेज न मिलना, पुलिस की जांच को और पेचीदा बना रहा है।

    यह है मामला :
    गीता वाटिका के पास घोषीपुरवा मोहल्ले में रहने वाली शांति देवी व उनकी बेटी विमला की रविवार रात घर में हथौड़े से सिर कूंचकर हत्या कर दी गई।लखनऊ में रहने वाली शांति देवी की बड़ी बेटी सुशीला ने इस मामले में अज्ञात के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है।एसएसपी ने घटना का पर्दाफाश करने के लिए पांच टीमें बनाई हैं।
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