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    Gorakhpur Factory Fire: योजनाबद्ध कमान, वैज्ञानिक रणनीति ने टाला बड़ा हादसा

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 08:33 AM (IST)

    गोरखपुर के एक औद्योगिक क्षेत्र में आग लगने की घटना में, त्वरित कार्रवाई और योजनाबद्ध रणनीति ने एक बड़े हादसे को टाल दिया। जिला प्रशासन, पुलिस, फायर विभाग और इंजीनियरिंग टीम ने संयुक्त रूप से काम करते हुए आग की दिशा को मोड़ा, टैंक को ठंडा रखा, और फायर फाइटर्स के लिए रोटेशन सिस्टम लागू किया। इस समन्वित प्रयास से टैंक ब्लास्ट और पाइप लाइन फटने जैसे खतरे को रोका गया।

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    टैंक पर केंद्रित कूलिंग रणनीति ने तापमान को खतरनाक स्तर से नीचे लाया।-जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। योजनाबद्ध कमान, वैज्ञानिक रणनीति और लगातार समन्वय ने वह बड़ा हादसा टाल दिया, जो टैंक के ओवरहीट होने पर पूरे औद्योगिक क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकता था। 25 घंटे की यह कार्रवाई गोरखपुर में संयुक्त कमान और रणनीतिक अग्निशमन का उदाहरण बनी। आग पर काबू पाने का आपरेशन पूरी तरह एक रणनीतिक युद्ध की तरह चला।आग लगते ही जिला प्रशासन, पुलिस, फायर विभाग और इंजीनियरिंग टीम ने संयुक्त कमान बनाकर मिनट-टू-मिनट प्लानिंग शुरू की।

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    पूरे ऑपरेशन में तीन मुख्य रणनीति केंद्र में रहीं इसें इंटेंस जोन बनाकर आग की दिशा तोड़ना, टैंक को प्राथमिकता देते हुए लगातार कूलिंग चलाए रखना और फायर फाइटर्स के लिए रोटेशन सिस्टम लागू करना। ऐसी समन्वित योजना और निरंतर निगरानी ने टैंक ब्लास्ट और पाइप लाइन फटने जैसे बड़े हादसे को रोक दिया।

    आग फैलने की शुरुआत होते ही एडीजी अशोक मुथा जैन घटनास्थल पहुंचे और इंटेंस ज़ोन में उच्च प्रेशर वाली दमकलों को लगाया गया, यह वही हिस्सा था जहां आग की जड़ पर सबसे तेज वार की जरूरत थी। सर्कुलेटिंग जोन में बाकी दमकलों को लगाकर आग के फैलाव को रोकने की रणनीति बनाई गई।

    एडीजी का पहला आदेश यही था कि टैंक का तापमान नीचे रखना प्राथमिकता है, पानी की लाइन किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं होगी। यही निर्देश पूरे ऑपरेशन का केंद्र रहा। कुछ ही देर बाद डीएम दीपक मीणा मौके पर पहुंचे और उन्होंने संचालन अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने सबसे पहले टैंक का तापमान रिकॉर्ड मंगाया और एक थर्मल-ग्राफ तैयार कराया, जिसके आधार पर हर दस मिनट में निर्णय लिया जाता रहा।

    डीएम की रणनीति का मुख्य हिस्सा कोल्ड-लाइन ऑपरेशन था जिसमें टैंक की ऊपरी सतह, किनारे और ज्वाइंट्स पर लगातार हाई प्रेशर की धार छोड़ी गई, ताकि टैंक की धातु ओवरहीट होकर फटने की स्थिति में न पहुंचे। डीएम ने इंजीनियरिंग टीम को शामिल कर पाइप लाइन के हर जोड़ की थर्मल जांच का आदेश दिया, ताकि किसी सूक्ष्म क्रैक या लीकेज के खतरे को पहले ही चिन्हित किया जा सके।

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    कमिश्नर अनिल ढींगरा व डीआइजी डाॅ. एस चनप्पा ने टीम रोटेशन सिस्टम लागू किया, ताकि कोई भी फायर फाइटर लगातार गर्मी में फंसा न रहे। सुरक्षा व्यवस्था की कमान एसडीएम सहजनवा और सीओ गीडा के हाथ में रही। दोनों अधिकारियों ने 200 मीटर का सुरक्षा घेरा बनाकर आसपास की कालोनियों और फैक्ट्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। सुरक्षा घेरा इस रणनीति का अहम हिस्सा था, जिससे किसी भी दुर्घटना की स्थिति में जनहानि से बचा जा सके।

    तकनीकी कमान मुख्य अग्निशमन अधिकारी के ज़िम्मे थी। उन्होंने हर घंटे जेट की दिशा बदलकर पानी की धार को उस एंगल पर सेट किया जो टैंक की सतह का वास्तविक तापमान तोड़ सके। उनकी योजना के अनुसार छह दमकलें सिर्फ टैंक कूलिंग में लगी रहीं।

    हॉट-स्पॉट चिन्हित करने के लिए थर्मल स्कैनर लगातार चलता रहा। इंजीनियरिंग टीम ने भी रणनीतिक भूमिका निभाई। थर्मल स्कैनर और सेंसर की मदद से उन्होंने पाइप लाइन में दो संभावित लीकेज बिंदुओं की पहचान की, जिनकी जानकारी तुरंत फायर टीम को दी गई।