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    Gorakhpur Factory Fire: रातभर जागा पड़ोस का गांव, घर से बाहर रहा कई परिवार

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 08:26 AM (IST)

    गोरखपुर में एक तेल कारखाने में आग लगने से पास के जुड़ियान गांव में दहशत फैल गई। ग्रामीण रात भर जागते रहे, आग की लपटों और संभावित विस्फोटों से डरते रहे। दमकल कर्मियों ने बहादुरी से आग पर काबू पाया, जिससे गांव सुरक्षित रहा। सुबह तक स्थिति नियंत्रण में आ गई, जिससे निवासियों और अग्निशामकों दोनों को राहत मिली। घटना ने कारखानों में सक्रिय अग्नि सुरक्षा प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डाला।

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    सुबह पांच बजे कंट्रोल रूम को दी गई आग काबू में आने की सूचना। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। ब्रान ऑयल फैक्ट्री में लगी आग का असर बगल में स्थित जुड़ियान गांव में भी रहा।अनहोनी की आशंका में ग्रामीणों की रात दहशत और बेचैनी में कटी। लपटें आसमान को छू रही थीं, हवा का रुख बदलते ही उसकी तपिस घर तक पहुंच रही थी। लोग घरों से निकलकर सड़क पर डटे रहे।

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    गांव के लोग आग लगने की शुरुआत के कुछ ही मिनट बाद घरों से बाहर निकल आए थे। जैसे-जैसे रात गहराती गई, हवा का रुख बदलता रहा महिलाओं ने बच्चों को गोद में उठाकर सुरक्षित जगह की तलाश की। कुछ लोग टार्च लेकर गलियों में घूमते रहे, कुछ सड़क पर खड़े आग की दिशा और दमकल की हलचल देखते रहे।

    डर इस बात का था कि कहीं आग टैंक तक न पहुंच जाए और कोई धमाका न हो जाए। यही बेचैनी पूरे गांव में फैली रही। फायर फाइटर्स पूरी मुस्तैदी से आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे। गांव के लोग दूर से यह संघर्ष देखते रहे।

    गांव की एक महिला ने कहा, हम पूरी रात जागते रहे, लेकिन ये बहादुर लड़के आग के सामने खड़े रहे। अगर ये नहीं होते तो गांव बचता ही नहीं। बच्चों को गोद में लिए कई महिलाएं आग की लपटें देखकर कांप उठती थीं।

    भोर होने लगी तो गांव और फायर टीम दोनों के लिए यह पहला सुकून भरा क्षण था। पानी की बौछारें लपटों को शांत करने लगीं और टैंक का तापमान नीचे आने लगा। पांच बजे कंट्रोल रूम से पहली सूचना आई कि तापमान स्थिर है और आग लगभग काबू में है। गांव में भी राहत की हवा चली और कई लोग घरों की ओर लौटने लगे।

    उधर, फायर फाइटर्स जमीन पर बैठकर पानी पीते दिखे,भाप से काला पड़ा चेहरा, हाथों पर लाल निशान और आंखों में थकान, लेकिन चेहरे पर संतोष था। उन्होंने सिर्फ आग नहीं बुझाई, बल्कि उस गांव की पूरी रात की सुरक्षा भी की जो उनके भरोसे जागता रहा।

    यह भी पढ़ें- Gorakhpur Factory Fire: चेहरों पर खौफ, अनहोनी की आशंका से बढ़ी रही धड़कन

    अगर सेंसर सक्रिय होते तो आग 10 मिनट में रुक जाती

    रूंगटा इंडस्ट्रीज की आग ने यह सवाल खड़ा किया कि आखिर एक फैक्ट्री के अंदर मौजूद आधुनिक फायर सिस्टम किस काम के, अगर वे संकट के समय सक्रिय ही न हों? तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि फैक्ट्री का फायर सिस्टम पूरी क्षमता से काम कर रहा होता, तो आग लगने के 10 मिनट के भीतर ही पूरा संकट नियंत्रित किया जा सकता था।

    यह विश्लेषण बताता है कि आग की शुरुआत कैसे रुक सकती थी।अगर तापमान सेंसर सक्रिय होते, तो आग लगते ही पहले 20-30 सेकंड में तापमान में आई असामान्य बढ़ोतरी का सिग्नल कंट्रोल पैनल को मिल गया होता। ब्रान आयल जैसे ज्वलनशील पदार्थ के पास रखे सेंसर धुएं से पहले गर्मी पकड़ते हैं, इसलिए इस चरण में ही सिस्टम चेतावनी दे देता।

    जैसे ही तापमान सीमा पार करता, थर्मल अलार्म स्वतः बज उठता, और कंट्रोल रूम में मौजूद आटोमैटिक सिस्टम स्प्रिंकलरों को सक्रिय कर देता।इसके अलावा फैक्ट्री के प्लांट डिजाइन में एक ऐसा वाल्व होता है, जो आग लगते ही पाइप के फ्लो को बंद कर देता है।

    अगर यह सिस्टम चालू होता, तो पाइप में मौजूद गर्म ब्रान ऑयल आगे नहीं बहता,पाइप का तापमान तेजी से नीचे आ जाता और आग को फैलाव का कोई ईंधन नहीं मिलता।