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    बंगाल से बन रहे फर्जी पासपोर्टों ने बढ़ाई सुरक्षा एजेंसियों की चिंता, लंबे समय से चल रहा यह खेल

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 10:05 AM (IST)

    गोरखपुर में दो पासपोर्ट बनवाने के मामले सामने आने से सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं। डीआइजी ने पूरे गोरखपुर रेंज में जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस पुरानी ...और पढ़ें

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एक व्यक्ति द्वारा दो पासपोर्ट बनवाने के लगातार सामने आ रहे मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। डीआइजी डा. एस. चनप्पा ने इसे सामान्य गड़बड़ी नहीं बल्कि बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करने वाला गंभीर संकेत मानते हुए पूरे गोरखपुर रेंज में जांच के आदेश दिए हैं।

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    पासपोर्ट बनवाने में हुई जालसाजी के मामले की पुरानी फाइलें, डिजिटल रिकार्ड, आवेदन पत्र, सत्यापन रिपोर्ट और काउंटर फाइलें अब नई सिरे से खंगाली जाएंगी। पुलिस की प्रारंभिक जांच का मानना है कि गोरखपुर और बंगाल के बीच कोई संगठित चैनल सक्रिय हो सकता है, जो अपराधियों को दूसरी पहचान देकर पासपोर्ट जारी कराने में मदद कर रहा है।

    बड़हलगंज का मामला इस संदिग्ध नेटवर्क की ओर पहला बड़ा इशारा बनकर सामने आया। रजौली गांव के जिला बदर अपराधी रामेश्वर यादव ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे पहले लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय से अपने वास्तविक पते पर पासपोर्ट बनवाया। इसके बाद, गुंडा एक्ट के तहत जिला बदर होने के बावजूद उसने खुद की पहचान बदलकर पश्चिम बंगाल के नार्थ 24 परगना जिले के दमदम क्षेत्र के पते पर दूसरा पासपोर्ट बनवा लिया।

    एक दिसंबर 2024 को दूसरा पासपोर्ट जारी हुआ।मामला एडीजी मुथा अशोक जैन तक पहुंचा तो कार्रवाई तत्काल शुरू हुई। बड़हलगंज पुलिस ने फर्जी दस्तावेज, धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत मुकदमा दर्ज कर रामेश्वर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपित ने दूसरे पासपोर्ट के लिए बंगाल में सक्रिय कुछ बिचौलियों की मदद ली थी। यह पहलू अब पूरे केस का केंद्र माना जा रहा है।

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    डीआइजी ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे पिछले वर्षों में जारी ऐसे सभी पासपोर्टों की काउंटर फाइलें खंगालें, जिनमें पहचान या पते को लेकर किसी भी तरह का संदेह दर्ज किया गया हो। इसके अलावा सत्यापन रिपोर्ट तैयार करने वाले पुलिस कर्मियों, संबंधित कर्मचारियों और बिचौलियों की सूची भी तैयार की जाएगी।अकेले गोरखपुर जिले में 36 पासपोर्ट जालसाजी के मामले दर्ज हैं। यह संख्या बताती है कि इन घटनाओं को अलग-अलग मामले मानने की भूल अब नहीं की जा सकती।

    आशीष ने रामअशीष बन बनवाया पासपोर्ट,पुलिस ने पकड़ा:
    सिकरीगंज के रोहारी गांव निवासी आशीष कुमार ने फर्जी तरीके से रामअशीष नाम से दूसरा पासपोर्ट बनवाया। दोनों पासपोर्ट में मतदाता पहचान पत्र अलग-अलग थे, लेकिन आधार नंबर एक ही होने पर जालसाजी पकड़ में आ गई। सिकरीगंज थाने में तैनात दारोगा बैजनाथ बिंद की तहरीर पर 22 फरवरी 2025 को मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने मंगलवार की सुबह आरोपित को गिरफ्तार कर कर न्यायालय में पेश किया जहां से जेल भेज दिया गया।

    दोहरी पहचान पर पासपोर्ट जारी होना सुरक्षा के लिहाज़ से गंभीर खतरा है। पूरे रेंज में सभी संदिग्ध फाइलों की नई सिरे से जांच होगी। यदि इसके पीछे कोई संगठित नेटवर्क या कोई कर्मचारी शामिल पाया गया, तो दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी।फर्जी पासपोर्ट बनवाने में शामिल लोगों पर भी कार्रवाई होगी।

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    - डाॅ. एस. चनप्पा, डीआइजी, गोरखपुर रेंज