गोरखपुर में Smart Meter बना बिजली निगम के घाटे का कारण, कर्मचारियों का प्रदर्शन
गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली निगम को हो रहे घाटे पर चिंता जताई है। समिति का आरोप है कि स्मार्ट मीटर कंपनियां पुराने मीटर की रीडिंग कम कर रही हैं जिससे बकाया राशि माफ हो रही है। इससे निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है और निजीकरण को बढ़ावा मिल रहा है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर बिजली निगम का घाटा बढ़ने का आरोप लगाया है। मोहद्दीपुर स्थित हाइडिल कालोनी में निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में प्रदर्शन करते हुए समिति के संयोजक पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी पुराने मीटर में स्टोर रीडिंग को कम कर दे रही है। इससे पहले का बकाया खत्म हो जा रहा है। यानी बिजली का उपभोग करने के बाद भी उपभोक्ता निगम के खाते में रुपये नहीं जमा कर रहे हैं। इससे बिजली निगम का घाटा बढ़ना तय है।
पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि स्मार्ट मीटर घोटाला निजी कंपनियों और उपभोक्ताओं की मिलीभगत के साथ किसी बड़ी साजिश का हिस्सा भी हो सकता है। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे सबसे बड़ा तर्क घाटे का दिया जा रहा है।
स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों की पुराने मीटर की रीडिंग शून्य करने या नष्ट करने के मामले सामने आ रहे हैं। इसे समय रहते न रोका गया तो बिजली राजस्व का बकाया वसूलना नामुमकिन हो जाएगा, घाटा और बढ़ जाएगा।
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इस दौरान सीबी उपाध्याय, इस्माइल खान, जीवेश नंदन, परवेज आलम, शिवचंद यादव, सज्जाद आलम, प्रभुनाथ प्रसाद, संगम लाल मौर्य, संदीप श्रीवास्तव, सतेंद्र कुमार, रंजीत सिंह, रवि यादव, करुणेश त्रिपाठी, विमलेश पाल, दिलीप गौतम, हरिओम गुप्ता, इंद्रदेव कुशवाहा, लालमन वर्मा आदि मौजूद रहे।
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