पूर्वोत्तर रेलवे के 1441 रूट किमी मार्ग पर लगेगा 'कवच', मंत्रालय ने मंजूर किया 492.21 करोड़ का बजट
पूर्वोत्तर रेलवे के 1441 रूट किलोमीटर मार्ग पर 'कवच' प्रणाली स्थापित करने के लिए रेल मंत्रालय ने 492.21 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। इस प्रणाली से ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ेगी और दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे यात्रियों की यात्रा सुरक्षित और आरामदायक होगी। 'कवच' प्रणाली को जल्द स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।
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जागरण संवाददाता, गोरखपुर। भारतीय रेल सिग्नल इंजीनियरिंग एवं दूरसंचार संस्थान (इरिसेट- आइआरआइएसईटी), सिकंदराबाद के कार्यकारी निदेशक मुनि कुमार ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के 1,441 रूट किमी रेलमार्ग पर 'कवच' लगेगा। रेल मंत्रालय ने कवच लगाने के लिए 492.21 करोड़ रुपये बजट स्वीकृत कर दिया है।
प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के 558 रूट किमी पर कवच लगाने का कार्य किया जाएगा, जिसमें लखनऊ मंडल के सीतापुर सिटी-बुढ़वल जंक्शन, बुढ़वल जंक्शन-गोरखपुर कैंट, मानक नगर-लखनऊ जंक्शन-मल्हौर एवं बाराबंकी-बुढ़वल जंक्शन तथा वाराणसी मंडल के गोरखपुर कैंट-गोल्डिनगंज खंड शामिल है।
इन रेल खंडों पर टावर कार्य एवं कवच उपकरण के लिए दो निविदाओं के माध्यम से कवच स्थापित करने का कार्य किया जाएगा। वर्तमान में मुख्य रेलमार्ग छपरा-बाराबंकी में टावर लगाने का कार्य प्रगति पर है। गोरखपुर कैंट-छपरा ग्रामीण के मध्य टावर लगाने का निविदा दिया गया है। कवच उपकरण के लिए निविदा का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसे लगाने के लिए सर्वे का कार्य प्रगति पर है।
'कवच' ट्रेनों की बनेगा ढाल
कवच लग जाने से इरिसेट के कार्यकारी निदेशक सोमवार को पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक के सभागार में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन एवं वीडियो फिल्म के माध्यम से कवच के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि 'कवच' ट्रेनों की ढाल बनेगा। एक रेलखंड के एक सेक्शन में एक रेल लाइन पर ट्रेनों की टक्कर नहीं होगी। दो ट्रेनों के आमने-सामने या आगे-पीछे होने पर स्वत: इमरजेंसी ब्रेक लग जाएगा। 'कवच' लोको पायलटों की सभी गतिविधियों की भी निगरानी करेगा।
किसी भी प्रकार की चूक होने या एक सेक्शन में दूसरी ट्रेन के आते ही आडियो व वीडियो के माध्यम से लोको पायलटों को अलर्ट कर देगा। कोहरे में भी लोको पायलटों को सिग्नल की जानकारी देता रहेगा। लोको पायलटों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने या लाल सिग्नल पार करने पर आटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। कवच उपकरण ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। समपार फाटकों पर भी स्वत: सीटी बजती रहेगी। दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगेगा।
अभी चल रहा ये काम
इरिसेट के कार्यकारी निदेशक ने बताया कि स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (एटीपी) 4.0 वर्जन के अन्तर्गत यानी 'कवच' सिस्टम लगाने का कार्य किया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में लखनऊ जंक्शन-मानक नगर, लखनऊ जंक्शन-मल्हौर, बाराबंकी जंक्शन-बुढ़वल जंक्शन, सीतापुर सिटी-बुढ़वल जंक्शन व बुढ़वल जंक्शन-गोरखपुर कैंट, वाराणसी मंडल में गोरखपुर कैंट-गोल्डिनगंज, गोरखपुर कैंट-वाल्मीकिनगर रोड, भटनी जंक्शन-वाराणसी जंक्शन, वाराणसी जंक्शन-प्रयागराज जंक्शन एवं औंड़िहार जंक्शन-छपरा जंक्शन तथा इज्जतनगर मंडल में रावतपुर-फर्रुखाबाद जंक्शन, फर्रुखाबाद जंक्शन-कासगंज जंक्शन एवं कासगंज जंक्शन-मथुरा जंक्शन रेल खंड पर कवच लगाने का कार्य स्वीकृत है।
इरिसेट के कार्यकारी निदेशक ने बताया कि कवच में दो प्रमुख घटक हैं। पहला घटक आन बोर्ड इक्यूपमेंट, जिसे लोको कवच भी कहा जाता है। इसमें वाइटल कम्प्यूटर, ब्रेक इंटरफेस यूनिट, ड्राइवर मशीन इंटरफेस, आरएफआईडी रीडर, पल्स जेनरेटर एवं रेडियो एंटीना लगाए जाते हैं।
दूसरा घटक, ट्रैक साइड, जो कि स्टेशनरी कवच यूनिट है। इसमें स्टेशन मास्टर ऑपरेशन कम इंडीकेशन पैनल, कंक्रीट स्लीपरों पर आरएफआईडी टैग तथा 40 मीटर ऊंचे टावर एवं एंटीना लगाए जाने का कार्य किया जाता है।
आरएफआईडी टैग प्रत्येक एक किमी पर एक सेट, यानी दो आरएफआईडी टैग लगाए जाते हैं। स्टेशन यार्डों में हर सिग्नल के लिये एफएफआईडी टैग लगाया जाता है। अध्यक्षता उदय बोरवणकर ने की। इस अवसर पर अपर महाप्रबन्धक विनोद कुमार शुक्ल, प्रमुख मुख्य सिग्नल एवं दूर संचार इंजीनियर राजेश कुमार पाण्डेय, प्रमुख विभागाध्यक्ष, मंडलों के मंडल रेल प्रबन्धक, वरिष्ठ अधिकारी व आरडीएसओ के अधिकारी उपस्थित थे।
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