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    Krishna Janmashtami: गोरखपुर में नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की...

    गोरखपुर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों और घरों में झांकियां सजाई गईं। मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ और भक्तों ने बधाईयां दीं। श्रीबालाजी मंदिर और इस्कॉन मंदिर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें भजन-कीर्तन और प्रवचन हुए। श्रद्धालुओं ने व्रत रखा और भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहे।

    By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 17 Aug 2025 09:00 AM (IST)
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    श्री राधाकृष्ण रूप सजा में बाल कृष्ण के रूप में मंच पर नटखट कान्हा। अभिनव राजन चतुर्वेदी

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की। हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' गीत के बीच शनिवार मध्य रात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। ढोल-नगाड़े की थाप, फिल्मी गीतों के धुनों के बीच पूरी रात श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबे रहे।

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    मंदिरों, पुलिस लाइन, जलकल भवन, जिला जेल के साथ ही घरों में भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया। सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी। लोग प्रसाद ग्रहण करते रहे। जिन लोगों का जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ है, उनके घर सुबह से ही पूजन-अर्चना होता रहा। श्रद्धालुओं ने मेले का भी आनंद लिया।

    पुलिस लाइन में एसएसपी राजकरन नैयर ने भगवान की आरती उतारी। पूरा पुलिस महकमा भक्ति में डूआ रहा। जलकल भवन में नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने आरती उतारी। जिला जेल में बंदियों व कैदियों ने धूमधाम से भगवान का जन्मोत्सव मनाया। जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय, जेलर अरुण कुशवाहा ने सभी को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की बधाई दी। यहां भगवान की झांकियों को खुद बंदियों व कैदियों ने सजाया था।

    हर तरफ सजाई गईं भगवान की लीलाओं की झाकियां

    मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों तथा घरों में भगवान की लीलाओं को प्रदर्शित करने वाली झांकियां सजाई गई थीं। श्रद्धालुओं ने व्रत रखा और पूरे दिन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में व्यतीत किया। मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। रात 12 बजे खीरा का नार काटकर प्रतीक स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कराया गया। लोगों ने मत्था टेक कर मंगल कामना की।

    गीता वाटिका के राधाकृष्ण साधना मंदिर में जेल की आकर्षक झांकी सजाई गई थीं। आरती के बाद षोडसोपचार विधि से उमेश कुमार सिंहानिया व रसेंदु फोगला ने पूजा की। दाऊजी मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। सभी मंदिरों में पूजन-अर्चन कर भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया।

    श्रीबालाजी मंदिर में धूमधाम से मनाया गया जन्माष्टमी महोत्सव

    श्रीबालाजी मंदिर, विद्युत उपकेंद्र, तारामंडल में इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव बड़े ही भव्य और भक्तिभावपूर्ण माहौल में मनाया गया। मंदिर परिसर भक्ति-संगीत, झांकियों और रासलीलाओं से देर रात तक गूंजता रहा।

    श्रीधाम वृन्दावन से पधारे सुप्रसिद्ध संत पं. नीरज बावरा जी ने अपनी अमृतवाणी से भक्तों को श्रीकृष्ण जन्म की महिमा और गीता उपदेश का संदेश दिया। उनके प्रवचन से श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और देर रात तक कीर्तन-भजन का क्रम चलता रहा।

    कार्यक्रम के सफल आयोजन में समिति के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने सराहनीय भूमिका निभाई। अध्यक्ष जितेन्द्र मणि तिवारी, उपाध्यक्ष अमितेश्वर दुबे, सचिव एवं आयोजक अशुतोष कुमार सिंह ‘राजेश सिंह’ समेत अन्य पदाधिकारियों ने सभी भक्तजनों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

    जन्माष्टमी के अवसर पर पादरी बाजार में इस्कान की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अभिषेक करते संतगण। संगम दूबे


    झांकियों ने मन मोहा

    जलकल भवन व पुलिस लाइन में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम रही। आकर्षक झांकियां सजाई गईं। इसे देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और भगवान का दर्शन किया। पीएसी कैंप परिसर में मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने झांकी का दर्शन किया। जवानों व उनके बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। आरपीएसएफ कैंप, आरपीएफ बैरक स्टेशन रोड व आरपीएफ लाइन दुर्गाबाड़ी में धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।

    भक्ति, संगीत और संस्कृति का अद्भुत संगम

    इस्कान गोरखपुर की ओर से पिपराइच रोड स्थित ओपन स्काई रिजार्ट में जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन किया गया। भक्ति, संगीत और संस्कृति के अद्भुत संगम के बीच शाम चार बजे से शुरू उत्सव देर रात तक चलता रहा। शुरुआत हरिनाम संकीर्तन से हुई। मुख्य वक्ता इस्कान मंदिर गोरखपुर के अध्यक्ष आदिश्याम दास ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया। श्री श्री राधा माधव के श्रीविग्रहों का अभिषेक किया गया।

    रजत कलश से पवित्र जल, दूध, दही, घी, मधु और फलों के रस से भगवान का अभिषेक किया गया। भक्तगण हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का संकीर्तन कर झूमते रहे। नृत्य-नाटिका, भक्ति-गीत का मंचन किया गया।