प्रो. रामदरश के निधन से साहित्यकारों में फैली शोक की लहर, इनकी रचनाओं में सजता था पूर्वांचल
प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. रामदरश मिश्र के निधन से गोरखपुर सहित पूरे साहित्य जगत में शोक की लहर है। उनकी रचनाओं में पूर्वांचल का लोकजीवन हमेशा झलकता था। साहित्यकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को याद किया। प्रो. मिश्र ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपना योगदान दिया और नई पीढ़ी का मार्गदर्शन किया। उनका निधन साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।

प्रो. रामदरश मिश्र। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। प्रसिद्ध साहित्यकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य प्रो. रामदरश मिश्र के निधन की सूचना शुक्रवार की देर रात जैसे ही शहर में पहुंची, साहित्य जगत के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। लोग उनसे जुड़े संस्मरणों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देते रहे।
लोगों का एक स्वर से कहना था कि प्रो. रामदरश भले ही आजीवन दिल्ली में रहे, लेकिन उनकी रचनाओं में हमेशा पूर्वांचल सजता रहा। पूर्वांचल का लोकजीवन दिखता रहा।
15 अगस्त, 1924 में गोरखपुर के डुमरी गांव में जन्मे रामदरश मिश्र का योगदान साहित्य की सभी लगभग विधाओं में रहा। सभी क्षेत्रों में साहित्यकारों की नई पीढ़ी को उनका मार्गदर्शन मिला। निधन की सूचना से दुखी साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि प्रो. रामदरश हमारे समय के एक प्रमुख कवि, उपन्यासकार, कहानीकार व आलोचक थे।
उनकी रचनाओं को पूर्वांचल के लोकजीवन, इतिहास, भूगोल और भोजपुरी क्षेत्र का उल्लेखनीय चित्रण मिलता है। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन का सदुपयोग साहित्य के क्षेत्र में ही किया। उनके निधन से संपूर्ण साहित्य जगत की क्षति तो हुई ही है, पूर्वांचल खासतौर से गोरखपुर का विशेष नुकसान हुआ है। साहित्य जगत में उनकी भरपाई आसान नहीं होगी। शोक व्यक्त करने वालों में प्रो. अनंत मिश्र, प्रो. चित्तरंजन मिश्र, प्रो. अनिल राय, प्रो. राजेश मल्ल प्रमुख रहे।
जबतक वह स्वस्थ थे, गांव आते-जाते रहे
प्रो. रामदरश मिश्र के बड़े भाई राम नवल मिश्र भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि थे। उनका निधन पांच जून, 2015 में हो चुका है। गांव के लोगों ने बताया कि प्रो. रामदरश का पूरा परिवार दिल्ली में ही रहता है। जबतक वह स्वस्थ रहे, गांव में विविध कार्यक्रमों में उनका आना होता रहा। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। उच्च शिक्षा उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रहण की।

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