‘नया गोरखपुर’ के लिए तीन और गांवों में अनिवार्य अर्जन की तैयारी, विरोध के बाद भी होगी कार्रवाई
गोरखपुर में 'नया गोरखपुर' परियोजना के लिए तीन और गांवों में भूमि अधिग्रहण की तैयारी है। किसानों के विरोध के बावजूद, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) विकास कार्यों को पूरा करने के लिए कार्रवाई करेगा। इस परियोजना का लक्ष्य गोरखपुर को एक आधुनिक शहर बनाना है, जिसके लिए बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।

- कुसम्ही क्षेत्र में माड़ापार, तकिया मेदनीपुर और कोनी गांव में अधिग्रहण प्रक्रिया अंतिम चरण में
जागरण संवाददाता गोरखपुर। शासन की महत्वाकांक्षी ‘नया गोरखपुर’ योजना को मूर्त रूप देने में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) को किसानों की असहमति बड़ी चुनौती बनती जा रही है। कुसम्ही क्षेत्र के तीन गांवों में अनिवार्य भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। प्राधिकरण अब योजना के उत्तर दिशा में बालापार, मानीराम और रहमतनगर गांवों में भी अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू करने जा रहा है।
इन गांवों में पहले समझौते के आधार पर भूमि का प्रयास किया गया था लेकिन, जरूरत के मुताबिक पूरी भूमि नहीं मिल पा रही है। यहां करीब 400 एकड़ जमीन अनिवार्य अर्जन के तहत ली जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक इस प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष का समय लग सकता है।
जीडीए ने ‘नया गोरखपुर’ परियोजना के लिए कुल 24 गांवों को चिह्नित किया है। इनमें से अधिकांश गांव पिपराइच विधानसभा क्षेत्र से जुड़े हैं। इनमें कुशीनगर मार्ग पर 12 गांव और उतने ही गांव बालापार क्षेत्र में शामिल हैं। परियोजना के लिए सरकार की ओर से धनराशि की पहली किस्त पहले ही जारी हो चुकी है।
जीडीए और राजस्व विभाग के अधिकारी अब तक तीन बार किसानों से बातचीत कर चुके हैं, लेकिन संतोषजनक सहमति नहीं बन सकी है। इसी कारण प्राधिकरण ने पहले चरण में कुशीनगर मार्ग पर कोनी सहित तीन गांवों की लगभग 600 एकड़ जमीन को अनिवार्य अर्जन के जरिए लेने का निर्णय लिया है।
कुशीनगर रोड पर सामाजिक प्रभावों के अध्ययन (एसआइए) की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है, जिसके बाद अब धारा 11 के अंतर्गत प्रकाशन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। अब उत्तर दिशा के बालापार, रहमतनगर और मानीराम गांवों में भी अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की जा रही है। जीडीए की ओर से प्रस्ताव विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पास भेजा जा रहा है, जिसके बाद धारा 4 की कार्रवाई शुरू होगी। इस प्रक्रिया में किसानों से आपत्तियां मांगी जाएंगी।
प्राधिकरण को इस प्रक्रिया में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। कुसम्ही क्षेत्र के किसान पहले ही अधिग्रहण के विरोध में हैं और कई किसान अपर्याप्त मुआवजे के मुद्दे पर कोर्ट का रुख भी कर चुके हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी जमीन का सही मूल्य नहीं मिल रहा।
मुआवजा दर पर उठ रहे सवाल
किसानों के असहमति का मुख्य कारण मुआवजे की दरें हैं। उनका कहना है कि शहर के बाहरी इलाके में भूमि की कीमतें अब कई गुना बढ़ चुकी हैं, जबकि 2016 से सर्किल रेट में कोई संशोधन नहीं हुआ है। पुराने रेट पर जमीन देना उनके लिए घाटे का सौदा है। किसान मांग कर रहे हैं कि सर्किल रेट में संशोधन किया जाए और उसके बाद बाजार दर का चार गुना मुआवजा दिया जाए।
अनिवार्य अर्जन के लिए भेजा जा रहा है प्रस्ताव
जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्धन ने बताया कि बालापार, मानीराम और रहमतनगर में अनिवार्य अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों से कई बार बातचीत की गई है और समझौते के आधार पर कुछ जगहों पर अधिग्रहण हो भी चुका है।
उपाध्यक्ष ने कहा कि ‘नया गोरखपुर’ एक जनहित परियोजना है, जिसके अंतर्गत ही गुरुकुल सिटी विकसित की जाएगी। जल्द ही इसका लेआउट फाइनल कर आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण का उद्देश्य है कि परियोजना में पारदर्शिता बनी रहे और किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए विकास कार्य आगे बढ़े।

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