अब सभी राज्य विश्वविद्यालयों में तैनात होंगे 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस', शासन ने बनाई दो सदस्यीय कमेटी
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य विश्वविद्यालयों में 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की नियुक्ति अनिवार्य करने जा रही है, ताकि शिक्षा को उद्योग और वास्तविक अनुभवों से जोड़ा जा सके। इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो विश्वविद्यालयों से विशेषज्ञों की आवश्यकता पर रिपोर्ट लेगी। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को रोजगारोन्मुखी और व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करना है।

कमेटी में शामिल हैं कुलपति प्रो. पूनम टंडन। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षण प्रणाली को उद्योग और वास्तविक अनुभवों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश सरकार ने अब ‘प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस’ की तैनाती सभी विश्वविद्यालयों में अनिवार्य रूप से करने की तैयारी शुरू कर दी है। अब तक यह व्यवस्था केवल तकनीकी संस्थानों तक सीमित थी, लेकिन बदलती शैक्षणिक जरूरतों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में इसे व्यापक रूप देने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए शासन ने दो सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन को शामिल किया गया है। कमेटी को दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपने का निर्देश दिया गया है। कमेटी सभी राज्य विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर उनसे यह जानकारी लेगी कि उनके यहां प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की कितनी आवश्यकता है, कौन-कौन से विषयों में विशेषज्ञों की जरूरत है और किस प्रकार के उद्योग विशेषज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी, कलाकार, वैज्ञानिक या तकनीकी विशेषज्ञ शिक्षण व्यवस्था से जोड़े जा सकते हैं।
क्या है प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की अवधाारण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ का उद्देश्य विश्वविद्यालयों को उद्योग, प्रशासन, कला, विज्ञान एवं समाज के अनुभवी विशेषज्ञों से जोड़ना है। यह वह विशेषज्ञ होते हैं, जिनके पास किसी क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव, लंबा कार्यकाल और गहरी विशेषज्ञता होती है, लेकिन आवश्यक नहीं कि उनके पास पीएचडी या पारंपरिक शैक्षणिक डिग्री हो।
इनका कार्य छात्रों को वास्तविक उद्योग अनुभव, प्रायोगिक समझ, केस स्टडी, परियोजना आधारित शिक्षण और कौशल विकास से जोड़ना होता है। इससे विश्वविद्यालयों में रोजगारोन्मुखी और व्यावहारिक शिक्षा को अत्यधिक बल मिलता है।
यह भी पढ़ें- DDU News: परीक्षा की तिथि बदली, प्रश्नपत्र के पैकेट पर नहीं हुआ बदलाव
जल्द सभी विश्वविद्यालयों में होगा पद सृजन
रिपोर्ट सौंपने के बाद शासन स्तर पर सुझावों को लागू करते हुए पद सृजन और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को अनुभवी पेशेवरों के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। यह कदम उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था को अधिक नई पीढ़ी की जरूरतों और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके तहत पेशेवर क्षेत्रों के विशेषज्ञों को विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ के रूप में तैनाती दी जाएगी।
प्रदेश की उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव लाएगी यह पहल : प्रो. पूनम टंडन
गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया है कि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस का उद्देश्य अकादमिक और उद्योग जगत के बीच पुल का निर्माण करना है। छात्रों को अनुभवी विशेषज्ञों से सीखने का अवसर देना है। गोरखपुर विश्वविद्यालय पहले से ही इस दिशा में काम कर रहा है। शासन की यह पहल इसे और मजबूती देगी। उन्होंने यह भी बताया कि कमेटी की रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों की वास्तविक जरूरतों, विषयवार मांग और विशेषज्ञों के चयन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल किए जाएंगे, जिससे इस व्यवस्था का सुचारू रूप से क्रियान्वयन हो सके।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।