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    दीपावली पर मंदाग्नि को शांत करेगी सूरन की सब्जी, पाचन संबंधी बीमारियों में मिलता लाभ

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 08:51 AM (IST)

    दीपावली पर सूरन की सब्जी की मांग बढ़ गई है। चिकित्सकों का कहना है कि शरद ऋतु में इसका सेवन मंदाग्नि शांत करता है और त्वचा रोगों से राहत दिलाता है। आयुर्वेद में सूरन को बवासीर और पाचन संबंधी बीमारियों के लिए लाभकारी माना गया है। यह पाचन शक्ति को सुधारता है और शरीर को रोगों से बचाता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।

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    चोखा और सब्जी बनाकर प्रयोग करने से दूर होती पित्त की समस्या

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। दीपावली पर सब्जी बनाने के लिए सूरन की बिक्री होने लगी है। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के चिकित्सक का कहना है कि वर्षा के बाद शरद ऋतु का आगमन हो रहा है, इसलिए ऋतु संधि काल में सूरन की सब्जी के सेवन से मंदाग्नि शांत होगी। त्वचा संबंधी रोगों से राहत मिलेगी। इस मौसम में सूरन की सब्जी का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है।

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    आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद चिकित्सक डा. रमाकांत द्विवेदी ने बताया कि लोक भाषा में सूरन को कांद भी कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ों वाली वनस्पति है, जो भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में लंबे समय से लोकप्रिय रही है। आयुर्वेद में इसे अर्शघ्न भी कहा जाता है, क्योंकि यह बवासीर और ग्रहणी जैसी पाचन संबंधी बीमारियों में लाभप्रद है।

    उन्होंने बताया कि मंदाग्नी के कारण अजीर्ण, बवासीर और ग्रहणी जैसी समस्याएं उभर आती हैं। सूरन की सब्जी का सेवन इन समस्याओं को कम करने में बेहद लाभप्रद है। सूरन से बनी औषधियां जैसे सूरन वटक, सूरन पिंडी आदि का आयुर्वेद में विशेष महत्व है।

    ग्रहणी रोगियों को सूरन को घी में भूनकर खिलाने की सलाह दी जाती है। अर्श और ग्रहणी के रोगियों के लिए यह अति उपयोगी माना जाता है। केवल यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सूरन को पकाकर ही सेवन किया जाए और गर्भवती महिलाएं इसका सेवन करने से बचें।

    उन्होंने बताया कि दीपावली पर सूरन की सब्जी और चोखा खाने की परंपरा भी है। सनातन संस्कृति में इसे अनिवार्य माना गया है। आयुर्वेद एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका सेवन पाचन शक्ति सुधारता है, सूजन को कम करता है और शरीर को रोगों से बचाता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

    चिकित्सक का कहना है कि सूरन का नियमित सेवन, विशेषकर शरद ऋतु में, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और अनेक रोगों से बचाव में सहायक होता है। इसलिए दीवाली में इसे अपनी थाली में शामिल करना आयुर्वेदिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है।

    क्या है मंदाग्नि

    आयुर्वेद चिकित्सक ने बताया कि मंदाग्नि का अर्थ पाचन शक्ति का कमजोर होना होता है। इस दशा में जठराग्नि बेहद ही कमजोर हो जाती है। ऐसे में भोजन के पचने में समस्या आती है। अपच होने से गैस, पेट में भारीपन, दर्द सहित पाचन से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। दीपावली में लोग जमकर पारंपरिक मिठाइयों, भूजा- लइया इत्यादि को खाते हैं। ऐसे में सूरन की सब्जी या उसका बना चोखा खाने से राहत मिलती है।