गोरखपुर के इन बैंकों में लावारिश पड़े हुए हैं 260 करोड़, नहीं है कोई दावेदार
गोरखपुर के बैंकों में 260 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है। आरबीआई के निर्देश पर खाताधारकों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। आरबीआई जागरूकता अभियान चला रहा है और 14 नवंबर को लावारिस जमा राशि लौटाने के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें आरबीआई अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।

लंबे अरसे से करीब सात लाख बैंक खाते पूरी तरह से हैं निष्क्रिय
राजीव रंजन, जागरण, गोरखपुर। जिले के विभिन्न बैंकों में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। विभिन्न बैंकों के करीब सात लाख खातों में करीब 260 करोड़ रुपये डंप पड़े हुए हैं। इस रकम का कोई भी दावेदार नहीं है। लंबे अरसे से इन खातों से कोई लेनदेन नहीं हुआ है।
ये वे खाते हैं जिनके खाताधारक या तो अपने खाते के बारे में भूल गए या वे दूसरी जगह चले गए या फिर खाताधारक की मृत्यु हो गई और उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को इन खातों की जानकारी नहीं है। ‘अपनी पूंजी अपना अभियान’ के तहत रिजर्व बैंक की ओर से ऐसी रकम को लौटाने की कवायद शुरू की है। 14 नवंबर को इसके लिए विशेष शिविर आयोजित किया जाएगा।
बैंक की ओर से मिली जानकारी के अनुसार जिले के कुल 6,97,874 बैंक खातों में 259.37 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बिना दावेदार के पड़ी हुई है। यह राशि ऐसे खातों में जमा है जिनमें पिछले 10 वर्षों या उससे अधिक समय से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। दरअसल भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा निर्देशों के अनुसार, ऐसे खातों में पड़ी राशि को ‘लावारिश जमा’ (अनक्लेम डिपोजिट) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और आरबीआइ द्वारा बनाए गए ‘डिपाजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (डीइए) फंड’ में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
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आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में ऐसे लावारिस जमा की कुल राशि जून 2025 तक 67,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। इसी क्रम में गोरखपुर के बैंकों में भी यह बड़ी राशि निष्क्रिय पड़ी है। इनमें बहुत सारे खाते मृतकों के भी हैं।
इस तरह पा सकते हैं रकम
यदि किसी व्यक्ति को संदेह है कि उसका या उसके परिवार के किसी सदस्य का पैसा बैंक में लावारिस पड़ा हो सकता है, तो बैंक में आकर केवाईसी कराकर खाता को सक्रिय कर सकता है और खाते में जमा राशि प्राप्त कर सकता है। यदि नामिनी है, तो उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र और अपने पहचान पत्र जैसे कुछ बुनियादी दस्तावेज जमा करने होंगे, और बैंक प्रक्रिया को जल्दी पूरा कर देगा। यदि कोई नामिनी नहीं है, तो परिवार को एक उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त कर बैंक में जमा करना होगा। इसके बाद बैंक खाते को सक्रिय कर देगा।
रिजर्व बैंक के निर्देश पर ऐसे खाताधारकों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। दर्ज मोबाइल नंबर पर फोन किया जा रहा है। आरबीआइ की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि लोग अपने वैध धन को फिर से प्राप्त कर सकें। इसके लिए अनक्लेम डिपोजिट लौटाने के लिए 14 नवंबर को विशेष शिविर का आयोजन किया गया है। इसमें आरबीआइ के अधिकारी, जनप्रतिनिधि के अलावा प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे।
मनोज कुमार श्रीवास्तव, लीड बैंक मैनेजर

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