Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिस्टम पर सवाल: तीन साल से चलने के इंतजार में खड़ीं तीन करोड़ की दो पर्यटक बसें, कुछ दिन बाद पूरी तरह हो जाएंगी कबाड़

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 03:45 PM (IST)

    बिहार में पर्यटन विभाग की लापरवाही उजागर हुई है। तीन करोड़ की दो पर्यटक बसें तीन साल से खड़ी हैं और अब कबाड़ होने वाली हैं। सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं कि इन बसों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया और इन्हें बर्बाद होने दिया गया। इस मामले में किसी की जवाबदेही तय नहीं है।

    Hero Image

    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पूर्वांचल विशेषकर गोरखपुर में सुविधा संपन्न पर्यटक बसों का सफर सपना ही रह गया। इसे विभागीय उदासीनता कहें या सिस्टम की खामी, तीन साल पूर्व गोरखपुर पहुंची करीब तीन करोड़ कीमत की दो पर्यटक बसें चलने के इंतजार में खड़ी हैं। बसें पहुंचते ही खराब हो गईं। लगातार मरम्मत होती रही, लेकिन बसें नियमित रूप से सड़क पर नहीं चल पाईं। ऐसी ही खड़ी रहीं तो जल्द ही पूरी तरह कबाड़ हो जाएंगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जानकारों के अनुसार, सात मई, 2022 को करीब 3 करोड़ की लागत से 36 सीट वाली सुविधा संपन्न वातानुकूलित दो पर्यटक इलेक्ट्रिक बसें गोरखपुर पहुंची थीं। महानगर इलेक्ट्रिक बस संचालन समिति ने उद्घाटन के बाद कुछ दिनों तक विभिन्न रूटों पर ट्रायल कर बसों को महेसरा डिपो में खड़ा करा दिया। लेकिन, बसों का रूट निर्धारण और प्राथमिक औपचारिकताओं के पूरा नहीं होने बसें डिपो से बाहर ही नहीं निकली।

    खड़ी-खड़ी बसों के पार्ट्स खराब हो गए। छह माह बाद जब संचालन समिति ने बसों को संचालित करने की प्रक्रिया शुरू की तो पता चला बसें चलने ही लायक नहीं हैं। बसों के पार्ट्स भी नहीं मिल रहे थे। पार्ट्स खोजकर किसी तरह बसों की मरम्मत कराई गई। बसों की मरम्मत में ही एक साल से अधिक लग गए। मरम्मत के बाद समिति ने जब फिर बसों को चलाने की कोशिश की तो पैसा राह में रोड़ा बन गया।

    यह भी पढ़ें- गोरखपुर में नकली टाटा नमक बेचने वाले का निलंबित होगा लाइसेंस, जारी हुआ नोटिस

    समिति के पास बीमा और टैक्स आदि के लिए पैसे ही नहीं थे। समिति में शामिल रोडवेज, नगर निगम और अन्य विभागों ने भी हाथ खड़े कर लिए। प्रकरण लखनऊ तक पहुंचा, तो बसों की किसी तरह बीमा करायी गई। टैक्स भरे गए। इसके बाद बसें सड़क पर निकलीं तो फिर दस से 12 दिन चलकर खड़ी हो गईं।

    बसें बार-बार मरम्मत के बाद भी कभी दस से 12 दिन से अधिक नहीं चलीं। आज भी महेसरा डिपो में धूल फांक रही हैं। शासन की गोरखपुर सहित पूर्वांचल में अधिक से अधिक पर्यटक बसें चलाने की मंशा पर पानी फिर रहा है। यद्यपि, महानगर के विभिन्न रूटों पर 25 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं।

    पर्यटक बसों की बैट्री खराब है। मरम्मत कराने के लिए मुख्यालय लखनऊ को पत्र लिखा गया है। बैट्री की मरम्मत होते ही बसों का संचालन प्रारंभ करा दिया जाएगा।

    -

    - लव कुमार सिहं, कार्यपालक अधिकारी- महानगर इलेक्ट्रिक बस संचालन समिति