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    बांझपन का कारण बन रही गांठ, गोरखपुर AIIMS में हो रहा उपचार

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 01:55 PM (IST)

    गर्भाशय में गांठ बांझपन का मुख्य कारण है विशेषकर 25 से 45 वर्ष की महिलाओं में। एम्स गोरखपुर में गायनेकोलाजी बेसिक लेप्रोस्कोपिक स्किल कोर्स का आयोजन किया गया जहाँ लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी द्वारा बच्चेदानी निकालने की तकनीक सिखाई गई। विशेषज्ञों ने न्यूनतम इनवेसिव तकनीक और रोबोटिक सर्जरी की तैयारी पर भी जोर दिया। एम्स महिला स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए संकल्पित है।

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    एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओर से आयोजित लेप्रोस्कोपी कोर्स में मौजूद विशेषज्ञ। सौजन्य-एम्स गोरखपुर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गर्भाशय में बनने वाली गांठ बांझपन का बड़ा कारण बन रही है। शुरुआत में दिखने वाले लक्षणों की अनदेखी महिलाओं पर भारी पड़ रही है। यदि गांठ के साथ बच्चा ठहर जाता है तो बच्चे के विकास के साथ ही गांठ भी तेजी से बढ़ने लगती है।

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    25 वर्ष से 45 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं में गांठ के मामले मिल रहे हैं। इन गांठ को लेप्रोस्कोप (दूरबीन) से आसानी से निकाला जा सकता है। इसके लिए एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में गायनेकोलाजी बेसिक लेप्रोस्कोपिक स्किल कोर्स का आयोजन किया गया।

    विभाध्यक्ष डाॅ. शिखा सेठ ने कहा कि तीन दिवसीय कोर्स में देश भर के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों से विशेषज्ञ और प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को दूरबीन द्वारा गायनेकोलाजी और पेल्विक सर्जरी के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरण, उनकी सेटिंग्स व इस्तेमाल के तरीके के बारे में बताया गया।

    एम्स जोधपुर, रायपुर और भुवनेश्वर से आए डाॅ. शशांक शेखर, डाॅ. सुआभाग्य जेना, डाॅ. निलज, डाॅ. पृथ्वीराज, डाॅ. मनु गोयल ने ऑपरेशन कर जानकारी दी। न्यूनतम इनवेसिव तकनीक से दूरबीन द्वारा बच्चेदानी निकालने की तकनीक की जानकारी दी गई। लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टामी कर पूरी प्रक्रिया दिखायी गई।

    कहा कि एम्स गोरखपुर लगातार महिला स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संकल्पित है। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम रेजिडेंट डाॅक्टरों को उन्नत तकनीकों में दक्ष बनाते हैं। एम्स गोरखपुर आगे भी नए प्रशिक्षु डाक्टराें के लिए ऐसे कोर्स चलाएगा।

    उन्होंने एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डा. संतोष शर्मा का विशेष रूप से आभार जताया। साथ ही टीम में शामिल सीनियर रेजिडेंट डाॅ. प्रतिमा और डाॅ. शफाक को धन्यवाद दिया।

    डाॅ. आराधना सिंह, डाॅ. प्रीति प्रियदर्शनी, डाॅ. प्रीति बाला सिंह, डाॅ. विभा रानी पीपल, डाॅ. प्रियंका सिंह ने भी प्रशिक्षण व व्याख्यान दिए।

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    रोबोटिक सर्जरी के लिए तैयार होने का समय

    कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डाॅ. विभा दत्ता ने कहा कि लेप्रोस्कोपी सर्जरी सुरक्षित है। यह न सिर्फ रोगियों के लिए सुरक्षित है बल्कि रिकवरी भी तेज होती है। इसकी तकनीक को सीखना आवश्यक है। दूरबीन से शरीर के अंदर के हिस्से को टीवी स्क्रीन पर देखकर ऑपरेशन करने से रोबोटिक सर्जरी के लिए भी सभी तैयार होंगे। यह समय खुद को अपडेट करने का है। जो विशेषज्ञ लेप्रोस्कोपी में दक्ष हैं, वह भविष्य में रोबोटिक सर्जरी को भी सहजता से संभाल सकेंगे।