'दियवा जराई गइला...भगिया जगाई गइला', वनटांगिया में दिवाली विकास और उम्मीदों का उत्सव
गोरखपुर के वनटांगिया गांव में दीपावली का विशेष उत्सव है। यहाँ, कभी उपेक्षित वनवासी समुदाय आज विकास की राह पर है। महिलाओं ने योगी आदित्यनाथ के आगमन पर खुशी जताई, जिन्होंने गांव को पक्के घर, बिजली, पानी और मुफ्त गैस कनेक्शन जैसी सुविधाएं दीं। 2009 से शुरू हुआ बदलाव 2017 में गांव को राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने के बाद और भी तेज़ी से हुआ। अब हर कोई मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए उत्साहित है।

दीपावली के दिन वनटांगिया गांव जंगल तीनकोनिया नंबर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की तैयारी एक ओर प्रशासन जुटा हुआ है तो वहीं गांव के लोग भी उनके कार्यक्रम को लेकर उत्साहित है। योगी प्रत्येक वर्ष इस गांव में पहुंचते हैं और उनके साथ दीपावली मनाते हैं। मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर स्वागत गीत का अभ्यास करतीं गांव की महिलाएं । अभिनव राजन चतुर्वेदी
वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नंबर तीन की एक गली से बढ़ते हुए कानों में स्वर लहरियां पड़ती हैं- जबसे योगी जी गउंवा में दियवा जराई गइला हो...हमरे गउंवा के भगिया जगाई दिहला हो...अंगना में कमल खिलाई गइला हो...। कुछ पग दूर बाईं ओर सज रहा पंडाल दिखता है। यहीं गाय के गोबर से पुती वेदी पर फबती रंगोली के बीच रखा कलश, मां लक्ष्मी के आगमन से मानों प्राण पाने की प्रतीक्षा कर रहा है।
यह उत्सवी प्रतीक्षा है। इसमें बेचैनी नहीं, केवल आनंद है। इसी आनंद में डूबती-उतराती महिलाओं की टोली भावविभोर हो गीत गा रही है। सुख-समृद्धि की देवी इस पंडाल में जिस पुष्प पर विराजेंगी, वह यहां हर आंगन में खिल चुका है। संयोग यह कि मां लक्ष्मी के साथ हर आंगन में समृद्धि का फूल खिलाने वाला स्वयं यहां दीप पर्व मनाने आने वाला है। इसलिए यहां दीपावली पर दोगुणा उत्साह है। वनटांगिया गांव जंगल तिनकोनिया नंबर तीन से प्रस्तुत है आशुतोष मिश्र की यह रिपोर्ट।
कदम रोकने वाला कोरस जैसे ही शांत होता है, उत्साह से भरी कुटुरा देवी नया राग छेड़ देती हैं-कब अइबा योगी जी हमरे नगरिया...कब हम देखब तोहें फिर भर नजरिया...। उल्लास के साथ संजू, किरन, मीरा और द्विजा देवी सुर में सुर मिलाती हैं। गाना पूरा होता है तो सामने ठहरे अनजान चेहरों के ठहराव का उद्देश्य जानने के लिए महिलाओं की टोली से सवाल आता है।
मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारी देखने आए पत्रकार को अपने बीच पाकर वह यहां की गृहणियों के मनोभाव एक अन्य गीत से साझा करने लगती हैं। झोपड़ी से निकाल कर पक्का घर, ढिबरी से बिजली बल्ब, फ्री राशन, लकड़ी बटोरने के झंझट से मुक्ति दिलाकर मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने के लिए वह गीत के जरिये योगी आदित्यनाथ का आभार जताती हैं। फिर कुटुरा देवी बताती हैं- बाबा (योगी आदित्यनाथ) 2009 में जब पहली बार दीपावली पर यहां दीया जलाने आए थे, तबसे वह इसी तरह उनके गीत गाकर त्योहार मनाती हैं।
हर वर्ष वह महिलाओं को लेकर गांव में सजने वाले बाबा जी के मंच के सामने जाती हैं और वहां ये गीत गाती हैं। तारणहार की बात छिड़ती है, तो टोली की हर महिला अपने भाव नहीं रोक पाती, इसी में से संजू सामने की सड़क दिखाती हैं। यहां कभी घुटने तक पानी लगता था, यह बताते हुए संजू वह दौर याद दिलाती हैं जब आंधी में छप्पर उड़ जाता था और गांव के लोग बच्चों के संग बारिश में भीगकर रात काटते थे।
बीमार पड़ने पर चारपाई पर लेकर अस्पताल जाना नरक से कम न था, अब गांव में ही अस्पताल है। हर घर पक्का है। सबके यहां सप्लाई का पानी आता है। चूल्हे की फुंकनी कब की गायब हो चुकी है, इसकी जगह एलपीजी सिलिंडर ले चुका है। सब बाबा जी की देन है।
ऐसे में उनका आना ही हमारी दीपावली है। उनके बगल में बैठी द्विजा देवी उत्साहित होकर कहती हैं- दीपावली को वह दो बजे रात को ही जग जाती हैं। गांव की सड़कों को रंगोली से सजाती हैं। जब बाबा जी दीया जलाते हैं, उसके बाद ही हम दीपावली मनाते हैं।
बातों से इतर, कदम दर कदम यह बदलाव दृष्टिगत भी होता है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास से 100 प्रतिशत आबादी आच्छादित है। लगभग हर घर के आगे खड़ी बाइक दिख जाती है। यही निहारते हुए एक दो मकान के आगे गांव के चतुर्दिक विकास का कोलाज दिखता है। हम फोटो बनाने रुकते हैं। रामरतन यह देखकर पास में आते हैं। वह बताते हैं यह उनके पुत्र पप्पू का मकान है।
उसने ही अपनी कमाई से यह कार और स्कूटी खरीदी है। सामने थ्रेसर सहित भैंस व बकरियां भी उनके परिवार की ही हैं। इसी एक गली में तीन सार्वजनिक आरओ वाले प्याऊ लगे हैं। लेकिन, रामरतन हर घर नल योजना की टोंटियों का पानी को इन प्याऊ से ज्यादा लाभदायक बताते हुए दूर दिखती पानी की बड़ी टंकी दिखाते हैं।
कुछ मीटर दूर आरोग्य मंदिर का भवन दिखता है। यहां कम्युनिटी हेल्थ आफिसर श्वेता निषाद ड्यूटी पर मुस्तैद मिलती हैं। पर्याप्त दवाएं एवं संसाधन देखकर उनसे हर रोज होने वाली ओपीडी के बारे में पूछते हैं, तो वह बताती है कि नियमित 15-20 लोग यहां उपचार कराने आते हैं। जरूरत पर टेलीमेडिसिन की सहायता ली जाती है। बहुत जरूरी होने पर रेफर किया जाता है। यहां से आगे सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आगे मुखिया कहलाने वाले रामगनेश मिलते हैं।
वह बताते हैं कि यहां का हर परिवार उज्ज्वला, बीपीएल कार्ड, अंत्योदय कार्ड जैसी योजनाओं से लाभान्वित है। अशिक्षा और गरीबी के बियावान में बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने जो दीया जलाया, उसने पीढ़ियों के अंधेरे का नाश कर गांव को विकास के उजियारे से भर दिया। वह सामने गोरक्षानाथ पीठ के संस्कृत विद्यालय का भवन दिखाते हुए बताते हैं कि कैसे उन्होंने यहां के भविष्य को शिक्षित और सुरक्षित करने का अभियान छेड़ा।
मुख्यमंत्री बनने के बाद 2017 में राजस्व गांव का दर्जा दिलाकर प्रशासन की लाठियों से सुरक्षित कर अपनी जमीन पर रहने का हक दिलाया। उन्होंने न सिर्फ हम वनवासियों को अपनाया, बल्कि परिवार का दर्जा देकर हर वर्ष दीपावली मनाने हमारे बीच आते हैं। गांव के बच्चे हों या बड़े, सभी को पूरे उत्साह के साथ मुख्यमंत्री का स्वागत करने की प्रतीक्षा है। सामने तेजी से तैयार होता जर्मन हैंगर और मंच बताता है कि यह प्रतीक्षा कुछ घंटों में उत्सव का रूप लेने वाली है। सदियों के दुख-दर्द से दूर यह असली दीवाली है।
दीपावली का उजाला कहेगा उपेक्षा से उत्थान की कहानी
गोरखपुर जिले के कुसुमही जंगल की गोद में बसा जंगल तिनकोनिया नं-3 इस वर्ष भी दीपावली के अवसर पर एक अलग उत्सव का केंद्र बना है। उपेक्षा, विस्थापन और पहचान-खोज की पीढ़ियों की पीड़ा के बाद, यह बस्ती अब उज्जवल भविष्य के संकेत दे रही है। हर साल की तरह इस बार भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस वनवासी-समुदाय के साथ दीवाली मनाने पहुंचने वाले हैं।
उपेक्षा का अतीत: पहचान से बेखबर
वनटांगिया समुदाय, अंग्रेजी राज के समय साखू व अन्य वृक्षों की देखभाल तथा रोपण के लिए जंगल में बसाए गए वनवासी-वर्ग का नाम रहा है। ब्रिटिश अफसरों ने रेलवे स्लिपर के लिए बड़े पैमाने पर साखू की कटाई के बाद “टांगिया” विधि से नए जंगल विकसित करने के लिए इन बस्तियों को बसाया। “टांगिया” विधि के कारण ‘वन-टांगिया’ कहा गया। लेकिन स्वतंत्रता के बाद भी इस समुदाय को नागरिक अधिकार, भूमि-स्वामित्व, योजनाओं का लाभ नहीं मिला। झोपड़ी-स्तर पर जीवन, वोट देने का अधिकार नहीं, सिंचित भूमि नहीं, यही दशा दशकों तक रही।
विकास की पहली किरणें
2009 तक आते-आते, सांसद योगी आदित्यनाथ ने इस बस्ती को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में पहला कदम उठाया। उन्होंने इस गांव में दीपावली का उत्सव मनाना शुरू किया, इसे प्रतीक बनाया कि ‘अब बदलाव होगा’। साल 2017 में उत्तर प्रदेश की सरकार में आने के बाद यह गांव ‘राजस्व ग्राम’ घोषित हुआ और योजनाओं-सुविधाओं की बाढ़ आने लगी। आवास, शौचालय, बिजली, पेयजल, स्कूल-केंद्र-सब कुछ।
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