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    World Cancer Day: कैंसर को मात देने वाले शैलेंद्र की कहानी, बोले- इलाज तो जरूरी... मगर हौसला बनाए रखें

    Updated: Tue, 04 Feb 2025 03:36 PM (IST)

    (World Cancer Day 2025) कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे शैलेंद्र कुमार सचान की कहानी प्रेरणादायक है। पिछले 10 वर्षों से ब्लड कैंसर (Blood Cancer) से जंग लड़ रहे शैलेंद्र ने हार नहीं मानी और आज भी वकील के रूप में अपना काम जारी रखे हुए हैं। विश्व कैंसर दिवस पर जानिए उनके संघर्ष और जीत (Cancer) की कहानी।

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    जिंदादिली से कैंसर को मात दे रहे शैलेंद्र। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, हमीरपुर। कैंसर जैसी बीमारी (Cancer) का नाम सुनकर मरीज ही नहीं, उसका पूरा परिवार डर जाता है। पैरों तले जमीन खिसक जाती है। मन में यही सवाल होता है कि अब क्या होगा? कितना खर्चा आएगा? कहां इलाज होगा?

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    यह डर लाजिमी भी है, क्योंकि सर्वाइकल, ब्रेस्ट, ब्रेन ट्यूमर, ब्लड, मुख, गाल ब्लैडर आदि के कैंसर से हर साल लाखों लोगों की मृत्यु हो रही है, लेकिन अब नई तकनीकी व दवाओं से कैंसर का इलाज काफी आसान हो गया है। अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से तमाम लोग कैंसर को हराने में सफल भी हो रहे हैं।

    आइए, विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) पर कैंसर को मात देने वाले एक अधिवक्ता की कहानी बताते हैं, जो जिंदादिली के साथ कैंसर को मात दे रहे हैं और अपने परिवार के साथ जीवन की खुशियों को साझा कर रहे हैं।

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    शैलेंद्र को 10 साल पहले हुआ था कैंसर

    हमीरपुर के रमेड़ी मोहल्ला निवासी अधिवक्ता संघ के महामंत्री 43 वर्षीय शैलेंद्र कुमार सचान बीते दस वर्षों ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन उनकी जिंदादिली इसे मात देती नजर आ रही है। एक आम इंसान की तरह वे रोजाना समय से कोर्ट जाते हैं और अपने वाद निपटाते हैं।

    इनकी बीमारी इनके किसी भी काम में रुकावट नहीं पैदा कर रही है। शैलेंद्र कुमार सचान बताते हैं कि उन्हें चलने फिरने में अचानक समस्या हुई। जिस पर वह अपना इलाज कराने को रिजेंसी गए, जहां से उन्हें पीजीआई भेज दिया गया। वहां जांच में उनको कैंसर होने की पुष्टि हुई।

    2015 से ही शैलेंद्र का चल रहा इलाज

    बीते 21 अक्टूबर 2015 को उनका पहला ऑपरेशन हुआ और उसके बाद से लगातार वह अपना इलाज करा रहे हैं और जिंदादिली के साथ इस कैंसर को मात देते नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीते 28 जनवरी को उन्होंने मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल जाकर अपना पूरा चेकअप कराया है।

    उन्होंने कैंसर पीड़ितों को संदेश दिया है कि कैंसर से लड़ने के लिए उचित इलाज के साथ साथ हौसले की भी जरूरत है। आप हौसला रखिए, बीमारी आपके कार्यों में रुकावट नहीं बन सकती।

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