फर्जी अंतिम संस्कार पर हापुड़ प्रशासन की सख्ती, शवों का सत्यापन अनिवार्य, संबंधी का आधार कार्ड भी जरूरी
हापुड़ प्रशासन ने फर्जी अंतिम संस्कारों पर लगाम कसने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। अब शवों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है, और अंतिम संस्कार करने आए व्यक्ति को मृतक के साथ अपने संबंध का प्रमाण देना होगा, जिसके लिए आधार कार्ड जरूरी है। प्रशासन का उद्देश्य फर्जीवाड़े को रोकना है, जिससे कानूनी और सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं।

अंतिम संस्कार के लिए लाया गया डमी। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाजा, ब्रजघाट (हापुड़)। अब गंगा तट पर शवों के अंतिम संस्कार से पहले उनका सत्यापन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में अब मृतक के साथ ही एक उसके स्वजन व एक किसी संबंधी का आधार कार्ड भी लिया जाएगा। पिछले दिनों एक जिंदा युवक का फर्जी अंतिम संस्कार कराने की साजिश पकड़ में आने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
इसमें युवक के स्थान पर एक डमी की अर्थी बनाकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया था। गंगा में शव को स्नान कराने के दौरान शव के स्थान पर डमी होने की आशंका हुई। उसके बाद लाेगों की शिकायत पर पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। जानकारी पर सामने आया कि आरोपित दिल्ली के कपड़ा कारोबारी है।
उन्होंने अपने यहां काम करने वाले एक कामगार की मौत का नाटक तैयार करके 50 लाख रुपये बीमा धनराशि हड़पने की तैयारी की थी। उक्त घटना के बाद नगर पंचायत गढ़मुक्तेश्वर व एसडीएम ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की योजना तैयार की है। जिससे आपराधिक मानसिकता वाले लोगों पर नियंत्रण रखा जा सके।
रोजाना तीन दर्जन से अधिक अंतिम संस्कार
गंगाघाट ब्रजघाट पर रोजाना औसतन तीन दर्जन से ज्यादा अंतिम संस्कार किए जाते हैं। यहां पर प्रदेश के आसपास के जिलों के साथ ही दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान से भी अंतिम संस्कार के लिए शव लाए जाते हैं। गंगा तट पर अंतिम संस्कार के बाद यहां पर प्रमाण पत्र भी जारी किया जाता है। इसके साथ ही अंतिम संस्कार वालों का रजिस्टर में रिकार्ड भी रखा जाता है।
इनके अलावा कई राज्यों से अस्थि विसर्जन के लिए भी ब्रजघाट में लोग पहुंचते हैं। यहां पर पिछले सप्ताह हुई एक घटना से स्थानीय लोगों के साथ ही पुलिस-प्रशासन के अधिकारी भी चिंतित हैं। दिल्ली का एक कारोबारी अपनी दुकान पर काम करने वाले युवक का अंतिम संस्कार करने के लिए अर्थी लेकर पहुंचा।
गंगा स्नान के समय संस्कार कराने वाले अचार्याें को पता चला कि शव के स्थान पर कफन में कोई ठोस वस्तु हैं। शक होने पर कफन हटाकर देखा गया तो उसमें एक डमी निकली। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि वह अपने कामगार के अंतिम संस्कार की पर्ची लगाकर 50 लाख रुपये का बीमा हड़पना था।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया
नगर पालिका ने अंतिम संस्कार से पहले जरूरी साक्ष्य लेने का निर्णय लिया है। सीओ, एसडीएम, ईओ पालिका और चेयरमैन के मध्य निर्णय लिया गया है कि मृतक के आधार कार्ड के साथ ही उसके स्वजन व एक अन्य रिश्तेदार या पड़ोसी का आधार कार्ड प्रस्तुत करना होगा।
जिससे गड़बड़ी होने की आशंका को कम किया जा सके। वहीं पूरी प्रक्रिया को कंप्यू्टराइज्ड किया जाएगा। इसके लिए डीएम और एडीएम ने आदेश जारी कर दिए हैं।
गंगा तट पर अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन की ओर से जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके साथ ही किसी प्रकार का दुरुपयाेग भी नहीं होने दिया जाएगा। अब मृतक के साथ ही दो अन्य आधार कार्ड प्रस्तुत करने होंगे। वहीं मृतक के चेहरे का मिलान उसके आधार कार्ड से कराया जाएगा। शव का चेहरा खुलवाया जाएगा। कफन में बंद शव का अंतिम संस्का नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है।
संदीप कुमार- एडीएम।

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