Hapur: ग्रीन बेल्ट की जमीन को लेकर वन विभाग और विकास प्राधिकरण में ठनी, कारोबारियों की अटकी सांसें
हापुड़ में ग्रीन बेल्ट की जमीन को लेकर वन विभाग और विकास प्राधिकरण में ठन गई है। वन विभाग ने सड़क किनारे की जमीन को अपनी बताया है और रास्ता देने से इनकार कर दिया है जबकि प्राधिकरण का कहना है कि वह जमीन उनकी है। इस विवाद से कई कारोबारी और प्लॉट खरीदने वाले लोग परेशान हैं। मामला अब डीएम और कमिश्नर तक पहुंचने की उम्मीद है।

ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। हापुड़ में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर वन विभाग और प्राधिकरण का रुख विरोधाभाषी है। इससे दर्जनों बड़े कारोबारी और आवासीय योजना में प्लॉट लेने वाले सैकड़ों लोगों को परेशानी हो सकती है।
वहीं, सड़क किनारे की जमीन को अपनी बताते हुए वन विभाग ने वहां से होकर रास्ता देने से इनकार कर दिया है। जबकि प्राधिकरण ने वहां पर किसी भी अन्य विभाग की जमीन होने से इनकार कर दिया है। दाेनों विभागों ने यह दावा आरटीआई के उत्तर में किया है।
बताया गया कि कई महीने के प्रयास के बाद भी दोनों विभागों के अधिकारी साथ बैठकर समाधान निकालने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते दर्जनों कारोबारियों और अन्य लोगों की सांस अटकी हुई हैं।
हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण ने पुराने दिल्ली हाईवे के किनारे पर आनंद विहार योजना बनाई थी। इस योजना में हाईवे के किनारे पर प्लॉटिंग की गई थी। इसमें सड़क किनारे के प्लॉट को व्यवसायिक के रूप में आवंटित किया गया था। वहीं पीछे के प्लॉट पर आवासीय योजना विकसित की गई थीं। आवासीय योजना में निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा है, जबकि हाईवे किनारे के कामर्शियल प्लाट्स पर निर्माण कार्य अब आरंभ किया जा रहा है।
हापुड़ के चेयरपर्सन के पति श्रीपाल सिंह, बरेली के सोबती बिल्डर्स सहित दर्जनों कारोबारियों ने निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है। इन्होंने निर्माण के लिए नक्शा बनवाने को आवेदन किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।
वन विभाग ने नक्शा परआपत्ति लगाते हुए स्पष्ट किया है कि सड़क और प्लाटिंग के बीच में वन विभाग की ग्रीन बेल्ट की जमीन है। उस पर खड़े हुए पेड़ और भूमि दोनों संरक्षित हैं। यहां से होकर किसी आवंटी को रास्ता नहीं दिया जाएगा। उपभोक्ताओं द्वारा डाली गई आरटीआइ में भी वन विभाग ने भूमि को अपनी बताते हुए स्पष्ट कर दिया है कि इसभूमि पर किसी अन्य का आधिपत्य नहीं है। इसके समर्थन में वन विभाग ने अपनी जमरीन का नक्शा-सिजरा भी लगाया है।
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वहीं एचपीडीए ने सड़क किनारे वन विभाग की भूमि मानने से इंकार कर दिया है।आरटीआइ के उत्तर में एचपीडीए ने स्पष्ट किया है कि सड़क और किनारे की एचपीडीए की जमीन के मध्य में किसी अन्य की कोई भूमि नहीं है। एचपीडीए के पास जो सिजरा है, उसमें सड़क के किनारे अन्य किसी की कोई भूमि नहीं है। इस प्रकार दोनों विभागों की आरटीआइ एक-दूसरे की विरोधी स्थिति बयां कर रही हैं। अब आवंटी इस मामले को डीएम और कमिश्नर के सामने रखकर स्थिति स्पष्ट कराने का आग्रह करेंगे।
यह सर्व विदित है कि हाईवे किनारे की भूमि ग्रीन बेल्ट की होती है, जोकि वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में संरक्षित होती है। इससे होकर किसी भी प्रकार का मार्ग बनाना या यहां के पेड़ों का कटान किया जाना अवैध है। ऐसा करने पर विभाग कार्रवाई करेगा। - अर्सी मलिक- जिला वन अधिकारी
हमारे सिजरा में सड़क किनारे पर अन्य किसी की भूमि नहीं है। सड़क के बाद में सीधे प्राधिकरण की भूमि है। ऐसे में हमको किसी अन्य विभाग से एनओसी लेने-कराने की आवश्यकता नहीं है। हमने प्लाट जैसे हैं, जहां हैं के आधार पर विक्रय किए हैं। - अमित कुमार कादियान-सचिव प्राधिकरण
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