' शर्मिंदगी होती है तो ट्रेन के आगे कूदकर मर जाओ...', पति को सुसाइड के लिए उकसाने पर पत्नी और उसके प्रेमी को जेल
हापुड़ में एक अदालत ने पत्नी और उसके प्रेमी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी ठहराया। दोनों को पांच-पांच साल की जेल हुई है। मृतक के भाई ने 2016 में शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसकी भाभी का प्रेमी उसके भाई को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रहा था।

जागरण संवाददाता, हापुड़। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम विपिन कुमार द्वितीय ने शनिवार को मृतक की पत्नी राशिदा और उसके प्रेमी दिलशाद उर्फ दिल्लू को दोषी करार दिया।
दोनों को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड न चुकाने पर दोनों को तीन-तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
एक प्रेम-प्रसंग और टूटा विश्वास
अपर जिला शासकीय वकील फौजदारी नरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि वर्ष 2016 में गांव बक्सर के इशाक ने थाना सिंभावली में तहरीर दी थी। तहरीर में उसने बताया कि उनके बड़े भाई अलाउद्दीन का निकाह दो साल पहले मेरठ के थाना सरधना क्षेत्र के मोहल्ला आजाद नगर की राशिदा से हुआ था।
निकाह से पहले ही राशिदा का मेरठ के थाना परीक्षितगढ़ के गांव किला के दिलशाद उर्फ दिल्लू के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था। निकाह के बाद भी दिलशाद का राशिदा के घर आना-जाना बंद नहीं हुआ, जिसने इस दुखद घटनाक्रम की नींव रखी।
इशाक ने जब इस रिश्ते का विरोध किया, तो राशिदा अपने पति अलाउद्दीन के साथ गांव बक्सर में किराए के मकान में रहने चली गई। दिलशाद ने वहां भी पीछा नहीं छोड़ा और लगातार राशिदा से मिलने पहुंचता रहा। अलाउद्दीन के बार-बार मना करने के बावजूद दोनों ने उसकी बात को अनसुना कर दिया।
आखिरी मुलाकात में साझा किया था दर्द
इशाक ने बताया था कि एक मार्च 2016 को अलाउद्दीन ने उससे घर आकर मुलाकात की और अपना दुख साझा किया था। अलाउद्दीन ने बताया था कि कि राशिदा और दिलशाद का मेलजोल जारी है।
जब वह इसका विरोध करता है, तो दोनों उसे अपमानित करते हैं। दोनों और कहते हैं कि अगर तुम्हें शर्मिंदगी महसूस होती है, तो रेल के सामने कूदकर आत्महत्या कर लो। इशाक ने अपने भाई को समझाने की कोशिश की और घरेलू खर्च के लिए एक हजार रुपये देकर उसे वापस भेज दिया।
17 मार्च 2016 को जब इशाक अपने भाई से मिलने उसके घर पहुंचा, तो राशिदा ने बताया कि अलाउद्दीन दो दिन से घर नहीं आया।
18 मार्च 2016 को राशिदा ने बताया कि 14 मार्च 2016 को अलाउद्दीन ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद 17 मार्च 2016 को शव को दफना दिया था।
पड़ोसियों ने सुनाई सनसनीखेज सच्चाई
इशाक ने बताया कि भाई की मौत के मामले में उसने पड़ोसियों से बात की तो पता चला कि दस मार्च 2016 को अलाउद्दीन बेहद दुखी था। उसने पड़ोसियों को बताया कि उसने अपनी पत्नी राशिदा को दिलशाद के साथ चारपाई पर आपत्तिजनक स्थिति में देखा था।
इस अपमान और मानसिक तनाव ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया था। 19 मार्च 2016 को उसे पता चला कि दिलशाद फिर से राशिदा से मिलने उसके घर आया है।
इशाक अपने दो साथियों के साथ राशिदा के घर पहुंचा। वहां कमरे का दरवाजा बंद था, और अंदर से राशिदा और दिलशाद की बातचीत सुनाई दी। दोनों कह रहे थे कि हमने मिलकर रास्ते का कांटा हटा दिया। अब कोई हम पर शक भी नहीं करेगा।
कुछ दिन बाद हम शादी कर लेंगे। जब उसने ने दरवाजा खुलवाया, तो दोनों उसे देखकर सन्न रह गए। पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि अलाउद्दीन के जीवित रहने से उनके निकाह में बाधा आ रही थी, इसलिए उन्होंने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया था।
कानूनी कार्रवाई और न्याय तक का सफर
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद इशाक की तहरीर पर पुलिस ने राशिदा और दिलशाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। जांच के बाद विवेचक ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की।
मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम विपिन कुमार द्वितीय के न्यायालय में चली। शनिवार को लंबी सुनवाई और सबूतों के आधार पर न्यायाधीश ने दोनों को दोषी पाया।
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