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    चंद सेकंड के लिए मकान से बाहर निकले राजपाल, ...और गिर गया लेंटर; बारिश से जिसे बचाना चाहा उसी की गई जान

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 01:59 PM (IST)

    हापुड़ के बाबूगढ़ क्षेत्र में बारिश के कारण एक जर्जर मकान का लेंटर गिरने से बड़ा हादसा हो गया। किसान और उसका परिवार बाल-बाल बचा लेकिन मलबे में दबकर तीन पशुओं की मौत हो गई। इस घटना ने जर्जर भवनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है ताकि वे अपना भरण-पोषण कर सकें।

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    हापुड़ के बाबूगढ़ में जर्जर मकान का लेंटर गिरा। जागरण

    केशव त्यागी, हापुड़। हापुड़ के थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव बछलौता में मंगलवार तड़के एक दर्दनाक हादसा हो गया। बारिश के कारण एक जर्जर मकान का लेंटर अचानक भरभरा कर ढह गया।

    गनीमत रही कि मकान में मौजूद किसान और उसका परिवार बाल-बाल बच गया और मलबे में दबकर तीन पशुओं की मौत हो गई। इस हादसे ने एक बार फिर जर्जर भवनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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    गांव बछलौता के रहने वाले किसान राजपाल ने बताया कि वह खेती-बाड़ी के जरिए अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। वह अपने पुत्र प्रदीप, पुत्रवधू रितु, और पौत्र चाहत व वंश के साथ रहते हैं।

    बारिश से बचाने को मकान के अंदर बांधे थे पशु

    उन्होंने अपने मकान में कुछ पशु भी पाले हुए थे। सोमवार रात तेज बारिश के चलते उन्होंने पशुओं को मकान के अंदर बांध दिया और खुद भी पास में चारपाई पर सो रहे थे। बाकी परिवार के सदस्य मकान के दूसरे हिस्से में सो रहे थे।

    मंगलवार तड़के करीब तीन बजे राजपाल लघुशंका के लिए बाहर गए। इसी दौरान जर्जर लेंटर अचानक धराशायी हो गया। मलबे में दो भैंसों सहित चार पशु दब गए।

    हादसे की आवाज सुनकर पीड़ित उसके स्वजन और स्थानीय ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। बचाव कार्य शुरू करते हुए लोगों ने मलबा हटाकर एक पशु को सुरक्षित बचा लिया। जबकि, तीन पशुओं की मौत हो गई।

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    पुलिस ने लिया जायजा

    सूचना मिलते ही थाना बाबूगढ़ पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल का जायजा लिया। थाना प्रभारी निरीक्षक महेंद्र सिंह ने बताया कि मामले की जानकारी संबंधित विभाग को दे दी गई है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    पीड़ित परिवार को मुआवजा दिए जाने की मांग

    ग्रामीणों ने बताया कि किसान के परिवार के आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। हादसे के बाद उसे करीब दो लाख रुपयों से अधिक का नुकसान हुआ है। ऐसे में अधिकारियों को पीड़ित परिवार को मुआवजा दिलाना चाहिए। ताकि वह अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके।

    जर्जर भवनों पर उठे सवाल

    इस हादसे ने जर्जर भवनों की स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। बारिश के मौसम में इस तरह की घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में आम हो जाती हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि पुराने और जर्जर मकानों की जांच कर उनके पुनर्निर्माण या मरम्मत के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके।

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