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    खेती की जमीन निगल रही अवैध कॉलोनियां, हरे पेड़ कटे तो हरियाली मिटी

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 05:06 PM (IST)

    गढ़मुक्तेश्वर में दौलत के लिए खेती की जमीन पर गैर-कानूनी कॉलोनियां बन रही हैं, जिससे हरियाली खत्म हो रही है। किसान पैदावार बढ़ाने के लिए केमिकल फर्टिल ...और पढ़ें

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    गढ़मुक्तेश्वर में दौलत के लिए खेती की जमीन पर गैर-कानूनी कॉलोनियां बन रही हैं। फाइल फोटो

    ओम प्रकाश गौतम, गढ़मुक्तेश्वर। दौलत के चक्कर में खेती की ज़मीन पर गैर-कानूनी कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। कॉलोनियां बनाने के लिए हरे-भरे पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे हरियाली खत्म हो रही है। वहीं, खेती की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान फसलों में केमिकल फर्टिलाइजर डालकर ज़मीन को बंजर बनाने में खुश हैं। तरक्की की इस चाहत में बढ़ता प्रदूषण बड़ी-बड़ी इमारतों के बनने से छिप रहा है।

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    खेती की ज़मीन, जो देश की आबादी को खाना देती है, लगातार कम होती जा रही है। खेती की ज़मीन पर बिना इजाज़त के गैर-कानूनी कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। इन कॉलोनियों में हरे-भरे पेड़ों को काटकर उन्हें कंक्रीट बनाने का काम किया जा रहा है। नतीजतन, फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए बंजर ज़मीन पर बहुत ज़्यादा केमिकल फर्टिलाइजर डाले जा रहे हैं, जिससे ज़मीन की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है और वह बंजर होती जा रही है।

    नीचे जमीन और ऊपर हवा, दोनों में प्रदूषण ऊंची-ऊंची इमारतों में दिख रहा है। बढ़ता प्रदूषण देश के लिए चिंता का विषय है। बेशक, अभी आपको यह महसूस न हो, लेकिन आप आने वाले युवाओं को क्या देने जा रहे हैं? यह सोचना ही काफी है।

    गंगा-जमुना दोआब को प्रदूषण-मुक्त माना जाता है। इसलिए, अमीर बाहरी लोग गढ़मुक्तेश्वर तहसील क्षेत्र में बंगले बना रहे हैं। खेती की ज़मीन पर बड़ी-बड़ी इमारतें बन रही हैं। पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे हरियाली खत्म हो रही है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है। - ओम दत्त, सामाजिक कार्यकर्ता

    खेती की जमीन पर बिना इजाज़त के अवैध कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। पेड़ काटकर और हरी-भरी ज़मीन पर कॉलोनियां बनाकर आप तरक्की तो कर रहे हैं, लेकिन प्रदूषण भविष्य के लिए एक गंभीर खतरा बन रहा है। - जितेंद्र यादव, एडवोकेट