पिता की इस निशानी को यादों में संजोना चाहते थे परिजन, DM ने विरासत के लिए दिया लाइसेंस
हरदोई में एक परिवार अपने पिता की निशानी को संजोना चाहता था। जिलाधिकारी ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें विरासत का लाइसेंस दिया। परिवार इस निशानी को अपने पिता की याद के रूप में सहेज कर रखना चाहता है। लाइसेंस मिलने से परिवार में खुशी की लहर है और वे जिलाधिकारी के आभारी हैं।

डीएम ने बंदूक रखने का दिया लाइसेंस।
जागरण संवाददाता, हरदोई। पिता की मौत के बाद राजपाल उनकी यादों को संजोने के लिए बंदूक की लाइसेंस चाहते थे। पीके सिंह तो प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं, वह स्वर्गीय हो चुके पिता के हाथों की बंदूक को केवल यादगार के रूप में लेना चाहते थे, पर यह लोग भटक रहे थे। विरासत की लाइसेंस नहीं बन पा रही थी। हर कोई अपनी अपनी बात करता था, लेकिन जिलाधिकारी अनुनय झा ने एक बड़ी लकीर खींची।
विरासत की लाइसेंस बनवाने वालों को बुलाया और उनकी मंशा पूछी। सबसे पहले एक बात कि किसी को एक रुपया तक तो नहीं दिया। जो सही दिखा, उससे तुरंत ही कह दिया, कि जाओ, लाइसेंस बन गई। विरासत की लाइसेंस की प्रतीक्षा कर रहे लोगों में खुशी सी छा गई है।
नवीन शस्त्र लाइसेंसों पर तो कई वर्ष से रोक लगी है, पर विरासत की बन सकती थीं। पर पिछले कई वर्षों से वह भी नहीं बनाई जा रहीं थीं, जिससे आवेदन करने वालों में मायूसी थी। बहुतों ने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन जिलाधिकारी अनुनय झा ने लोगों की भावनाओं का सम्मान रखते हुए विरासत की शस्त्र लाइसेंस बनाना शुरू किया।
करीब 56 आवेदन पुराने निकले, जिन्हें वरीयता के क्रम से बुलाकर डीएम ने उनसे वार्ता की और फिर उसी समय लाइसेंस भी स्वीकृत कर दिया, जिलाधिकारी की इस पहल की लोग खूब सराहना कर रहे हैं। डीएम का यह कदम इंटरनेट मीडिया पर भी खूब छाया है।

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