दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में भारी भीड़, फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें सिर्फ नाम भर की दे रहीं सुविधा
दीपावली और भाई दूज के बाद दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की भारी भीड़ है। सामान्य और स्लीपर क्लास में सफर करना मुश्किल हो गया है। फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों का किराया अधिक होने के कारण यात्री नियमित ट्रेनों में यात्रा करने को मजबूर हैं, जिनमें पैर रखने तक की जगह नहीं है। यात्री रेलवे से व्यवस्था सुधारने की मांग कर रहे हैं।
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जागरण संवाददाता, हरदोई। दीपावली व भाई दूज के बाद अब वापसी की यात्राओं का दौर शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश से दिल्ली और एनसीआर की ओर जाने वाली ट्रेनों में फिर से भीड़ का दबाव बढ़ गया है। हरदोई स्टेशन से लेकर बड़े जंक्शन तक स्थिति यह है कि सामान्य एवं स्लीपर श्रेणी में सफर करना यात्रियों के लिए चुनौती बन गया है।
हरदोई रेलवे स्टेशन पर बोगियों के बाहर लटकते यात्री और सीट को लेकर जद्दोजहद आम नजारा बनी हुई है। रेलवे प्रशासन ने त्योहार सीजन में अतिरिक्त ट्रेनों के संचालन का दावा जरूर किया, लेकिन यात्रियों का कहना है कि इसका लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच सका। कई फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों का किराया सामान्य ट्रेनों से काफी अधिक है, जिस कारण यात्रियों ने इन ट्रेनों से दूरी बना ली है। ऐसे में भीड़ का दबाव सिर्फ नियमित ट्रेनों पर ही पड़ रहा है।
फेस्टिवल स्पेशल को यात्री यह भी आरोप लगा रहे हैं कि जो ट्रेनें चल रही हैं, वे घंटों की देरी से पहुंच रही हैं। देर रात या सुबह-सुबह प्लेटफार्म पर इंतजार करते बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को खासा परेशान होना पड़ रहा है। कई यात्रियों ने बताया कि कंफर्म टिकट नहीं मिलने पर जनरल डिब्बों का सहारा लेना मजबूरी है, लेकिन यहां हालत इस कदर खराब है कि पांव रखने तक की जगह नहीं बचती।
पीयूष मिश्रा, बद्रीश आदि का कहना है कि अगर रेलवे सच में यात्री सुविधा बढ़ाना चाहता है, तो सिर्फ कागजों में नहीं, जमीन पर भी इंतजाम दिखाई देने चाहिए। सामान्य किराए पर अतिरिक्त कोच जोड़ने या स्पेशल ट्रेनों को नियमित किराए पर चलाने की मांग भी उठाई जा रही है। त्योहार का मौसम खत्म होने के बावजूद वापसी यात्रा में हो रही दिक्कतों से यात्री नाराज नजर आ रहे हैं, और रेलवे से सुधार की उम्मीद लगाए हुए हैं।

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