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    दहेज उत्पीड़न में तीन आरोपितों को कोर्ट ने सुनाई तीन-तीन साल की सजा

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 07:02 PM (IST)

    कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में तीन आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। यह फैसला दहेज प्रथा के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपियों को दोषी पाया। यह मामला कई महीनों से कोर्ट में चल रहा था, जिसके बाद यह फैसला आया।

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    संवाद सहयोगी, छिबरामऊ। विशुनगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम खबरिया के तीन लोगों को दहेज उत्पीड़न के मामले में तीन-तीन वर्ष की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा उन पर पांच-पांच हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर उनको दस दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास होगा। इस मामले में बुढ़ापे व शारीरिक शिथिलता के चलते एक महिला को बरी कर दिया गया।

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    विशुनगढ थाना क्षेत्र के खबरिया निवासी लक्ष्मी देवी ने पति गोपाल, जेठ जितेंद्र, ससुर नेकसे, सास ऊषा देवी, नीलम, मदनलाल व संगीता के खिलाफ 28 अप्रैल 2020 को विशुनगढ़ थाने में शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न, मारपीट, अभद्रता, जान से मारने की धमकी व दहेज एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस जांच में नीलम, मदनलाल व संगीता के नाम साक्ष्य के अभाव में हटा दिए गए जबकि चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया।

    कोर्ट ने पाया दोषी

    अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकुश श्रीवास्तव की न्यायालय में अभियोजन पक्ष की तरफ से दानिश जमाल और बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता सुरेश चन्द्र कनौजिया ने बहस की। न्यायालय ने सभी को दहेज उत्पीड़न के मामले में दोषी पाया। न्यायालय ने धारा 498ए में दो-दो साल कारावास व तीन-तीन हजार रुपये जुर्माना, धारा 323 में तीन-तीन माह सजा व पांच-पांच सौ रुपये जुर्माना, धारा 504 में तीन-तीन माह सजा पांच-पांच सौ रुपये जुर्माना, धारा 506 में तीन-तीन माह सजा व पांच-पांच सौ रुपये जुर्माना व दहेज एक्ट में छह-छह माह की सजा और पांच-पांच सौ रुपये जुर्माना लगाया।

    जुर्माने की रकम से नौ हजार रुपये पीड़िता को भी देने के आदेश दिए। इसके अलावा सास ऊषा देवी को बुढ़ापे और शारीरिक शिथिलता की वजह से बरी कर दिया। न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया। अर्थदंड अदा न करने पर दस दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगने का आदेश दिया गया है।