कानपुर में दीपावली पर जबरदस्त आतिशबाजी, घर-घर विराजे गणेश-लक्ष्मी, आसमान में सतरंगी छटा
कानपुर में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। घरों और प्रतिष्ठानों में गणेश-लक्ष्मी का पूजन हुआ, सुख-समृद्धि की कामना की गई। शहर रोशनी से जगमगा उठा और आतिशबाजी की गई। गंगा तट पर दीपदान हुआ और मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही। काली मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी, वहीं जैन मंदिरों में निर्वाण महोत्सव मनाया गया।

जागरण संवाददाता, कानपुर। प्रेम और सौहार्द का त्योहार दीपावली शहरभर में उत्साहपूर्वक मनाया गया। घर-घर गणेश-लक्ष्मी और कुबेर बिराजे। घरों, प्रतिष्ठानों और कारखानों में मां लक्ष्मी और श्रीगणेश का पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की गई। पूजन के बाद खुशियों के दीपक जलाए गए। हर घर, दुकान, प्रतिष्ठान, गली-नुक्कड़ रोशनी से जगमग रहे। शहरभर में आतिशबाजी की गई। इस कारण सतरंगी छटा छाई रही। देर रात तक हर तरफ धूम-धड़ाका होता रहा। एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाओं का दौर चलता रहा। छोटों ने बड़ों का आशीर्वाद लिया। प्रतिष्ठानों में बही पूजन किया गया।
प्रभु श्रीराम के बनवास पूरा करने के बाद अयोध्या पहुंचने पर दीपावली मनाई गई थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। सुबह से ही लोगों ने घरों, प्रतिष्ठानों में साफ-सफाई कर सजाया। वंदनवार लगाए गए। फूलों की लड़ी से सजावट की गई। घर-घर रंगोली बनाई गई। अंधेरा होते ही हर तरफ रोशनी ही रोशनी दिख रही थी। सभी भवन लाइट से जगमग थे। शाम होते ही बच्चे सजधज कर तैयार होने लगे।
गोविंद नगर में आतिशबाजी जलाते लोग। जागरण
संध्याकाल में मुहूर्त शुरू होते ही लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार पूजन किया। लक्ष्मी, गणेश और कुबेर का पूजन कर आर्थिक समृद्धि की मंगल कामना की गई। पूजन के बाद आंगन से लेकर द्वार तक और छतों पर दीपक जलाए गए। धूप, अगरबत्ती की खुशबू छाई रही।
पूजन के बाद मां, पिता, सास, ससुर का आशीर्वाद लेकर एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया गया। बच्चों ने फुलझड़ियां चलाईं। इसके बाद शुरू आतिशबाजी का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा। आसमान में सतरंगी छटा छाई रही। पटाखों की लड़ी की तेज आवाज गूंजती रही। हर तरफ धूम-धड़ाका होता रहा। सब कुछ कंप्यूटराइज्ड होने के बावजूद ज्यादातर प्रतिष्ठानों में बही पूजन किया गया। बही पूजन कर व्यवसाय में लाभ की कामना की गई।
दीपों से जगमग हो उठे गंगा तट
दीपदान से गंगा तट जगमग हो उठे। शहर के प्रमुख गंगा तट सरसैया घाट, परमट, मैस्कर घाट, लक्ष्मण घाट, मैस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट दीपों से जगमग रहे। भक्तों ने मंदिरों में पहुंचकर दीप जलाएं। देर रात तक आंनदेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर गोविंद नगर, जेके मंदिर और इस्कान मंदिर में भक्तों ने पूजन कर दीप जलाए। परमट स्थित श्रीधन महालक्ष्मी श्री कुबेर धाम में मां वैभव लक्ष्मी और कुबेर के दर्शन के लिए सोमवार को सुबह से देर रात तक भक्तों की भीड़ रही। यहां दीपावली पर मां लक्ष्मी का 51 लाख नोटों से शृंगार किया गया है। मां के दर्शन के लिए सुबह चार बजे ही पट खोल दिए गए थे।
काली बाड़ी मंदिर में 108 दीयों से विशेष आरती, आज भंडारा
दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद सोमवार को काली मंदिरों में मां काली का पूजन होगा। चकेरी स्थित काली बाड़ी मंदिर, शास्त्री नगर स्थित काली मठिया मंदिर और शिवाला स्थित मां काली के मंदिर में मध्य रात्रि से पूजन शुरू होगा। यह पूजन मंगलवार सुबह तक चलता रहेगा। काली बाड़ी मंदिर में मां को कुम्हडे और काली मठिया मंदिर पर नारियल की बलि दी जाएगी।
दीपावली पर कालीबाड़ी मंदिर में प्रतिष्ठित मां काली की मूर्ति का पूजन होगा। घरों में मां लक्ष्मी का पूजन होगा। फिर रात 10 बजे के बाद मां काली का पूजन शुरू होगा। प्रतीकात्मक रूप से कुम्हड़े की बलि देकर 108 दियों से विशेष आरती की जाएगी। रात 12 बजे मां को पुष्पांजलि दी जाएगी। भोर पहर रात 2:40 बजे मंगला आरती होगी। मंगलवार सुबह नौ बजे खीर, खिचड़ी, चटनी और सब्जी का भंडारा होगा। इसी भंडारे में लोग व्रत का परायण करेंगे। काली मठिया मंदिर मंदिर शास्त्रीनगर में दीपावली की रात 12 बजे से मां का हवन-पूजन शुरू हुआ। यहां पर नारियल फोड़कर प्रतीकात्मक रूप से मां को बलि दी गई। सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था उत्सारन के तत्वावधान में श्री श्री काली पूजा अशोक नगर स्थित दुर्गा पूजा पार्क में हुआ। यहां पर कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर की तर्ज पर मां काली की मूर्ति का पूजन किया गया। इस अवसर पर केशव चक्रवर्ती, पुलक भट्टाचार्य, अमिताभ बसु, मृदुल घोष, सत्यजीत मुखर्जी मौजूद रहे।
श्रीजी का अभिषेक
दीपावली पर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव मनाया गया। दीपावली के दिन जैन श्रद्धालु सुबह जैन मंदिरों में पहुंचे और श्रीजी का अभिषेक, शांति धारा और अष्ट द्रव से पूजन किया। भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण लाडू (मोदक) महावीराष्टक और निर्वाण कांड पढ़ कर अर्पित किया गया। चांदी के दीपकों से महा आरती की गई। जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी ने 2551 वर्ष पूर्व पावापुरी (बिहार) से कार्तिक कृष्ण अमावस्या दीपावली के दिन मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए दीपावली पर महावीर स्वामी निर्वाण महोत्सव मनाया जाता है।
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