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    Fatehpur Temple Tomb Dispute: मकबरा प्रकरण पर रेस्टोरेशन अपील स्वीकार, जानें, कौन मकबरे में समर्थन में पक्षकार

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 02:21 PM (IST)

    फ़तेहपुर में मंदिर-मकबरा विवाद मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पक्षकार के लिए सहमति जताई है और अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। विजय सिंह द्वारा दाखिल रेस्टोरेशन अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मृतक मुतवल्ली अनीस की जगह उनके पुत्र को पक्षकार बनाने पर सहमति दी है।

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    फतेहपुर में मकबरा और मंदिर विवाद में सुनवाई आज हुई।

    जागरण संवाददाता, फतेहपुर। फतेहपुर में 11 अगस्त को हुई तोड़फोड़ के बाद मकबरा-मंदिर विवाद में एक के बाद एक नया मोड़ आ रहा है। पहले मकबरा की जगह मंदिर होने के दावे के साथ विवाद शुरू हुआ। इसके बाद मालिकाना हक की लड़ाई कोर्ट पहुंच गई। 30 अगस्त की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 10 सितंबर दी थी। बुधवार को सुनवाई हुई। इसमें नया मोड़ आ गया है। 

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    फतेहपुर के मंदिर-मकबरा प्रकरण के बहुचर्चित मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई हुई। न्यायालय ने वादी मुकदमा के अधिवक्ता की अपील को स्वीकार करते हुए मृतक मुतवल्ली अनीश की जगह उनके बेटे अबू हरेरा को पक्षकार बनाने पर सहमति जताई, अब तक विपक्ष पक्षकार बनाने पर सहमत नहीं था और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांग रहा था। अब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 सितंबर तय कर दी है।

    वर्ष 2010 में सिविल जज सीनियर डिवीजन ने टाइटिल सूट का फैसला सुनाते हुए असोथर के रामनरेश सिंह के नाम वाली जमीन खारिज करते हुए भूमि पर मकबरा मंगी का नाम दर्ज करने का आदेश दिया था। इस मुकदमे के खिलाफ राम नरेश सिंह के पुत्र विजय सिंह कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। इस मुकदमे के खिलाफ उन्होंने अपर जिला जज की अदालत में रेस्टोरेशन दायर किया था, जिसे ट्रांसफर करके सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में आ गया है। 

    विजय सिंह ने जरिए अधिवक्ता कोर्ट में यह अपील की थी कि मुकदमे के दौरान पक्षकार रहे मुतवल्ली अनीश की मृत्यु हो चुकी है अब उनके स्थान पर नए मुतवल्ली अबू हरेरा को पक्षकार बनाया जाए। मकबरा पक्ष के अधिवक्ता अनिल श्रीवास्तव व मो. फिरोज ने पिछली तारीख पर इस पर जवाब दावा लगाने के लिए समय मांगा था। बुधवार की सुनवाई के दौरान विपक्षी अधिवक्ताओं ने पक्षकार बनाने की बात पर सहमति दे दी है। जबकि बहस के दौरान विजय सिंह की तरफ से अधिवक्ता रामजी सहाय, अभय प्रताप व राम किशोर अवस्थी ने पक्षकार बनाने के साथ ही नए पक्षकार का मुतवल्ली होने का दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष लाने की बात रखी। अब इसकी सुनवाई 17 सितंबर तय की गयी है।

    दोनों पक्षों से कचेहरी में मौजूद रहे अधिवक्ता व समर्थक

    बुधवार को बहुचर्चित मामले की सुनवाई थी तो दोनों पक्षों से लोग मौजूद थे। मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति, विश्व हिंदू परिषद, भाजपा के कई पदाधिकारी व समर्थक जहां कचेहरी में निर्णय को लेकर मौजूद रहे, तो वहीं मकबरा पक्ष से नामित अधिवक्ताओं के अलावा अनेक अधिवक्ता भी इस पक्ष के लिए मौजूद दिखे। हालांकि किसी तरह की कोई बहस या नारेबाजी नहीं हुई है। 

    सुरक्षा की दृष्टि से कचहरी में पुलिस बल रहा मुस्तैद 

    मंदिर-मकबरा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी अनूप सिंह ने कचहरी  में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनात की थी। कलेक्ट्रेट चौकी, परिसर से लेकर दीवानी न्यायालय परिसर तक पुलिस के जवान तैनात रहे। उधर खुफिया पुलिस भी एक बस्ते से दूसरे बस्ते में बैठकर गुप्त सूचनाएं एकत्रित करती हुई नजर आई।

    जानें कब-कब क्या हुआ

    • 10 अगस्त 2025 : मकबरे में घुसकर मजारें तोड़ी, शंख बजाकर की आरती-झंडा फहराया

    आबूनगर रेडइया में अति प्राचीन भवन में मंदिर-मकबरा का विवाद 11 अगस्त को शुरू हुआ। मंदिर-मठ संरक्षण कमेटी के आवाहन पर भाजपा, विहिप जैसे कई संगठनों की भीड़ मकबरा को ठाकुरद्वारा बताकर धावा बोला और मजारें तोड़ी, शंखध्वनि करके भगवा ध्वज लहरा दिया। विरोध में आसपास के मुस्लिम एकत्रित हो गये और पुलिस पर पथराव किया। पांच घंटे तक चले बवाल में पुलिस ने लाठी पटक कर किसी तरह से सभी को विवादित स्थल से अलग-थलग किया। 

    • 2012 में खतौनी में चढ़ा नाम

    वर्तमान राजस्व रिकार्ड में गाटा संख्या 1159 ठाकुर जी विराजमान मंदिर और गाटा संख्या 753 की खतौनी मकबरा मंगी दर्ज है, लेकिन यह विवाद 18 साल से चल रहा है। 2019 में सुन्नी वक्फ बोर्ड से नियुक्त किए गए मुतवल्ली अबू हुरेरा का तर्क है कि जबरन मकबरा पर कब्जा किया जा रहा है। मकबरा मंगी के मुतवल्ली मो. अनीश निवासी आबूनगर ने 2007 में पहला मुकदमा सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां दर्ज किया गया था, जिसमें टाइटिल डिसाइड का फैसला चार जून 2010 को आ गया था। इसी आदेश के आधार पर 2012 में गाटा नंबर 753 में मकबरा मंगी का नाम चढ़ाया गया था, लेकिन यह जानकारी किसी को नहीं हुई। मुतवल्ली ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका 2013 में दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मकबरा को वर्ष 1611 का निर्मित बताया था और आरोप लगाया था कि उक्त मकबरे की जमीन को शकुंतला मान सिंह पत्नी नरेश्वर मान सिंह के नाम गलत ढंग से 1970 में अपने नाम राजस्व रिकार्ड में चढ़वा लिया और बाद में शकुंतला मानसिंह ने इस जमीन को असोथर के रामनरेश सिंह के नाम बेंच दिया। राम नरेश सिंह ने उपरोक्त जमीन से 34 प्लाट बेंचे गए और अब मकबरा पर भी अतिक्रमण की नीयत है। हाईकोर्ट उस समय डीएम को पूरे प्रकरण की जांच कराने और पिटीशनर की सुनवाई करने को कहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर जब तत्कालीन डीएम राकेश कुमार ने प्रकरण की जांच कराई थी। जांच में पाया गया था कि अप्रैल 2012 में ही एसडीएम कोर्ट के वाद 30/2010-12 के आधार पर रामनरेश का नाम खतौनी से निरस्त करते हुए मंगी मकबरा का नाम खतौनी में चढ़ा दिया गया है। जबकि उक्त जमीन पर प्लाट खरीदने वालों के खिलाफ आरबीओ एक्ट के तहत कार्रवाई प्रस्तावित है। हालांकि यह कार्रवाई आज तक नहीं हुई है।

    • 11 अगस्त को ही तोड़फोड वाली तीन मजारों की रातो रात मरम्मत, छावनी बना मकबरा

    सदर कोतवाली के आबूनगर रेड़इया मोहल्ले में विवादित मंदिर-मकबरे में बीते दिन हुई तोड़फोड़ को लेकर प्रशासन ने मध्यरात्रि में ही टूटी तीन मजारों में मरम्मतीकरण का कार्य करवा दिया है। विवादित स्थल के बाहर पुलिस का सख्त पहरा बैठा दिया गया है। किसी को भी विवादित स्थल तक जाने की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी है। वहीं जिला प्रशासन दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की लगातार अपील कर रहा है। सिविल और पुलिस प्रशासन के अफसर घटना को लेकर डेरा डाले हुए हैं। एसपी ने विवादित स्थल को छावनी में तब्दील कर दिया है। दो की जगह अब तीन लेयर की बैरीकेडिंग लगा दी गई है। सुरक्षा का जायजा लेने आइजी अजय कुमार मिश्रा व लखनऊ एसटीएफ के सीओ भी आए।

    • जो जमीन मकबरे के नाम दर्ज, वह थी जमींदार का बागान

    आबूनगर स्थित जिस मकबरे को लेकर विवाद है उसकी जमीन राजस्व के असल रिकार्ड 1359 फसली (1952) की खतौनी में जमींदार का बागान के नाम से दर्ज है। बाद में यह शकुंतला मान सिंह के नाम आ गई, फिर यह रामनरेश के नाम दर्ज हुई। पहली बार 2007 में मामला अदालत पहुंचा और 2012 में खतौनी में मकबरा मंगी का नाम दर्ज हो गया था। अब मकबरे को ठाकुरद्वारा बताया जा रहा है, जो पास में ही दूसरे गाटा संख्या में स्थित है। डीएम रविंद्र सिंह ने बताया कि दस्तावेज जांचे जा रहे हैं। पुरात्व विभाग को भो पत्र भी लिखा गया है।

    • 13 अगस्त को मकबरे की एक किमी परिधि सील

    विवादित मकबरा स्थल पर लगे बैरिकेड्स को ऊंचा कर दिया गया है, तो वहीं यहां पहुंचने वाले रास्तों में 50 बैरियर बढ़ा दिए गए है। एक किलोमीटर की परिधि में पुलिस बल की तैनाती कर सीमाएं सील कर की गयी हैं। पूरे दिन कमिश्नर विजय विश्वास पंत और आइजी अजय कुमार मिश्र ने कैंप किया और हर घंटे अफसरों के साथ बैठक कर जानकारी हासिल की। तोड़फोड़ में नामित आरोपितों को पकड़ने के लिए छापेमारी हुई लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई।

    • 14 अगस्त को मकबरे की भूमि को लेकर सीएम ने मांगी रिपोर्ट

    भाजपाइयों पर भूमि कब्जियाने के लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत पिछले दो दिन से जिले में डेरा डालकर सभी दस्तावेजों की छानबीन करा रहे थे। उधर प्रशासन घटना के दिन लापरवाही बरतने के मामले पर भी ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करने के साथ पूरी छानबीन कर रहे हैं।

    • 16 अगस्त भूमि विवाद की 75 पेज की रिपोर्ट तैयार

    भूमि विवाद पर पूरी रिपोर्ट मांगे जाने से अफसरों से लेकर नेताओं तक की बेचैनी बढ़ गई। विहिप व संघ जहां इस मामले को पाटने में लगा हुआ है, वहीं भाजपाई विपक्ष के घेरेबंदी का तोड़ निकालने में लगे हैं। कीमती भूमि को लेकर पहुंची शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त से पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद दस अफसर व 12 लेखपालों ने लगभग 75 पेज की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली थी।

    • 17 अगस्त को कानूनी लड़ाई की तरफ बढ़े कदम, 30 को अदालत में सुनवाई

    आबूनगर के रेड़इया मुहल्ले में 11 अगस्त को हुए मंदिर-मकबरा विवाद के कदम अब कानूनी लड़ाई की तरफ बढ़ गए थे। बीते एक सप्ताह में मठ-मंदिर संरक्षण समिति, विश्व हिंदू परिषद व भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दस्तावेज एकत्रित किए जा रहे थे। अब मठ -मंदिर संरक्षण संघष समिति ने पुराने मुकदमे में अधिवक्ताओं का पैनल खड़ा करने की रणनीति बनाई। इस मामले में 30 अगस्त को कोर्ट में सुनवाई होनी थी।

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