GSVM में खून चढ़ाने से संक्रमित नहीं हुआ कोई भी बच्चा, मल्लिकार्जुन खरगे और अखिलेश यादव ने लगाये थे गंभीर आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कानपुर में एक सरकारी अस्पताल में 14 थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाये जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा सरकार पर हमला बोला। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जीएसवीएम में खून चढ़ाने से कोई भी संक्रमित नहीं हुआ।

जागरण संवाददाता, कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने खून चढ़ाने से संक्रमित हुए हुए बच्चों की खबर का पूर्ण रूपेण खंडन किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से अब तक 14 बच्चे स्क्रीनिंग में संक्रमित पाए गए हैं। हमारे यहां के ब्लड बैंक में खून की विश्व स्तरीय जांच की सुविधा है। खून की जांच करने के बाद ही बच्चों को चढ़ाया जाता है।
इसलिए बच्चों के संक्रमित होने का सवाल ही नहीं उठाता है, ब्लड चढ़ाने से आज तक एक भी बच्चा संक्रमित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जनता के बीच गलत सूचना देकर भ्रम फैलाया गया है। इसके लिए विधि संवत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही खबर में बाल लोग विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अरुण कुमार आर्य का बयान है, वह बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
इसलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा जा रहा है। उन्होंने यह जानकारी बुधवार को प्राचार्य कार्यालय के पीसीआर रूम में प्रेसवार्ता के दौरान दी। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में 14 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को खून चढ़ाने से एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण होने की खबर समाचार पत्र में प्रकाशित की गई थी।
खबर का संज्ञान लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर अपनी प्रक्रिया दी थी। जिसमें उन्होंने डबल इंजन की सरकार पर कटाक्ष किया था। इसके बाद से केंद्र से लेकर राज सरकार हरकत में आई और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजय कला से जवाब तलब किया गया। इस क्रम में उन्होंने बुधवार को मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कमेटी रूम (पीसीआर) में अपना पक्ष रखते हुए अपने ही संस्थान की खबर का खंडन किया।
कुल नौ संक्रमित का किया दावा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला ने बताया कि वर्ष 2019 के बाद से थैलेसीमिया का कोई भी संक्रमित मरीज एचआईवी हेपेटाइटिस से संक्रमित नहीं पाया गया। वर्ष 2014 में एचआईवी का एक और वर्ष 2019 में एक मरीज स्क्रीनिंग के दौरान पाया गया था। जो किसी अन्य ब्लड बैंक से ट्रांसफ्यूजन कर कर आए थे।
इसके अलावा वर्ष 2016 में हेपेटाइटिस बी के दो मरीज स्क्रीनिंग में पॉजीटिव पाए गए थे तथा हेपेटाइटिस सी के दो मरीज 2014 में तथा 2016 में 2 और 2019 में एक पॉजिटिव मरीज पाया गया था। उन्होंने कहा कि अभी तक मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफ्यूजन से कोई भी थैलेसीमिया का मरीज संक्रमित नहीं हुआ है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एलाइजा के साथ नेट टेस्टिंग की जाती है जो विश्व की सर्वोच्च टेस्ट और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी है।

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