Kanpur CSJMU का बड़ा फैसला, स्नातक तीन साल के पाठ्यक्रम में भी रिसर्च कोर्स देने की तैयारी
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) अब तीन वर्षीय स्नातक छात्रों को भी शोध का अवसर देगा जिसके लिए 75% अंक अनिवार्य होंगे। विश्वविद्यालय की आगामी बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। वर्तमान में यह सुविधा केवल चार वर्षीय पाठ्यक्रम के छात्रों के लिए उपलब्ध है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य उच्च स्तरीय शोध को बढ़ावा देना है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय अपने तीन वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को भी शोध एवं अनुसंधान का लाभ देने की योजना पर काम कर रहा है। अभी तक चार वर्षीय पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं को चौथे साल में शोध व अनुसंधान करने की सुविधा है।
इसके लिए सभी सेमेस्टर में 75 प्रतिशत अंक होने जरूरी है। अब इसी तरह तीन साल पाठ्यक्रम वाले विद्यार्थियों को भी शोध एवं अनुसंधान का मौका दिया जाएगा। इस बारे में विचार करने के लिए विश्वविद्यालय ने अगले सप्ताह बैठक भी बुलाई है।
छत्रपति शाहूजी महाराज विवि में अब लगातार छह सेमेस्टर में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को बिना परास्नातक किए शोध कार्य करने का मौका मिलेगा। छात्र स्नातक आनर्स की डिग्री के साथ हीपीएचडी में प्रवेश ले सकेंगे। यह सुविधा इस सत्र से लागू होने वाले चार वर्षीय पाठ्यक्रम के छात्रों को दी जाएगी। इस बीच अब विवि ने तीन साल का स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्रों को भी यह लाभ देने की मंशा बनाई है। इससे संबंधित प्रस्ताव पर आगामी 12 अगस्त को होने वाली बैठक में विचार किया जाएगा।
सीएसजेएमयू और संबद्ध महाविद्यालयों में अभी तक तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम के तहत शिक्षा दी जा रही है। इसी सत्र से चार साल स्नातक पाठ्यक्रम भी लागू किया जा रहा है। इस पाठ़यक्रम के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति में चौथे साल में शोध एवं अनुसंधान कार्य किया जा सकता है। जिससे छात्रों को सीधे पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल जाएगा और परास्नातक पाठ्यक्रम भी केवल एक साल में ही पूरा कर सकेंगे।
एनईपी की यही व्यवस्था अब तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम वाले विद्यार्थियों भी दी जा सकती है। इसके लिए उन विद्यार्थियों को मौका दिया जाएगा जिन्होंने तीन साल के दौरान हर सेमेस्टर यानी कुछ छह सेमेस्टर में 75 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं। ऐसे छात्रों को परास्नातक किए बगैर ही पीएचडी के लिए योग्य माना जाएगा। हालांकि वह परास्नातक की शिक्षा भी पीएचडी के दौरान पूरी कर सकेंगे। विश्वविद्यालय की इस व्यवस्था मकसद उच्च स्तरीय शोध कार्यों की संख्या बढ़ाना है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।