ABVP कार्यकर्ताओं ने मंत्री OP राजभर का फूंका पुतला, मांगों को लेकर दिया ज्ञापन
कानपुर श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज और मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बयान के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रदर्शन किया। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने परेड चौराहे पर मंत्री का पुतला फूंका और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने लाठीचार्ज के दोषियों पर कार्रवाई और विश्वविद्यालय की जांच की मांग की। कार्यकर्ताओं ने राजभर से माफी मांगने को कहा।

जागरण संवाददाता, कानपुर । श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (एसआरएमयू), बाराबंकी में छात्रों से की जा रही खुली लूट और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से विधि पाठ्यक्रमों की मान्यता न होने के बावजूद प्रवेश के नाम पर हो रहे छात्रों के साथ सीधी धोखाधड़ी जैसे तमाम अन्यायों और भ्रष्टाचार के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र लोकतांत्रिक पद्धति से आंदोलन कर अपनी समस्याओं के समाधान की मांग कर रहे थे।
लेकिन आततायी विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की जायज़ आवाज को दबाने के लिए पुलिस बल और बाहरी असामाजिक तत्वों की मदद से आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। परिणामस्वरूप निर्दोष छात्रों पर बर्बर लाठीचार्ज हुआ और कई विद्यार्थी गंभीर रूप से घायल हुए। यह कृत्य न केवल प्रशासन की असंवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि शिक्षा जगत पर एक कलंक है।
लाठीचार्ज को सही ठहराना लोकतंत्र के साथ खुला धोखा
इस प्रकरण में मंत्री ओमप्रकाश राजभर द्वारा एबीवीपी छात्रों को "गुंडा" कहना और उन पर हुए बर्बर पुलिसिया लाठीचार्ज को सही ठहराना लोकतंत्र की आत्मा के साथ खुला धोखा है। छात्रों का यह संवैधानिक अधिकार है कि वे अपनी शिक्षा, भविष्य और विश्वविद्यालय प्रशासन की पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाएँ।
शांतिपूर्ण आंदोलनरत छात्रों को "गुंडा" कहना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की सोची-समझी साजिश है। इसी के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कानपुर महानगर के कार्यकर्ताओं द्वारा परेड चौराहे पर वृहद आंदोलन कर मंत्री ओम प्रकाश राजभर का पुतला फूँक कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन में अपनी मांगों को रखते हुए ज्ञापन जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
पिछले दिनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता जो छात्रहित में शांतिपूर्ण ढंग से श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय प्रशासन के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे थे किंतु उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई बर्बरता पूर्ण लाठी चार्ज अमानवीय है इससे छात्रो में भारी आक्रोश था किंतु उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर जी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को गुंडे बोलना छात्रो के प्रति उनकी मानसिकता को दर्शाता है.
इसी के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने सम्पूर्ण प्रदेश के समस्त जिलो के अंदर एक वृद्ध आंदोलन कर ओम प्रकाश राजभर जी का पुतला फूँक कर जिले अधिकारी जी को ज्ञापन सौंपते 48 घंटे के अंदर पुलिस प्रशासन पर कार्यवाही की मांग की है। एबीवीपी ने मांग की है कि आप राजभर अपने बयान पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें कार्यकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राजभर ने माफी नहीं मांगी तो विरोध प्रदर्शन का स्वरूप और बड़ा होगा।
इस दौरान महानगर मंत्री मयंक पासवान ने बताया कि यह बयान न केवल कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है बल्कि संगठन की छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास भी नजर आता है। आंदोलन में मुख्य रूप से सुधांशु, दिनेश यादव, आशुतोष, ख़ुशी, एल्विन, उज्ज्वल, उपेंद्र, प्रभात, पीयूष, दीपक, गुंजन, राम, हर्षित, ज्ञानेंद्र, अर्जुन, प्रतिमेश, श्रेयांश, समीर, नैतिक, आयुष, आदित्य, प्रखर, अभिलाष सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सीएम से की ये मांगें
1. लाठीचार्ज घटना में पुलिसकर्मियों व बाहरी गुंडों सहित सभी दोषियों पर मुकदमा दर्ज कर कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित हो। किसके आदेश पर लाठीचार्ज किया गया यह सभी प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं जिनका उत्तर अतिशीघ्र सार्वजनिक किया जाए।
2. विधि छात्रों के वर्तमान को भ्रम में रखकर भविष्य के साथ खिलवाड़ कर नवीनीकरण व अनुमति के बिना विधि पाठ्यक्रम के अवैध संचालन की समग्रता से तथ्यात्मक जांच की जाए व पूरी प्रक्रिया में जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित कर विश्वविद्यालय को बंद किया जाए। विलम्ब शुल्क के नाम पर अर्थदण्ड के रूप में बड़ी धनराशि की उगाही, सामाजिक कल्याण के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क, निर्धारित मानक आदि की भी सघनता से जांच कर रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। छात्र आंदोलन के लिए संघर्षरत दो छात्रों को बिना किसी चेतावनी के सीधे निष्काषित कर देने की प्रक्रिया भी अवैधानिक है अतएव इस संबंध में दोषियों को दण्डित कर विद्यार्थियों को न्याय दिलाया जाए।
3. उच्च शिक्षा परिषद के सचिव द्वारा दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर रामस्वरूप विश्वविद्यालय पर कार्यवाही आरम्भ की जाए।
4. श्री रामस्वरूप विश्वविद्यालय ने लगभग 6 बीघे सरकारी भूमि (नाली, तालाब, बंजर व चकमार्ग) पर अवैध कब्जा कर लिया था। राजस्व जांच के बाद मामला तहसीलदार कोर्ट पहुँचा, जिसने 25 अगस्त 2025 को विश्वविद्यालय प्रबंधन पर ₹27.96 लाख जुर्माना लगाते हुए कब्जा हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने 15 दिन में जुर्माना अदा कर स्वयं अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया है। अवैध निर्माण पर कार्यवाही की जाए।
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